पावर प्रेस मज़दूर की उँगली कटी, मालिक बोला मज़दूर ने जानबूझ कर कटवाई है!

बिगुल संवाददाता

ludhiana worker injuryलुधियाना के एक कारखाने में 13 अप्रैल 2016 को गजेंदर महतो (उम्र 32 साल) एक पावर प्रेस मशीन चला रहा था। कारखाना मालिक ने उसी दूसरी पावर प्रेस मशीन पर काम करने को कहा। गजेंद्र ने देखा कि उस मशीन के सेंसर खराब हैं। क्लच भी ढीला है। हादसा होने के डर से उसने दूसरी मशीन चलाने से इनकार कर दिया। मालिक ने उसे काम से निकाल देने की धमकी दी। उसकी आर्थिक हालत कुछ ज़्यादा ही खराब चल रही थी। अभी कुछ दिन पहले ही उसकी पतनी के कान का आपरेशन हुआ है। तीन बच्चे भी हैं। इस हालत में वह काम छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सका और दूसरी मशीन चलाने लगा। कुछ ही समय बीता था कि एक भयानक हादसा हो गया। उसका दायाँ हाथ अभी प्रेस के बीच में ही था कि ढीला क्लच दब गया। अँगूठे के साथ वाली एक उँगली कट गयी। मालिक उसे उठाकर एक निजी अस्पताल ले गया। मालिक ने कहा कि वह पुलिस के पास न जाए। पूरा इलाज करवाने, हमेशां के लिए काम पर रखने, मुआवजा देने आदि का भरोसा दिया। गजेंदर मालिक की बातों में आ गया। पन्द्रह दिन भी नहीं बीते थे कि उसे काम से निकाल दिया गया। मालिक ने इलाज करवाना बन्द कर दिया और अन्य किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद करने करने से भी साफ मुकर गया।

यह हादसा स्पष्ट तौर पर कारखाना मालिक की मुनाफे की हवस और आपराधिक लापरवाही का नतीजा है। लेकिन बेशर्मी की हद देखो। मालिक कह रहा है कि गजेंदर ने जानबूझ कर अपनी हाथ मशीन में दिया है।

कारखाने में लगभग 15 मज़दूर काम करते हैं। लेकिन किसी भी मज़दूर को ना तो पहचान पत्र मिला है, न ई.एस.आई. और न ही पी.एफ. की सुविधा मिली है। कारखाने का नाम किसी भी मज़दूर को नहीं पता है। बस मालिक का नाम पता है – बी.डब्ल्यू. शर्मा। लुधियाना के शेरपुर इलाके में शहीद भगतसिंह नगर की तीन नम्बर गली में स्थित इस कारखाने के गेट पर कोई बोर्ड नहीं लगाया गया। (लुधियाना में बड़ी गिनती कारखानों की यही हालत है) न ही कारखाने के मज़दूर एकजुट हैं और न ही इलाके में मज़दूरों की यूनियन बनी है। नतीजा यह है कि अन्य कारखाना मालिकों की तरह यह मालिक भी मज़दूरों को जमकर लूटने  के लिए पूरी तरह आज़ाद है। ऐसे ही हालात ज़्यादातर फैक्टरियों में हैं क्योंकि मालिक को मज़दूर की सुरक्षा पर एक रुपया भी खर्च करना फालतू खर्च लगता है। दूसरे, एक मज़दूर को निकालो तो पाँच काम करने को तैयार मिल जाते हैं।

गजेंदर ने 30 अप्रैल को कारखाना मज़दूर यूनियन के साथ सम्पर्क किया। पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवायी गयी है। श्रम विभाग में भी शिकायत की जाएगी। उस इलाके में मज़दूरों की एकजुटता ना होने के चलते सिर्फ कानूनी मदद ही की जा सकती है। वास्तविक हल तो मज़दूरों की एकता से ही हो सकता है। अगर इलाके के मज़दूरों की एकजुटता होती तो मालिक इस ढंग से अपनी मनमर्जी नहीं सक सकता था।

मज़दूर बिगुल, मई 2016


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments