शहीद भगतसिंह के जन्मदिवस पर मराठी में क्रान्तिकारी साहित्य के प्रकाशन की शुरुआत

सत्यनारायण

2016-09-28-mum-bhagatsingh-birth-anni-073शहीद भगतसिंह के जन्‍मदिवस 28 सितम्बर 2016 को मुम्बई (मानखुर्द) में भगतसिंह की पांच मराठी प‍ुस्तिकाओं का लोकार्पण हुआ। इन्हीं पुस्तिकाओं के प्रकाशन के साथ मराठी में क्रांतिकारी साहित्य के लिए ऐरण प्रकाशन का आगाज़ हुआ। नौजवान भारत सभा व ऐरण प्रकाशन की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में भगतसिंह की ये पांच पुस्तिकाएं प्रकाशित की गयी: 1. मी नास्तिक का आहे? 2. बांम्बचे तत्त्वज्ञान आणि न्यायालयातील निवेदन 3. जातिधर्माचे झगडे सोडा, खऱ्या लढ्याशी नाते जोडा 4. क्रांतिकारी कार्यक्रमाचा मसुदा 5. भगतसिंह म्हणाले होते। इस कार्यक्रम में मुम्बई के अलग अलग इलाकों से अनेक लोग उपस्थित थे।

इस मौके पर बोलते हुए नौजवान भारत सभा के नारायण ने कहा कि भगतसिंह की शहादत के इतने वर्षों बाद भी उनके लेख प्रासंगिक हैं। इसका कारण ये है कि भगतसिंह केवल अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय जनता की लड़ाई के ही नहीं बल्कि शोषण के विरुद्ध मज़दूरों की लड़ाई के भी प्रतीक हैं। समानता पर आधारित व शोषणमुक्त समाज का सपना आंखों में लिए भगतसिंह व उनके साथियों ने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया पर आज भी वैसा समाज नहीं बन पाया। उसी शोषणमुक्त समाज के निर्माण के लिए दुनियाभर के मज़दूरों की तरह ही भारत के मज़दूर भी लड़ रहे हैं। इस संघर्ष को परिणति तक ले  जाने के लिए भगतसिंह का लेखन आज भी मार्गदर्शक है। सड़े-गले विचारों, रूढ़ि‍यों व बौद्धिक गुलामी की जकड़ से आज़ाद होने की प्रेरणा देने की विलक्षण क्षमता उनके लिखे शब्दों में है। उनके लेखन से प्रेरित होकर खुद को शोषण के विरुद्ध लड़ाई में झोंक देना, यही भगतसिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

2016-09-28-mum-bhagatsingh-birth-anni-095ऐरण प्रकाशन की तरफ से बबन ठोके ने कहा कि प्रसार माध्यमों पर व साथ ही साहित्य पर लगातार पूँजी का व बाजार का प्रभाव बढ़ रहा है व ऐसे में एक वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना अत्यंत जरूरी है। विभिन्न भाषाओं में प्रगतिशील साहित्य कम से कम दरों पर लोगों तक पहुँजना चाहिये। बबन ने कहा कि शहीद भगतसिंह के सम्पू्‍र्ण उपलब्ध दस्तावेजों को भी मराठी में जल्द ही प्रकाशित करने का संकल्प ऐरण प्रकाशन नेे लिया है।

लोकार्पण कार्यक्रम के बाद पूरे इलाके में शहीद भगतसिंह की तस्‍वीरें लिये हुए एक मार्च निकाला गया व भगतसिंह की विरासत से परिचित कराते मराठी व हिन्दी ‍पर्चे बांटे।

 

मज़दूर बिगुल, अक्‍टूबर-नवम्‍बर 2016


 

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