समाज बदल सकता है बशर्ते हम एकजुट हों

अश्वनी कुमार, रुद्रपुर

यूं तो देश की गरीब मेहतनकश आबादी आजादी के बाद पिछले 56 सालों से लूटी और पीसी जा रही है। पैसे वालों और नेताओं के धंधे गरीबों को लूटकर ही चलते हैं। गरीबों के साथ ठगी का ऐसा ही एक किस्सा हम यहां बयान कर रहे हैं।

हर इंसान की यह मूलभूत आवश्यकता होती है कि उसके सिर छिपाने की एक जगह हो, तन पर कपड़ा हो, लेकिन आजादी के 56 वर्ष के बाद भी इस देश में एक बड़ी आबादी ऐसी रहती है जिनके पास यह भी नहीं हैं। 25–30 सालों से अगर कोई कहीं रह रहा हो तो भी उसे सुन्दरीकरण के नाम पर एक झटके में उजाड़ दिया जायेगा। ऐसे मौकों का फायदा तमाम दलाल और नेता उठाने की ताक में लगे रहते हैं। वे लोगों की गाढ़ी कमाई से पैसे हड़पकर खाली पड़ी नजूल की जगहों पर बसा देते हैं और उनका आशियाना फिर से उजाड़े जाने के लिए तैयार रहता है।

हम लोग भी एक मकान का सपना लेकर ऐसी ही एक नजूल की जमीन पर बस गये हैं। रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर) के भदईपुरा कालोनी की जगह 4 वर्ग मीटर की है। इस जमीन को एक प्रभावशाली व्यक्ति, सुखलाल नेता ने अपने कब्जे में कर लिया था। वह सैकड़ों लोगों को झांसा देकर काफी पैसा बटोरकर स्वर्गवासी हो गया। मरने से पहले उसने इन जमीनों को खतरनाक शैतान सरकार जीत सिंह व दीदार सिंह को बेच गया। उसने गरीब आबादी को झांसा देकर और पैसा वसूल कर यहां बसाना शुरू कर दिया। उसने सैकड़ों लोगों से पैसे वसूले।

यह नयी बस्ती बस तो गयी लेकिन यह नरक का पर्याय बन गयी। न सड़कें हैं न पानी निकासी की व्यवस्था। बारिश में तो और भी बुरा हाल रहता है। ऐसे में ही नगर के प्रभावशाली नेता यहां पहुंच जाते हैं। कोई समझाता है कि तुम लोग तो अवैध रूप से बसे हो, ज्यादा बोलोगे तो सरकार तुम्हें उजाड़ देगी। तभी कोई और आता है और बिजली के खम्भे के नाम पर 100–100 रुपये वसूलता है तो कोई सरकारी योजना से लैट्रीन बनवाने के नाम पर पैसा वसूलता है। ये नेता लोगों की खुशहाली का झूठा सपना दिखाकर और ट्राली भरकर लोगों की भीड़ अपनी रैलियों में ले जाते हैं। एक कमरा बनाने की लालसा में गरीबों का शोषण होता रहता है।

समस्याओं का अन्तहीन चक्र शुरू है। कभी किसी कर्मचारी को पैसा देना है तो कभी नेताओं को खुश करना है और उनकी रैलियों की शोभा बनाता है। अगर ऐसा न किया जाये तो आफत आ जाती है। हमारी बस्ती में ऐसे ही चंदा देने से मना करने पर एक मजदूर भाई धर्मवीर को कुछ लोगों ने सरेआम पीट–पीट कर बेहोश कर दिया और पैसा भी वसूल ले गये। वे धमकी भी दे गये कि आगे से किसी ने विरोध किया तो उसे यहां से उजड़वा दिया जायेगा। हमारे पड़ोस में उत्तरांचल–उत्तर प्रदेश की सीमा पर फाजलपुर महरौला में कुछ दबंग लोगों ने घुसकर गोलियां चलाते हुए दहशत फैलाया और जगह खाली करने के लिए धमकियां दीं। जबर्दस्ती दो लोगों को जीप में डालकर उठा ले गये और अधमरा करके सड़क पर फेंक गये। ऐसे मौकों पर पुलिस भी इन दबंगों के साथ ही होती है।

बिगुल के माध्यम से हम लोगों को इन दलाल नेताओं से सावधान रहने और एकता बनाने का जो संदेश मिला है उससे हमारी स्थिति में थोड़ा बदलाव भी आया है। हम लोगों ने नौजवान भारत सभा की बैठकें शुरू कर दीं और लोगों को जगाना शुरू किया। इतने से ही हमारी बस्ती में अवैध वसूली रुक गयी है। आज इस बात की जरूरत है कि लोगों को एकजुट होना पड़ेगा। मजदूर भाइयों को शोषण करने वालों के खिलाफ जागना है। अगर सभी लोग जाग जाते हैं तो सुधार हो सकता है, समाज बदल सकता है।

बिगुल, फरवरी 2004


 

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