किसकी सेवा में जुटे हैं प्रधान सेवक महोदय!

मुकेश

हाल की दो खबरों पर ग़ौर करें:
1. खास तौर पर अडानी पॉवर के लिए नियम बदल कर उसे उन 500 करोड़ रुपये का कस्टम ड्यूटी रिफंड दिया जा रहा है जो उसने जमा ही नहीं की थी! ऐसे समझिये कि बिना इनकम टैक्स दिए ही रिफंड मिल जाये! विस्तार से समझना हो तो EPW पत्रिका की रिपोर्ट देखिये।
2. वोडाफ़ोन पर ब्याज़/पेनाल्टी समेत 30 हज़ार करोड़ का इनकम टैक्स बकाया है| 2014 तक उसके वकील अरुण जेटली होते थे, सुप्रीम कोर्ट से फैसला भी करा लिया था कि टैक्स बनता ही नहीं| मगर मामला ख़त्म नहीं हो पाया था क्योंकि प्रणब मुखर्जी के समय में पिछली तारीख से कानून बदल दिया गया था| कंपनी फिर नीदरलैंड के एक मध्यस्थता पंचाट में चली गई| पहले जेटली ने बड़ा ‘नैतिक’ फैसला किया कि वह इस मामले की फ़ाइल नहीं देखेंगे क्योंकि वोडाफोन के वकील रह चुके हैं| पर इस बीच में मामला किसी वजह से गड़बड़ हो गया – कंपनी को लगा कि इस मध्यस्थता पंचाट में गोटी ठीक नहीं बैठी और फैसला पूरी तरह उसके हक़ में नहीं जायेगा| तो उसने लंदन के मध्यस्थता पंचाट में एक नया मामला शुरू करने को कहा| अब जेटली से पूछे बिना किसी अधिकारी ने सिफारिश की कि इस मध्यस्थता पंचाट में शामिल ही न हुआ जाये| अब जेटली जी ने कंपनी के लिए अपनी वफादारी निभाते हुए मोदी जी को पत्र लिखा है कि लंदन के मध्यस्थता पंचाट में शामिल हुआ जाये और अपनी तरफ से किसी सलीम मूमन नाम के वकील की भी सिफारिश की है! आखिर अपने क्लाइंट को नुकसान कैसे होने दें!
क्या अब भी कोई शक़ है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति जो अपने को जनता का प्रधान सेवक और ‘मज़दूर नं. एक बताता रहता है, वास्तव में किन लोगों का सेवक है? बाकी, मज़दूर, किसान, छात्र आदि अपनी माँगों पर आन्दोलन करते रहें, उनके लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं।

मज़दूर बिगुल, जून 2017


 

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