यूनियन बनाने की कोशिश और माँगें उठाने पर ठेका श्रमिकों को कम्पनी ने निकाला, संघर्ष जारी

बिगुल संवाददाता

बिनौला (गुड़गाँव) स्थित मीनाक्षी पोलीमर्स प्राइवेट लिमिटड (एमपीपीएल) के ठेका वर्करों को निकाले जाने के विरुद्ध संघर्ष दमन के बावजूद जारी है।

ठेका वर्करों के संघर्ष के सातवें दिन, 7 जुलाई 2017 को पुलिस गाली-गलौच के साथ धरना-स्थल को ख़ाली करने की धमकी देने लगी। इस पर ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री काण्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन (एआईसीडब्ल्यूयू) के साथी अनन्त और शाम ने पुलिस को सही तरीक़े से बात करने के लिए कहा और वर्करों को गाड़ी में डालने से रोका। पुलिस से ‍गिरफ़्तारी का वारण्ट माँगा और धरने वाली जगह तथा रहने-ठहरने वाली जगह पर किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन न करने के बारे में स्टे-आॅर्डर के बारे में पूछा। वर्करों ने भी बताया कि वे लोग एक प्राइवेट व्यक्ति के प्लाट में बैठे हैं और जब सड़क भी बैठते हैं तो एक किनारे बैठते हैं, किसी भी तरह से ट्रैफि़क या किस व्यक्ति को परेशान नहीं कर रहे। पुलिस ने न तो कोई गिरफ़्तारी का वारण्ट और न ही स्टे-आॅर्डर जैसा कोई भी कागज़ दिखाया और न ही कोई तर्क सुना। उल्टा दो मज़दूर साथियों नीरज और यशपाल के साथ-साथ यूनियन के अनन्त और शाम को पुलिस गाड़ी में डालकर ले गयी और जाते हुए बाक़ी वर्करों को धमकी दी कि पाँच मिनट में जगह ख़ाली कर दो वरना तुम सबको उठाकर ले जायेंगे। गाली-गलौच और मारपीट थाने में भी जारी रहा। जब चारों अनन्त और शाम ने अपने साथियों को बताने की बात करने की कोशिश की तो सबके फ़ोन रास्ते में ही छीन लिये थे। यह है देश में अपने अधिकार की बात करने पर मालिक-ठेकेदार-पुलिस-प्रशासन के गठजोड़ का काम करने का तरीक़ा।

ज्ञात रहे कि मीनाक्षी पोलीमर्स प्राइवेट लिमिटड (एमपीपीएल) में 1 जुलाई 2017 को लगभग सभी सवा सौ ठेका श्रमिकों को बिना किसी नोटिस के एक साथ निकाल कर बाहर दिया और कहा कि उनके ठेकेदार – नेहा एण्टरप्राइज़ेज़ तथा श्री एण्टरप्राइज़ेज़ का ठेका रद्द कर दिया गया। अगर काम करना चाहते हैं तो अपने ठेकेदार से पूछो और अपना काम कहीं ओर ढूँढ़ लो। ठीक इसी तरह क़रीब दो महीने पहले मार्क एग्ज़ास्ट कम्पनी के ठेका वर्करों द्वारा ठेकेदार के ख़ि‍लाफ़ यूनियन बनाने और अपनी माँगों को रखने पर बाहर का रास्ता दिखाया था।

वैसे तो श्रम विभाग द्वारा नोटिस मिलने पर ही कम्पनी प्रबन्धन ने वर्करों को निकालने की अपनी योजना की तैयारी शुरू कर दी थी। 23 जून को यूनियन ने अपनी माँगों के लिए अपना डिमाण्ड नोटिस लगाया था। इस पर तब क़रीब 50-60 नये वर्करों को कम्पनी में ओवरटाइम बन्द करने के लिए लाया गया है और पुराने वर्करों को कहा कि किसी को काम पर नहीं निकाला जायेगा। नये लोगों को बी-शिफ़्ट में काम करवाया जायेगा। असल में यह झूठा आश्वासन है, असली मंशा तो नये वर्करों को ट्रैनिंग देकर पुराने वर्करों को निकालना थी। और 30 जून को ही कम्पनी ने जब वर्कर काम कर रहे थे तो कम्पनी में प्रबन्धन ने नोटिस लगा लगा दिया था जिसमें 1 जुलाई 2017 से वर्करों को बाहर किया जा रहा है और कहा जा रहा कि आपके ठेकदारों का ठेका ख़त्म किया जा रहा है। 30 तारीख़ को ही श्रम विभाग में 23 तारीख़ के डिमाण्ड नोटिस की तारीख़ थी। जिसमें यूनियन के लोगों तथा कम्पनी को आना था। यूनियन के लोग तो पहुँचे लेकिन कम्पनी ने अपनी तरफ़ से अपनी कम्पनी के दूसरे प्लाण्ट के व्यक्ति को भेज दिया था। पहले तो कम्पनी के द्वारा भेजे गये व्यक्ति ने किसी भी तरह के डिमाण्ड नोटिस से इंकार कर दिया। इस पर श्रम विभाग ने 10 जुलाई, 2017 को दोबारा तारीख़ तय की जिसमें दो पार्टियों को बुलाया था उसके बाद 19 जुलाई 2017 की तारीख़ दे दी है। इस बीच कम्पनी द्वारा 20-30 वर्करों को कम्पनी में ही रखा जाता है उन्हें अन्दर ही खाना खिलाया जाता है। कुछ श्रमिकों को गाड़ी में भरकर लाया जाता है और फिर काम ख़त्म होने पर ही गाड़ी में भर कर कहीं दूर भेज दिया जाता है। मालिक इतना डरा हुआ है कि किसी भी तरह से नये श्रमिकों को धरने पर बैठे पर बैठे हुए श्रमिकों ने मिलने-जुलने नहीं दिया जाता है।

लेकिन वास्तविक कारण महज़ ठेका ख़त्म करना नहीं है बल्कि एक महीने पहले से वर्करों ने यूनियन फ़ाइल मीनाक्षी पोलीमर्स ठेका श्रमिक संगठन (एम.पी.डी.एस.एस.) के नाम से लगायी थी। फि़लहाल पिछले एक महीने से 8252 के हिसाब से पेमण्ट किया जाता है। इससे पहले 7977 के हिसाब पेमण्ट होता था। मुख्य माँगों में छुट्टी, गेट पास, बोनस, कैंटीन, पेमण्ट स्लीप, पहचान पत्र, पी.एफ़. एगरीमेण्ट, 3 से 5 पुराने वर्करों को पक्का किया जाना, लंच की सुविधा, चाय-पानी की सही व्यवस्था, फ़र्स्टऐड कीट, सुरक्षा उपायों, एग्ज़ॉस्ट फ़ैन व पंखों आदि की माँग थी। लेकिन कम्पनी को न तो वर्करों की माँगें गवारा  थीऔर न ही यूनियन।

मीनाक्षी पोलीमर्स प्रा. लि. कम्पनी की शुरुआत 2007 के आसपास हुई। इसकी कुल मिलाकर सात इकाइयाँ हैं। बिनौला के अलावा मानेसर, गुड़गाँव, नीमराना, यू.पी. में दादरी, हरिद्वार में दो प्लाण्ट हैं। एमपीपीएल बिनौला ऑटो पार्टस की कम्पनी है जिसमें अलग-अलग कम्पनियों के लिए फुट रेस्ट असेंबलिंग, डिस्क ब्रेक, ईनरवेज करिशना मारूति के लिए, बाईक के स्टैण्ड, मोटर पम्प का ढक्कन आदि बनता है।

दमन के बावजूद ठेका वर्करों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का निर्णय किया है।

 

मज़दूर बिगुल, जुलाई 2017

 


 

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