मोदी और पेट गैस की गोलियों में क्या संबंध है!

 मुकेश

नवम्बर में औद्योगिक उत्पादन 8.4% बढ़ने के आंकड़े जारी करने के बाद मोदी सरकार और उसके भोंपू अर्थशास्त्री विशेषज्ञ अर्थव्यवस्था में फिर से तेजी का राग अलाप रहे हैं! पर लिंक में दिए औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े के पैराग्राफ 8 को पढ़ें तो कुल उत्पादन वृद्धि में से 2.5% वृद्धि तो सिर्फ पेट गैस की गोलियों और पाचन शक्ति बढ़ाने वाले टॉनिकों से हुई बताई गई है, जबकि कुल औद्योगिक उत्पादन में इनका कुल हिस्सा (weightage) चौथाई प्रतिशत से भी कम होता है – 0.22%! ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है – ये पेट गैस की गोलियों का चक्कर पिछले साल भी था! अब ये इतनी पेट गैस की गोलियां कौन खा रहा है?

इसके बाद बाकी बचता है 5.9% – वो इसलिए क्योंकि पिछले साल के नवम्बर में नोटबंदी ने उत्पादन की कमर तोड़ दी थी, तो इस साल का सामान्य उत्पादन भी उसके मुकाबले बढ़ा हुआ ही दिखता है|

तो इन आंकड़ों को देखसुनकर ख़्वाब मत देखने लगियेगा कि अर्थव्यवस्था सुधर रही है, रोजगार बढ़ेगा, मजदूरी-वेतन बढ़ेगा!

मज़दूर बिगुल, जनवरी 2018


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments