(मज़दूर बिगुल के जनवरी 2011 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)

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सम्पादकीय

21वीं सदी के पहले दशक का समापन : मजदूर वर्ग के लिए आशाओं के उद्गम और चुनौतियों के स्रोत

अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

माइक्रो फ़ाइनेंस : महाजनी का पूँजीवादी अवतार / आनन्द

यह कमरतोड़ महँगाई क़ुदरत की नहीं बल्कि पूँजीवादी व्यवस्था की देन है : ”महँगाई डायन” का इलाज पूँजीवादी ओझाओं के पास है ही नहीं / आनन्‍द सिंह

श्रम कानून

राजधानी की चमकती इमारतों के निर्माण में – ठेका मजदूरों का नंगा शोषण : ऐसे में बेमानी हैं कानून और संविधान की बातें / राजकुमार

आन्दोलन : समीक्षा-समाहार

हैरिंग इण्डिया में मजदूरों का शानदार संघर्ष और अर्थवादी सीटू का विश्वासघात

एलाइड निप्पोन में सीटू की ग़द्दारी के कारण आन्दोलन दमन का शिकार और मजदूर निराश

सीटू की गद्दारी से आई.ई.डी. के मजदूरों की हड़ताल नाकामयाब : मजदूरों को कानूनी विभ्रमों और विजातीय प्रवृत्तियों से छुटकारा पाना होगा

न्यूनतम मजदूरी और बुनियादी अधिकारों के लिए बंगलादेश के टेक्सटाइल मजदूरों का आन्दोलन : ट्रेड यूनियनों की ग़द्दारी, मजदूरों के हक़ की नहीं मालिकों के मुनाफ़े की चिन्ता / जयपुष्प

मज़दूर आंदोलन की समस्याएं

आपने ठीक फ़रमाया मुख्यमन्त्री महोदय, बाल मजदूरी को आप नहीं रोक सकते! / मीनाक्षी

समाज

उन्हें स्त्रियों की अस्मिता या जिन्दगी से ज्यादा प्यारा है मुनाफा! : देश की राजधानी में कामगार महिलाएँ सुरक्षित नहीं / मुनीश

त्रिपुर (तमिलनाडु) के मजदूर आत्महत्या पर मजबूर : मजदूरों को संगठित संघर्ष की राह अपनानी होगी

बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका

पूँजी के इशारों पर नाचती पूँजीवादी न्याय व्यवस्था – विनायक सेन को आजीवन क़ैद / अभिनव

पूँजीवादी गणतन्त्र में कौन बच्चा और कौन पिता! – आजाद-पाण्डेय के एनकाण्टर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी / शिशिर

लेखमाला

कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (छठी किस्त) – 1947-50 का संक्रमणकाल: क्रमिक पूँजीवादी विकास की आम दिशा का निर्धारण और संविधान की मूल प्रकृति / आलोक रंजन

माँगपत्रक शिक्षणमाला – 3 ठेका प्रथा के ख़ात्मे की माँग पूँजीवाद की एक आम प्रवृत्ति पर चोट करती है

मज़दूर बस्तियों से

कौन लेगा गरीबों की सुध? / प्रेम सागर, झिलमिल, दिल्ली

गतिविधि रिपोर्ट

झिलमिल और बादली औद्योगिक क्षेत्र में माँगपत्रक आन्दोलन का सघन प्रचार अभियान

काकोरी के शहीदों की याद में ‘अवामी एकता मार्च’

कला-साहित्य

कविता – य’ शाम है / शमशेर बहादुर सिंह

आपस की बात

कविता – तुम्हारी चुप्पी को क्या समझा जाए! / गौरव, दिल्‍ली

शहीदों के सपनों को साकार करना होगा / रासलाल ,दिल्ली


 

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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