लुधियाना में टेक्सटाइल मज़दूरों की पंचायत
फ़ौलादी एकजुटता की ज़रूरत समझी मज़दूरों ने

बिगुल संवाददाता 

लुधियाना की चण्डीगढ़ रोड स्थित पूडा मैदान में 14 अगस्त को टेक्सटाइल मज़दूर पंचायत का आयोजन किया गया। मज़दूर पंचायत की शुरुआत गगनभेदी नारों के साथ हुई। एक बच्चे दानिश तथा मज़दूर साथी घनश्याम ने क्रान्तिकारी गीत पेश किये। टेक्सटाइल मज़दूर यूनियन के संयोजक राजविन्दर ने टेक्सटाइल मज़दूर पंचायत के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आज का समय मज़दूरों के लिए बेहद कठिन और चुनौतियों भरा समय है। पिछले कुछ वर्षों में ही महँगाई सारे रिकार्ड तोड़ गयी है, पूँजीपतियों के मुनाफ़े में दिन-रात बढ़ोत्तरी हो रही है और उनके ऐशो-आराम और ऐय्याशी ने सारी हदें पार कर दी हैं लेकिन मज़दूर नर्क की ज़िन्दगी भोग रहे हैं। उन्होंने कहा कि लुधियाना के टेक्सटाइल मज़दूरों की भी यही कहानी है। टेक्सटाइल मालिकों के मुनाफ़े और ऐय्याशियों में कोई कमी नहीं आयी है लेकिन मज़दूरों को मर-मर कर जीना पड़ रहा है। उचित आमदनी और अन्य हक़-अधिकारों की मालिकों से उम्मीद ही क्या की जाये वे तो श्रम क़ानूनों की भी खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। आठ घण्टे की दिहाड़ी का क़ानून तो शायद टेक्सटाइल मालिक भूल ही चुके हैं। वेतन, पीस रेट, दिहाड़ी बेहद कम दी जाती है। पहचान पत्र, हाज़िरी कार्ड, ई.एस.आई. आदि सुविधाएँ हासिल नहीं हैं। क़ानून के मुताबिक़ महँगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता, वर्दी तथा अन्य विशेष भत्ते लुधियाना के टेक्सटाइल मालिक लागू नहीं करते। अधिकतर टेक्सटाइल कारख़ानों में मज़दूरों के साथ अपमानजनक व्यवहार होता है। गाली-गलौज, मारपीट की जाती है। उन्होंने सवाल किया कि आखि़र कब तक हम ये धक्केशाहियाँ सहते रहेंगे?

लुधियाना में आयोजित टेक्‍सटाइल मज़दूरों की पंचायत में मौजूद सैंकड़ों मज़दूर

लुधियाना में आयोजित टेक्‍सटाइल मज़दूरों की पंचायत में मौजूद सैंकड़ों मज़दूर

राजविन्दर ने कहा कि इस सीज़न में कुछ टेक्सटाइल कारख़ानों के मज़दूर मालिकों के आगे वेतन या पीस रेट बढ़ोत्तरी आदि की माँगें रख रहे हैं। इन मज़दूरों की अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता और संघर्ष की भावना स्वागतयोग्य है लेकिन हमें अपने बिखरे संघर्षों को एक मंच पर लाना होगा। उन्होंने कहा कि सामूहिक विचार-विमर्श, व्यापक एकता, योजना बनाने और तैयारी के मक़सद से ही यह पंचायत बुलायी गयी है।

इसके बाद अनेक कारख़ानों के मज़दूरों ने विचार-विमर्श में भाग लिया। यह बात सामने आयी कि पिछले वर्ष पावरलूम मज़दूरों ने हड़ताल करके पीस रेट बढ़वाया था लेकिन मालिकों ने कई तिकड़मबाज़ियाँ करके मज़दूरों की आमदनी को कम करने की कोशिशें की हैं। मज़दूरों ने कहा कि असल माँग तो पीस रेट प्रणाली को पूरी तरह ख़त्म करके वेतन प्रणाली लागू करने की है लेकिन इसके लिए मज़दूरों को फौलादी एकजुटता बनाकर लड़ना होगा नहीं तो पीस रेट बढ़ोत्तरी से ही काम चलाना होगा। ई.एस.आई. सुविधा लागू करवाने तथा कारख़ाने में मज़दूरों को पक्का करवाने, पहचान पत्र, हाज़िरी रजिस्टर लागू करवाने के लिए मज़दूरों में काफ़ी जोश देखने को मिला। लुधियाना में 25 वर्ष से टेक्सटाइल का काम करने वाले भगवानदास नाम के मज़दूर साथी ने कहा कि मज़दूर कभी संघर्ष में पीछे नहीं रहे हैं लेकिन नेताओं के कारण मज़दूरों को हार सहनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि यूनियन के नेताओं को हमेशा अडिग रहना चाहिए, मज़दूर हर क़ुर्बानी करने को तैयार हैं। कई अन्य मज़दूरों ने कहा कि मज़दूरों में भी कमियाँ हैं। हड़ताल के समय बहुत से मज़दूर घर चले जाते हैं। मीटिंगों में शामिल नहीं होते। इस तरह मज़दूरों की एकता व संघर्ष कमज़ोर होते हैं।

मज़दूर पंचायत में कारख़ाना मज़दूर यूनियन के संयोजक लखविन्दर ने कहा कि मज़दूरों का सच्चा संगठन वही होता है जिसमें हर स्तर पर जनवाद को लागू किया जाता हो। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल मज़दूर पंचायत का आयोजन बहुत सराहनीय क़दम है जिसमें मज़दूरों को खुलकर अपनी बात कहने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि दलाल संगठनों के नेता कभी ऐसा नहीं करते हैं।

मज़दूर पंचायत में प्रेमनाथ, नसीम, सुरिन्दर, राजकुमार, घनश्याम, लक्ष्मण, विक्रम, वीरेन्दर आदि मज़दूरों ने अपने विचार रखे। अन्त में साथी राजविन्दर ने कहा कि मज़दूर पंचायत में हुए सलाह-मशविरे के आधार पर माँगपत्र तैयार करके मालिकों के सामने पेश किया जायेगा। अगर मालिक माँगें नहीं मानते हैं तो उन्हें हड़ताल के लिए तैयार रहना होगा।

जुलाई-अगस्त के बाद के कुछ महीनों में टेक्सटाइल उत्पादन में काफ़ी तेज़ी होती है इसलिए यह समय संघर्ष करने के लिए मज़दूरों के बहुत अनुकूल होता है। मज़दूर पंचायत के लिए लुधियाना के विभिन्न इलाक़ों के टेक्सटाइल मज़दूरों में बड़े स्तर पर प्रचार किया गया था। जगह-जगह टेक्सटाइल मज़दूर यूनियन की ओर से मज़दूरों की मीटिंगें आयोजित की गयीं। एक पर्चा बड़ी संख्या में मज़दूरों के बीच में वितरित किया गया। मज़दूरों में इस पंचायत के लिए काफी उत्साह था। भारी बारिश के कारण काफ़ी मज़दूर पहुँच नहीं पाये फिर भी पाँच सौ से अधिक मज़दूरों ने मज़दूर पंचायत में भाग लिया।

 

 

मज़दूर बिगुलअगस्त-सितम्बर 2011

 


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments