बोलते आँकड़े चीखती सच्चाइयाँ

सतीश आचार्य का कार्टून। उनके ब्लॉग से साभार (http://cartoonistsatish.blogspot.in/2013/07/lootere-since-1947.html)

सतीश आचार्य का कार्टून। उनके ब्लॉग से साभार
(http://cartoonistsatish.blogspot.in/2013/07/lootere-since-1947.html)

रिजर्व बैंक की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी बैंकों ने पूँजीपतियों का एक लाख करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर दिया है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने बताया कि एक वर्ष के दौरान जुटाये गये आँकड़ों से पता चला है कि ये वे ऋण थे जो पूँजीपति कई वर्षों से दबाकर बैठे थे। 2008 में जब सरकार ने किसानों का 60,000 करोड़ का ऋण माफ़ किया था तो पूँजीपतियों ने भारी शोर मचाया था। यही पूँजीपति और मीडिया में इनके दलाल सरकारी शिक्षा और बस, रेल, पानी, बिजली, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं पर दी जाने वाली सब्सिडी पर भी बेशर्मी से हो-हल्ला मचाते हैं कि इससे अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दो वर्ष पहले के बजट में सरकार ने पूँजीपतियों को पाँच लाख करोड़ रुपये की छूट दी थी। उन्हें तमाम तरह के टैक्सों आदि में भी हर केन्द्र और राज्य सरकार से भारी छूट मिलती है। इसके बाद भी उन्हें देने के लिए जो देनदारी बचती है उसे भी न देने के लिए वे तरह-तरह की तिकड़में करते हैं। इसके लिए उनके पास एकाउण्ट्स के विशेषज्ञों और वक़ीलों की पूरी फौज़ रहती है।

रिजर्व बैंक के मुताबिक 2007 से 2013 के बीच बैंकों के न चुकाये जाने वाले ऋणों की कुल राशि में क़रीब पाँच लाख करोड़ का इज़ाफा हो गया। इसमें से भारी हिस्सा वे ऋण हैं जो कारपोरेट कम्पनियों को दिये गये थे।

कुछ सबसे बड़े लोन डिफॉल्टरों की सूचीः

मोज़रबियर इंडिया और ग्रुप कम्पनियाँ – 581 करोड़ रुपये

सेंचुरी कम्युनिकेशंस लि. – 624 करोड़ रुपये

इंडिया टेक्नोमैक – 629 करोड़ रुपये

डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग लि. – 700 करोड़ रुपये

मुरली इण्डस्ट्रीज़ एंड एक्सपोर्ट लि. 884 करोड़ रुपये

केमरॉक इण्डस्ट्रीज़ एंड एक्सपोर्ट 929 करोड़ रुपये

वरुण इण्डस्ट्रीज़ लि. – 1129 करोड़ रुपये

स्टर्लिंग ऑयल रिसोर्सेज़ 1197 करोड़ रुपये

कारपोरेट इस्पात एलॉय – 1360 करोड़ रुपये

सूर्या विनायक इण्डस्ट्रीज़ 1446 करोड़ रुपये

स्टर्लिंग बायोटेक लि. – 1732 करोड़ रुपये

ज़ूम डेवलपर्स प्रा. लि. – 1810 करोड़ रुपये

इलेक्ट्रोथर्म इण्डिया लि. – 2211 करोड़ रुपये

विनसम डायमंड एंड ज्यूलरी – 2660 करोड़ रुपये

किंगफिशर एअरलाइंस – 2673 करोड़ रुपये

इसके अलावा किंगफिशर के मालिक विजय माल्या को 6500 करोड़ रुपये कर्ज़ देने वाले 14 बैंकों पर माल्या ने कर्ज़ न चुकाने के लिए कई अदालतों में मुक़दमा कर रखा है। यह वही विजय माल्या है जो हर साल आईपीएल के तमाशे के लिए करोड़ों रुपये क्रिकेट खिलाड़ियों को ख़रीदने पर खर्च करता है और पार्टियों पर पानी की तरह पैसे बहाता है।

फरवरी माह में वित्त राज्य मंत्री जेडी सीलम ने लोकसभा में बताया कि कारपोरेट घरानों पर 2,46,416 करोड़ रुपये के भारी टैक्स बकाया हैं। 45 ऐसे मामले हैं जिनमें एक-एक कम्पनी पर 500 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इनमें ऐसे घराने भी शामिल हैं जो केजरीवाल के भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन को समर्थन देते रहे हैं।

पिछले दिनों एक संस्था द्वारा कराये गये अध्ययन से पता चला कि 2004-05 के बीच छह राष्ट्रीय पार्टियाँ की आय का 75 प्रतिशत – यानी 4,895 करोड़ रुपये – ‘‘अज्ञात स्रोतों’’ से आया। इनमें कारपोरेट घरानों से लेकर हवाला कारोबारी तक शामिल हैं। कांग्रेस तो सबसे बड़ी राशि पाने वाली है ही मगर इसमें तथाकथित लाल झण्डे वाली भाकपा-माकपा से लेकर शुचिता की दुहाई देने वाली भाजपा तक शामिल हैं। इस रक़म का आधा हिस्सा ऐन चुनावों के पहले जमा किया गया था।

 

 

मज़दूर बिगुल, जनवरी-फरवरी 2014

 


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments