देशभर से मज़दूर आन्दोलन के साथ खड़े हुए मज़दूर संगठन, नागरिक अधिकार कर्मी, बुद्धिजीवी और छात्र-नौजवान संगठन

गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के समर्थन और इसके दमन के विरोध में देशभर में जितने बड़े पैमाने पर मज़दूर संगठन,नागरिक अधिकार कर्मी, बुद्धिजीवी और छात्र-नौजवान संगठन आगे आये उससे सत्ताधारियों को अच्छी तरह समझ आ गया होगा कि ज़ोरो- ज़ुल्म के ख़िलाफ उठने वाले आवाज़ों की इस मुल्क में कमी नहीं है।
संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के अपील पर बड़ी संख्या में ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी संगठनों, नागरिक अधिकार संगठनों तथा बुद्धिजीवियों ने गोरखपुर के ज़िला प्रशासन और उत्तर प्रदेश शासन को विरोध पत्र भेजकर आन्दोलन के दमन की निन्दा की और मज़दूरों की माँगें पूरी कराने के लिए दबाव डाला। प्रसिद्ध कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता कात्यायनी की पहल पर गठित ‘गोरखपुर आन्दोलन समर्थक नागरिक मोर्चा’ की अपील पर लेखकों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, जनाधिकार कर्मियों व सामाजिक संगठनों की ओर से डाक, फैक्स व ईमेल से सैकड़ों की संख्या में विरोध पत्र भेजे गये, सैकड़ों साथियों ने मुख्यमंत्री के नाम भेजे गये ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। अनेक शहरों में लोगों ने अपनी पहल पर हस्ताक्षर अभियान चलाकर शासन और प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर भेजे। बड़ी संख्या में शुभचिन्तकों और समर्थकों ने फोन करके अपना भरपूर समर्थन दिया और आन्दोलनकारियों की हौसलाआफज़ाई की। आन्दोलन की आपाधापी में उन सभी का रिकार्ड रख पाना और सबके प्रति अलग-अलग आभार व्यक्त कर पाना सम्भव नहीं रहा, लेकिन गोरखपुर के तमाम मज़दूरों की ओर से संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा और गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन समर्थक नागरिक मोर्चा उन सभी का आभारी है जिन्होंने अन्याय के विरुद्ध इस लड़ाई में अपनी आवाज़ मिलायी।
दिल्ली में विभिन्न संगठनों एवं बुद्धिजीवियों ने मुख्यमंत्री मायावती के नाम भेजे गए ज्ञापन में कहा कि जनान्दोलनों के दमन के लिए प्रशासन द्वारा ”नक्सलवाद” को बहाना बनाने का हथकण्डा कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रशासन और उद्योगपति ये न समझें कि मजदूर अकेले पड़ गये हैं। मजदूर आन्दोलन के बर्बर दमन के विरुद्ध सारे देश के बुद्धिजीवी मिलकर अभियान चलायेंगे।
ज्ञापन पर प्रसिद्ध लेखिका अरुन्धति राय, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशान्त भूषण, फिल्मकार संजय काक, एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी, प्रसिद्ध पत्रकार जावेद नकवी, ‘द हिन्दू’ के विशेष संवाददाता वेंकटेश रामकृष्णन, वरिष्ठ पत्रकार गौतम नौलखा, प्रसिद्ध लेखक विष्णु खरे सहित दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रो. विजय सिंह, पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के प्रो. हरीश धवन, रैडिकल नोट्स ग्रुप के प्रत्यूष चन्द्रा, संहति के पार्थसारथि रे, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के अरविन्द अंजुम, ऑल इण्डिया कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ ट्रेड यूनियन्स के अर्ध्देन्दु राय, दिल्ली विश्वविद्यालय के डा. मुकुल मांगलिक, आईआईटी दिल्ली की डा. पृथा चंद्रा, न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव के नवीन, छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के दीपक, नारी मुक्ति संस्था की सुनीता कुमारी, सहेली की डा. कल्पना मेहता, सीएसडीएस दिल्ली के असित, टीआईएफआर के सुब्रत राजा, जामिया मिलिया के डा. रविकुमार, हिन्दुस्तान टाइम्स की वरिष्ठ पत्रकार पारोमिता घोष, दैनिक हिन्दुस्तान के पत्रकार संजीव माथुर, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ यू.एस.ए. की जेस्सी न्यूट्सन, सीपीआई-एमएल (न्यू प्रोलेतारियन) के डा. शिवमंगल सिद्धान्तकर, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के शिक्षक राकेश रंजन, ग्रीन फ्लैग वर्कर्स यूनियन के प्रमोद, जे.एन.यू की डा. ममता बोरा सहित सौ से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये। इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार आनन्दस्वरूप वर्मा, रामकृष्ण पाण्डेय, सुरेश नौटियाल, इकोनॉमिक टाइम्स के अरविन्द दास, वरिष्ठ स्तम्भकार सुभाष गाताड़े, यूएनआई वर्कर्स यूनियन के महासचिव राजेश कुमार, बिज़नेस भास्कर के उर्मिलेश, स्वतंत्र मिश्र, दैनिक जागरण के विवेक त्यागी, हिन्दुस्तान के अनुराग त्यागी, लोकराज संगठन के बीजू नायक आदि ने मज़दूर आन्दोलन के दमन की कड़ी निन्दा की और आन्दोलन को पुरज़ोर समर्थन दिया।
वरिष्ठ कवि और ‘अलाव’ के सम्पादक रामकुमार कृषक ने मुख्यमंत्री के नाम भेजे ज्ञापन में मज़दूर नेताओं को तत्काल रिहा करने की माँग की। वरिष्ठ चित्रकार व लेखक हरिपाल त्यागी, कथाकार महेश दर्पण, वीरेन्द्र जैन आदि ने भी दमन की कठोर निन्दा की। अलवर से वरिष्ठ लेखक सुरेश पण्डित ने ज्ञापन पर बड़ी संख्या में हस्ताक्षर कराकर भेजे, तो बाँदा से डा. प्रमोद शिवहरे ने अपने कालेज के छात्रों के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाकर प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजा। बदायूँ से युवा लेखक डा. शालीन कुमार सिंह ने ईमेल और अपने ब्लॉग के ज़रिये हज़ारों की संख्या में लोगों को आन्दोलन की ख़बरों से लगातार वाकिफ कराया और समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पांडिचेरी से डा. अजु मुखोपाध्यााय ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा। ‘मोहल्ला लाइव’ के अविनाश और ‘आखर’ के चन्द्रपाल ने अपनी वेबसाइट के ज़रिये आन्दोलन की ख़बरों को व्यापक समुदाय तक पहँचाने में मदद की।
पटना में ‘मज़दूर’ अखबार के सम्पादक सतीश कुमार तथा ग्रामीण मज़दूर यूनियन, बिहार के नेता अशोक ने मज़दूर नेताओं को फौरन रिहा करने तथा मज़दूरों की माँगें पूरी करने की माँग की।
जयपुर में लोक सम्पत्ति संरक्षण संगठन के अध्यरक्ष श्री पी.एन. मैन्दोला ने अपने संगठन की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार को भेजे ज्ञापन में दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की।
मुम्बई में एडमिरल विष्णु भागवत ने स्वयं मज़दूर आन्दोलन के दमन की निन्दा करने के साथ ही उत्तर प्रदेश में विभिन्न संगठनों को फोन करके प्रशासन पर दबाव डालने की अपील की। मुम्बई पत्रकार संघ के एम.जे. पाण्डे और यू.एन.आई. इंप्लाइज़ फेडरेशन के महासचिव सी.पी. झा ने मज़दूर नेताओं को अविलम्ब रिहा करने और उनकी माँगें मानने की माँग की। मुम्बई के वरिष्ठ पत्रकार विजयप्रकाश सिंह ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर ज्ञापन भेजा।
लखनऊ में विभिन्न संगठनों ने प्रेस क्लब से जुलूस निकाला तथा जीपीओ स्थित गाँधी प्रतिमा पर धरना दिया। मुख्यमंत्री को दिये गये ज्ञापन में मज़दूर नेताओं की बर्बर पिटाई करने वाले अधिकारियों को तत्काल निलम्बित कर जाँच कराने की भी माँग की गई। ज्ञापन पर वरिष्ठ पत्रकार एवं पीयूसीएल की सचिव वन्दना मिश्रा, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. रमेश दीक्षित, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सी.बी. सिंह, वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना, जन संस्कृति मंच के कौशल किशोर, एपवा की विमला किशोर एवं शोभा सिंह, युवा भारत की लता राय, राहुल फाउण्डेशन की अध्यकक्ष कात्यायनी, अलग दुनिया के श्री के.के. वत्स, दिशा छात्र संगठन के अभिनव, नौजवान भारत सभा के राकेश, दीपक, शालिनी, कलाकार रामकरण, चित्रकार रामबाबू सहित डेढ़ सौ से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए।
लुधियाना में विभिन्न संगठनों की आपात बैठक में प्रस्ताव पारित कर गोरखपुर के मजदूर आन्दोलन का दमन करनेवाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।
ज्ञापन पर शहीदेआज़म भगतसिंह के भांजे एवं जनवादी अधिकार सभा पंजाब के सचिव प्रो. जगमोहन सिंह, कारख़ाना मज़दूर यूनियन, लुधियाना के संयोजक राजविन्दर, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्स यूनियन के प्रधान विजय नारायण, इंकलाबी केंद्र पंजाब के सचिव जसवन्त जीरख, लोकमोर्चा पंजाब के सचिव कस्तूरी लाल, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के नेता मास्टर भजन सिंह, लाल झंडा पंजाब निर्माण मजदूर यूनियन के प्रधान हरदेव सिंह सनेत, टेक्स्टाइल एंड होज़री मज़दूर यूनियन के प्रधान श्यामनारायण यादव, ऑल इंडिया सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन्स, लुधियाना के बालकिशन, लोक एकता संगठन के प्रधान गल्लर चौहान, शहीद भगतसिंह विचार मंच के अध्य क्ष प्रो. ए.के. मलेरी ने हस्ताक्षर किये। सभी संगठनों ने कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश प्रशासन के मजदूर विरोधी रवैये का भण्डाफोड़ करेंगे और अगर गोरखपुर में गिरफ्तार मजदूर नेताओं को रिहा नहीं किया गया तो पंजाब से विभिन्न संगठनों का जत्था उनके समर्थन में अभियान चलाने के लिए गोरखपुर भेजा जायेगा।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की ओर से शेख अंसार ने गोरखपुर में मज़दूर आन्दोलन के दमन की कड़ी निन्दा करते हुए मज़दूरों की माँगों पर तुरन्त अमल की माँग की। पुणे से लोकायत संगठन के नीरज जैन, जबलपुर से वरिष्ठ कवि मलय, हैदराबाद से प्रसिद्ध लेखिका रंगनायकम्मा और बी.आर. बापूजी, कोटा से नागरिक अधिकारकर्मी दिनेशराय द्विवेदी, झुंझनू से बजरंगलाल एडवोकेट सहित सैकड़ों व्यक्तियों ने इस आन्दोलन को अपना समर्थन दिया। समर्थन के पत्र, फोन और ईमेल अब भी लगातार मिल रहे हैं।

बिगुल, नवम्‍बर 2009


 

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