जनवाद के लिए सबसे आगे बढ़कर लड़ने वाले के रूप में मज़दूर वर्ग

लेनिन

lenin_1921-07_beim_3_kongress_der_kominternहम देख चुके हैं कि अधिक से अधिक व्यापक राजनीतिक आन्दोलन चलाना और इसलिए सर्वांगीण राजनीतिक भण्डाफोड़ का संगठन करना गतिविधि का एक बिल्कुल ज़रूरी और सबसे ज़्यादा तात्कालिक ढंग से ज़रूरी कार्यभार है, बशर्ते कि यह गतिविधि सचमुच सामाजिक-जनवादी ढंग की हो। परन्तु हम इस नतीजे पर केवल इस आधार पर पहुँचे थे कि मज़दूर वर्ग को राजनीतिक शिक्षा और राजनीतिक ज्ञान की फ़ौरन ज़रूरत है। लेकिन यह सवाल को पेश करने का एक बहुत संकुचित ढंग है, कारण कि यह आम तौर पर हर सामाजिक- जनवादी आन्दोलन के और ख़ास तौर पर वर्तमान काल के रूसी सामाजिक- जनवादी आन्दोलन के आम जनवादी कार्यभारों को भुला देता है। अपनी बात को और ठोस ढंग से समझाने के लिए हम मामले के उस पहलू को लेंगे, जो “अर्थवादियों” के सबसे ज़्यादा “नज़दीक” है, यानी हम व्यावहारिक पहलू को लेंगे। “हर आदमी यह मानता है” कि मज़दूर वर्ग की राजनीतिक चेतना को बढ़ाना ज़रूरी है। सवाल यह है कि यह काम कैसे किया जाये, इसे करने के लिए क्या आवश्‍यक है? आर्थिक संघर्ष मज़दूरों को केवल मज़दूर वर्ग के प्रति सरकार के रवैये से सम्बन्धित सवाल उठाने की “प्रेरणा देता है” और इसलिए हम “आर्थिक संघर्ष को ही राजनीतिक रूप देने” की चाहे जितनी भी कोशिश करें, इस लक्ष्य की सीमाओं के अन्दर-अन्दर रहते हुए हम मज़दूरों की राजनीतिक चेतना को कभी नहीं उठा पायेंगे, कारण कि ये सीमाएँ बहुत संकुचित हैं। मार्तीनोव का सूत्र हमारे लिए थोड़ा-बहुत महत्त्व रखता है, इसलिए नहीं कि उससे चीज़ों को उलझा देने की मार्तीनोव की योग्यता प्रकट होती है, बल्कि इसलिए कि उससे वह बुनियादी ग़लती साफ़ हो जाती है, जो सारे “अर्थवादी” करते हैं, अर्थात उनका यह विश्‍वास कि मज़दूरों की राजनीतिक वर्ग चेतना को उनके आर्थिक संघर्ष के अन्दर से बढ़ाया जा सकता है, अर्थात इस संघर्ष को एकमात्र (या कम से कम मुख्य) प्रारम्भिक बिन्दु मानकर, उसे अपना एकमात्र (या कम से कम मुख्य) आधार बनाकर राजनीतिक वर्ग चेतना बढ़ायी जा सकती है। यह दृष्टिकोण बुनियादी तौर पर ग़लत है। “अर्थवादी” लोग उनके ख़िलाफ़ हमारे वाद-विवाद से नाराज़ होकर इन मतभेदों के मूल कारणों पर गम्भीरतपूर्वक विचार करने से इन्कार करते है, जिसका यह परिणाम होता है कि हम एक-दूसरे को क़तई नहीं समझ पाते, दो अलग-अलग ज़बानों में बोलते हैं।

मज़दूरों में राजनीतिक वर्ग चेतना बाहर से ही लायी जा सकती है, यानी केवल आर्थिक संघर्ष के बाहर से, मज़दूरों और मालिकों के सम्बन्धों के क्षेत्र के बाहर से। वह जिस एकमात्र क्षेत्र से आ सकती है, वह राज्यसत्ता तथा सरकार के साथ सभी वर्गों तथा स्तरों के सम्बन्धों का क्षेत्र है, वह सभी वर्गों के आपसी सम्बन्धों का क्षेत्र है। इसलिए इस सवाल का जवाब कि मज़दूरों तक राजनीतिक ज्ञान ले जाने के लिए क्या करना चाहिए, केवल यह नहीं हो सकता कि “मज़दूरों के बीच जाओ” – अधिकतर व्यावहारिक कार्यकर्ता, विशेषकर वे लोग, जिनका झुकाव “अर्थवाद” की ओर है, यह जवाब देकर ही सन्‍तोष कर लेते हैं। मज़दूरों तक राजनीतिक ज्ञान ले जाने के लिए सामाजिक-जनवादी कार्यकर्ताओं को आबादी के सभी वर्गों के बीच जाना चाहिए और अपनी सेना की टुकड़ियों को सभी दिशाओं में भेजना चाहिए।

हमने इस बेडौल सूत्र को जानबूझकर चुना है, हमने जानबूझकर अपना मत अति सरल, एकदम दो-दूक ढंग से व्यक्त किया है – इसलिए नहीं कि हम विरोधाभासों का प्रयोग करना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि हम “अर्थवादियों” को वे काम करने की “प्रेरणा देना” चाहते हैं, जिनको वे बड़े अक्षम्य ढंग से अनदेखा कर देते हैं, हम उन्हें ट्रेडयूनियनवादी राजनीति और सामाजिक-जनवादी राजनीति के बीच अन्तर देखने की “प्रेरणा देना” चाहते हैं, जिसे समझने से वे इन्कार करते हैं। अतएव हम पाठकों से यह प्रार्थना करेंगे कि वे झुँझलायें नहीं, बल्कि अन्त तक ध्यान से हमारी बात सुनें।

पिछले चन्द बरसों में जिस तरह का सामाजिक-जनवादी मण्डल सबसे अधिक प्रचलित हो गया है, उसे ही ले लीजिये और उसके काम की जाँच कीजिये। “मज़दूरों के साथ उसका सम्पर्क” रहता है और वह इससे सन्तुष्‍ट रहता है, वह परचे निकालता है, जिनमें कारख़ानों में होनेवाले अनाचारों, पूँजीपतियों के साथ सरकार के पक्षपात और पुलिस के ज़ुल्म की निन्दा की जाती है। मज़दूरों की सभाओं में जो बहस होती है, वह इन विजयों की सीमा के बाहर कभी नहीं जाती या जाती भी है, तो बहुत कम। ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास के बारे में, हमारी सरकार की घरेलू तथा वैदेशिक नीति के प्रश्‍नों के बारे में, रूस तथा यूरोप के आर्थिक विकास की समस्याओं के बारे में और आधुनिक समाज में विभिन्न वर्गों की स्थिति के बारे में भाजणों या वाद-विवादों का संगठन किया जाता है। और जहाँ तक समाज के अन्य वर्गों के साथ सुनियोजित ढंग से सम्पर्क स्थापित करने और बढ़ाने की बात है, उसके बारे में तो कोई सपने में भी नहीं सोचता। वास्तविकता यह है कि इन मण्डलों के अधिकतर सदस्यों की कल्पना के अनुसार आदर्श नेता वह है, जो एक समाजवादी राजनीतिक नेता के रूप में नहीं, बल्कि ट्रेडयूनियन के सचिव के रूप में अधिक काम करता है, क्योंकि हर ट्रेडयूनियन का, मिसाल के लिए, किसी ब्रिटिश ट्रेडयूनियन का सचिव आर्थिक संघर्ष चलाने में हमेशा मज़दूरों की मदद करता है, वह कारख़ानों में होनेवाले अनाचारों का भण्डाफोड़ करने में मदद करता है, उन क़ानूनों तथा पगों के अनौचित्य का पर्दाफ़ाश करता है, जिनसे हड़ताल करने और धरना देने (हर किसी को यह चेतावनी देने के लिए कि अमुक कारख़ाने में हड़ताल चल रही है) की स्वतन्त्रता पर आघात होता है, वह मज़दूरों को समझाता है कि पंच- अदालत का जज, जो स्वयं बुर्जुआ वर्गों से आता है, पक्षपातपूर्ण होता है, आदि, आदि। सारांश यह कि “मालिकों तथा सरकार के ख़िलाफ़ आर्थिक संघर्ष” ट्रेडयूनियन का प्रत्येक सचिव चलाता है और उसके संचालन में मदद करता है। पर इस बात को हम जितना ज़ोर देकर कहें थोड़ा है कि बस इतने ही से सामाजिक-जनवाद नहीं हो जाता, कि सामाजिक-जनवादी का आदर्श ट्रेडयूनियन का सचिव नहीं, बल्कि एक ऐसा जन-नायक होना चाहिए, जिसमें अत्याचार और उत्पीड़न के प्रत्येक उदाहरण से, वह चाहे किसी भी स्थान पर हुआ हो और उसका चाहे किसी भी वर्ग या स्तर से सम्बन्ध हो, विचलित हो उठने की क्षमता हो; इसमें इन तमाम उदाहरणों का सामान्यीकरण करके पुलिस की हिंसा तथा पूँजीवादी शोषण का एक अविभाजय चित्र बनाने की क्षमता होनी चाहिए; उसमें प्रत्येक घटना का, चाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न हो, लाभ उठाकर अपने समाजवादी विश्‍वासों तथा अपनी जनवादी माँगों को सभी लोगों को समझा सकने और सभी लोगों को सर्वहारा के मुक्ति-संग्राम का विश्‍व- ऐतिहासिक महत्त्व समझा सकने की क्षमता होनी चाहिए।

(‘क्या करें’ से)


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments