भगतसिंह के शहादत दिवस पर कार्यक्रम

भगतसिंह के शहादत दिवस पर पोस्टर प्रदर्शनी

23 march 2009 exhibitionलखनऊ, 23 मार्च। ‘हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली, ये मुश्ते ख़ाक़ है फ़ानी, रहे रहे न रहे।’ ये पक्तियाँ शहीदेआज़म भगतसिंह ने फाँसी के फन्दे को चूमने से पहले अपने भाई कुलतार सिंह के नाम लिखे अन्तिम पत्र में लिखी थीं।

भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस (23 मार्च) के अवसर पर राहुल फाउण्डेशन ने लखनऊ के हज़रतगंज में एक पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की। पोस्टर में भगतसिंह के उद्धरण “अगर कोई सरकार जनता को उसके बुनियादी हक़ों से वंचित रखती है तो उस देश के नौजवानों का हक़ ही नहीं, आवश्यक कर्त्तव्य बन जाता है कि वह ऐसी सरकार को उखाड़ फेंके या तबाह कर दें।” को लेकर प्रदर्शनी स्थल पर नागरिकों व नौजवानों के बीच काफी बहस-मुबाहिसे का माहौल उपस्थित था। प्रदर्शनी आयोजक सदस्य लालचंद का कहना था कि इस जगह प्रदर्शनी लगाने का उद्देश्य भगतसिंह के विचारों को आम लोगों के बीच ले जाना है, उन्हें इन विचारों से परिचित करना और भगतसिंह के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए उनका आह्वान करना है। शालिनी का कहना था कि आज देश के वर्तमान हालत को बदलने के लिए भगतसिंह के विचारों के आधाशर पर एक क्रान्तिकारी संगठन बनाने के काम में हम लोग लगे हुए हैं और यह बताना चाहते हैं कि भगतसिंह के विचार जीवित हैं और उनके सपनों के हिन्दुस्तान को बनाने के लिए आज के युवा आगे आयेंगे।

इस अवसर पर ‘जनस्वर’ नाम से एक बड़े पोस्टर पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ भी ली जा रही थीं। साथ ही भगतसिंह की स्मृति में लोगों के बीच एक संकल्प पर्चा भी वितरित किया जा रहा था। प्रदर्शनी के पोस्टर पर लिखा भगतसिंह का यह सन्देश मानो आज के नौजवानों के नाम उनके पैग़ाम को ज़ाहिर कर रहा था – “नौजवानों को क्रान्ति का यह सन्देश देश के कोने-कोने में पहुँचाना है, कारखानों के क्षेत्रों में, गन्दी बस्तियों और गाँवों की जर्जर झोंपड़ियों में रहने वाले करोड़ों लोगों में इस क्रान्ति की अलख जगानी है जिससे आज़ादी आयेगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असम्भव हो जायेगा।”

बादली-नरेला इलाके में दो दिन का साइकिल अभियान

दिल्ली में ‘नौजवान भारत सभा’ और ‘बिगुल मजदूर दस्ता’ के कार्यकर्ताओं ने दो दिन की साइकिल रैली निकाली। 22 मार्च को सुबह सात बजे से बादली से यह रैली शुरू हुई तथा बादली के राजा विहार, सूरज पार्क, समयपुर, यादव नगर, संजय कालोनी जे.जे. कैम्प होते हुए शाहबाद दौलतपुर के रास्ते शाहबाद डेयरी पहुँची। शाहबाद डेयरी की गलियों में जोरदार नारे लगाते हुए जगह-जगह नुक्कड़ सभायें की गयीं। इसके बाद रैली प्रह्लादपुर होते हुए, बेड़ाकलाँ, नया बाँस के रास्ते होलम्बी पहुँची। होलम्बी कलाँ में मेट्रो विहार 1 तथा दो में लाखों मज़दूरों की आबादी रहती है। मेट्रोविहार की गलियों में भी नारों, नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से भगतसिंह के विचारों से लोगों को परिचित कराया गया। रैली में ‘भगतसिंह का ये पैगाम, जागो मेहनतकश अवाम’, भगतसिंह तुम ज़िन्दा हो, हम सब के संकल्पों में’, ‘भगतसिंह का ख्वाब अधूरा, इसी सदी में होगा पूरा’, ‘भगतसिंह ने दी आवाज़, बदलो-बदलो देश समाज़, ‘ख़त्म करो पूँजी का राज, लड़ो बनाओ लोकस्वराज़ आदि नारे लगाए गए। वहाँ से साइकिल रैली शाहपुर गढ़ी होते हुए नरेला की पुनर्वास कालोनी के रास्ते सेक्टर ए-5 के पॉकेट 14 पहुँची और शाम आठ बजे यहीं पर पहले दिन की साइकिल रैली का समापन किया गया।

23 मार्च की सुबह साइकिल रैली नरेला के विभिन्न इलाकों में सेक्टर ए-5 तथा ए-6 के पॉकेट 4, 5, 8, 10, 11, 13 आदि में नुक्कड़ सभाएं करते हुए नरेशा पहुँची। नरेला के राजीव कालोनी, पंजाबी कालोनी, स्वतन्त्रनगर, कुरैनी आदि इलाकों से होते हुए रैली भोरगढ़ के फैक्टरी इलाकों में पहुँची। शाम को फैक्टरियों की छुट्टी होते ही मजदूरों की विशाल आबादी बाहर निकली तथा ‘नौजवान भारत सभा’ तथा ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ के कार्यकर्ताओं की बातों को ध्यान से सुना और पर्चे लिये। यहां नौ.भा.स. तथा ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ के कार्यकर्ताओं ने मज़दूरों को याद दिलाया कि भगतसिंह और उनके साथी मज़दूरों-किसानों की आज़ादी के लिए, एक समतामूलक समाज बनाने का ख्वाब आँखों में लिये हँसते हुए फाँसी के फन्दे पर झूल गये। पर आज अंग्रेज़ों को इस देश से गये हुए 62 साल से ज़्यादा बीतने के बावजूद, तरह-तरह की चुनावी पार्टियाँ पूँजीपतियों की तिजोरी भरने तथा मेहनतकशों की ज़िन्दगी को तबाह-बर्बाद करने में लगी हैं।

दोपहर में रैली सिंधु बॉर्डर होते हुए कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र पहुँची जहाँ लंच के लिए हजारों मज़दूर फैक्टरियों से बाहर आते हैं। वहाँ भी लोगों ने साइकिल रैली का ज़ोरदार ढंग से स्वागत किया। शाम को सात बजे साइकिल रैली का समापन हुआ।

क्रान्तिकारियों के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प

शहीद भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव के 78वें शहादत दिवस के मौके पर नौजवान भारत सभा, स्त्री मुक्ति लीग और बादाम मज़दूर यूनियन ने दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। इसकी पूर्व संध्या पर दिलशाद गार्डन में शहीदों के जीवन को दर्शाती पोस्टर प्रदर्शनी व सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया और करावल नगर में 23 मार्च को प्रभात फेरी व शाम को मशाल जुलूस निकाला गया। दिलशाद गार्डन स्थित जी.टी.बी. अस्पताल के आवासीय परिसर में कार्यक्रम का प्रारम्भ शहीदों की स्मृति में नौभास की गायन टोली ने क्रांतिकारी गीतों से किया।

‘भगत सिंह तुम जिन्दा हो, हम सबके संकल्पों में ’, भगत सिंह की बात करेंगे, जुल्म नहीं बर्दाशत करेंगे, आदि नारे लगाते हुए, हाथों में मशाल थामे क्रांतिकारी नौजवानों की टोली ने करावल नगर के मुकुन्द विहार, अंकुर एन्कलेव, प्रकाश विहार, न्यू सभापुर गुजरान व शहीद भगतसिंह कॉलोनी की गलियों में गुजरते हुए क्रांतिकारी अलख जगाने का प्रयास किया। इस मशाल जुलूस के तहत जगह-जगह नुक्कड़ सभाएँ करते  हुए बताया गया कि भगतसिंह व साथियों ने जिस आजाद भारत का सपना देखा था वह पूरा नहीं हुआ। भगतसिंह के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए लोगों को आगे आना होगा। मशाल जुलूस का समापन एक संकल्प सभा के साथ किया गया। सभा में नौ.भा.स. के संयोजक आशीष ने कहा कि आज चारों ओर पस्त हिम्मती का आलम छाया हुआ है ऐसे में बहादुर क्रांतिकारियों को याद करना जरूरी है। इन शहीदों की कुर्बानी हमें ऊर्जा और प्रेरणा देती है।

इस मौके पर ‘अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम’ शीर्षक से एक पर्चा भी निकाला गया। इसे दिल्ली की बसों में व मजदूर बस्तियों में व्यापक संख्या में बांटा गया। इस पर्चें में बताया गया कि ‘भगत सिंह की लड़ाई सिर्फ़ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ नहीं थी। वह हर किस्म के शोषण के खिलाफ लड़ रहे थे’।

 

बिगुल, अप्रैल 2009

 


 

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