अब तो देसवा में फैल गईल बिमारी

सिद्धेश्वर यादव, वेल्डर, फ़ौजी कॉलोनी, शेरपुर, लुधियाना

अब तो देसवा में फैल गईल बिमारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी।
मज़दूर ग़रीब रात दिन कमाये,
फुटपाथ पर सो-सो के अपना जीवन बिताये।
तो ओकरे जीवन में दुख भारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
बल-छल कपट के ओकरे हइ जमाना,
बड़े-बड़े कोठी धरल रुपया के भरला खजाना।
उहो देशवा से करेला गद्दारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
आज के नेतवन के बिगड़ल चलनिया,
झूठा-झूठा वादा करे देश में देवे भाषणिया,
तो आज इनके हटावा देश से किनारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
दहेज खातिर बहू के आग में जलावल जाला,
हक़ माँगे मज़दूर तो केस में फसावल जाला,
इहे है सरकार, अफ़सर, पुलिस के नीति दमनकारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
महँगाई बेरोजगारी देश में कैसे मिट पाई,
बाल-बच्चा लड़कन हमनी के स्कूल में कैसे पढ़ पाई,
तो पूँजीवाद बन गईल विनासकारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
कुर्सी खातिर नेता देश में धर्म के देवें नारा,
दंगा फसाद करके मिटावें आपसी भाईचारा,
अब तो हमनी हटावल देश से भ्रष्टाचारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
नेता राज ठाकरे फैलौले क्षेत्रवाद के लहरिया,
उत्तर भारत के लोग छोड़ दा तू मुम्बई शहरिया,
अब तो देशवा में जीयल हो गई भारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
शहीद भगत सिंह देहले देश में इंकलाब का नारा,
श्रमिक क्रान्ति फैली तो देश में होई उजाला,
संगठन बनाला क्रान्तिकारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
समाजवाद के परचम हमनी देश में फैरावल,
बिगुल अखबार पढ़िके गियान के जोत जगावा,
कहला सिद्धेश्वर क्रान्तिकारी,
तो सुनो भइया देश के जनता दुखियारी…अब तो देसवा…
 

बिगुल, सितम्‍बर 2009


 

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