वज़ीरपुर स्टील उद्योग के गरम रोला के मज़दूर फि़र से जुझारू संघर्ष की राह पर

बिगुल संवाददाता

Wazirpur strike day15_20.6.14_1दिल्ली के वज़ीरपुर औद्योगिक इलाक़े के 26 गरम रोला (हॉट रोलिंग) कारख़ानों के करीब 1600 मज़दूर ‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ के नेतृत्व में पिछले 6 जून से हड़ताल पर हैं। मज़दूरों की माँग है कि सभी श्रम क़ानूनों को सख़्ती से लागू किया जाये।

वज़ीरपुर स्टील की बहुत बड़ी इण्डस्‍ट्री है। यहाँ पर लोहे को पिघलाकर और ढालकर बर्तन और स्टील का अन्य सामान बनाया जाता है। काम करने की परिस्थितियाँ बेहद अमानवीय हैं। लोहा पिघलाने की भट्ठियों के पास खड़े होकर और स्टील की बेहद धारदार पत्तियों के बीच मज़दूरों को काम करना पड़ता है। मज़दूरों को न श्रम क़ानूनों के तहत मिलने वाले कोई लाभ नसीब होते हैं और न ही काम करने की जगह पर सुरक्षा का ही कोई इन्तज़ाम होता है। ऐसे में मज़दूर अपने श्रम अधिकारों को हासिल करने के लिए गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में हड़ताल पर हैं। यूनियन के साथी रघुराज का कहना है कि पिछले साल 2013 में भी हड़ताल हुई थी जिसमें कुछ चीजें हासिल हुई थी। किन्तु हर साल 1500 रुपये मज़दूरी बढ़ाने और पी.एफ़., ईएसआई देने से फ़ैक्टरी मालिक मुकर गये। ऐसे में मज़दूरों को फिर से हड़ताल पर उतरना पड़ा। गरम रोला मज़दूर एकता समिति से जुड़े सनी सिंह ने बताया कि श्रम विभाग से मज़दूरों का शोषण छिपा नहीं है, बल्कि श्रम क़ानूनों के लागू न होने का एक सबसे बड़ा कारण ख़ुद श्रम विभाग की उदासीनता है। इलाक़े में नीमड़ी कॉलोनी में श्रम विभाग का दफ्तर है, किन्तु उनकी नाक के नीचे मज़दूरों का शोषण बदस्तूर जारी है। मज़दूरों को न तो दिल्ली सरकार द्वारा तय न्यूनतम मज़दूरी मिलती है और न ही ओवरटाइम का डबल रेट से भुगतान होता है। ठेकेदारी प्रथा के तहत हज़ारों मज़दूर सालों-साल से काम कर रहे हैं। ऐसे में श्रम विभाग को चाहिए कि वह इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करे और श्रम क़ानूनों को सख़्ती से लागू कराये। गरम रोला मज़दूरों की कमेटी के एक मज़दूर बाबूराम का कहना था कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक उनके क़ानूनी हक़ हासिल नहीं कर लिये जाते।

Wazirpur strike day8_13.6.14_008मौजूदा संघर्ष की शुरुआत बाकायदा तैयारी के साथ की गयी थी। जून के आरम्भ में ही इलाक़े में हड़ताल की सुगबुगाहट होने लगी थी। फिर 4 जून को पूरे इलाक़े में पर्चे बाँटते हुए व्यापक हड़ताल का आह्वान किया गया। 6 जून को पूरे ओद्यौगिक इलाक़े को बन्द करवाते हुए व्यापक रैली निकाली गयी। स्टील लाइन से जुड़े तमाम अन्य पेशों जैसे ठण्डा रोला, सर्किल, तेज़ाब, तैयारी, फुडाई और पैकिंग के मज़दूरों का भी हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया गया। 9 जून को परचा वितरण व प्रचार करते हुए 10 जून को फिर से इलाक़े में विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें पूरे औद्योगिक क्षेत्र के 7000 मज़दूर शामिल हुए। इसके बाद 12 जून को विभिन्न सरकारी महक़मों में ज्ञापन सौंपा गया। मज़दूरों के आन्दोलन के दबाव में 14 जून को श्रम विभाग की तरफ़ से गरम रोला के सभी 26 कारख़ानों के मालिकों को गरम रोला मज़दूर एकता समिति के प्रतिनिधिमण्डल के साथ वार्ता के लिए बुलाया गया था। इसमें कोई कारख़ाना मालिक नहीं पहुँचा, बल्कि उन्होंने अपने एक मैनेजर को भेज दिया, जिसे श्रम विभाग ने बैरंग लौटा दिया और सभी फ़ैक्टरियों में श्रम क़ानूनों के उल्लंघन की जाँच का निर्देश दिया और मज़दूरों को काम पर जाने के लिए कहा। किन्तु मज़दूर बिना माँगों को माने काम पर जाने के लिए राजी नहीं हुए और हड़ताल पर डटे हुए हैं। हर रोज़ मज़दूर वज़ीरपुर औद्योगिक इलाक़े के राजा पार्क में गर्मजोशी के साथ सभा करते हैं और अपनी आवाज़ को अन्य मज़दूरों तक पहुँचाने का संकल्प लेते हैं। हड़ताल सभा की शुरुआत ‘जारी है हड़ताल’ नामक गीत के साथ होती है। मज़दूर किसी भी तरह से मालिकों और मैनेजमेण्ट के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि भले ही मालिक आज समझौते की टेबल पर आने के लिए तैयार न हों, किन्तु देर-सबेर उन्हें हमारी जायज़ क़ानूनी माँगों को मानना ही पड़ेगा।

Strike 6th june 2रोज़ विभिन्न मज़दूर कार्यकर्ता और अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधि सभा में इस आन्दोलन के समर्थन में अपनी बात रखते हैं। स्त्री मज़दूर संगठन की बेबी कुमारी ने अपनी बात में रखा कि हमें महिला मज़दूरों को भी अपने संघर्ष में साथ लेना होगा, ताकि हमारा संघर्ष और भी ताक़त के साथ आगे बढ़ सके। उन्होंने दिल्ली के करावल नगर के बादाम मज़दूरों के आन्दोलन में महिला मज़दूरों की भागीदारी का हवाला देते हुए बताया कि महिला मज़दूरों ने हर संघर्ष में किस तरह से पुरुष मज़दूरों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर संघर्ष लड़ा। दिल्ली कामगार यूनियन के नवीन ने अपनी बात में ट्रेड यूनियन के सम्बन्ध में आम बातें रखते हुए बताया कि ट्रेड यूनियन के संघर्षों में सभी मज़दूरों को भागीदारी करनी चाहिए तथा कोई भी आन्दोलन सामूहिकता के दम पर ही जीता जा सकता है, साथ ही संगठन में वित्तीय पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने देशभर में चले बड़े मज़दूर आन्दोलनों के सम्बन्ध में भी मज़दूरों के साथ अपनी बात साझा की। गरम रोला मज़दूर एकता समिति के मज़दूर साथी अम्बिका ने कहा कि हमें अपनी सभा को जोश के साथ चलाना होगा और सभी मज़दूर इस हड़ताल में शिरकत करें। उन्होंने आगे कहा की हड़ताल में सभी मज़दूर न सिर्फ़ पार्क में बैठें, बल्कि मज़दूर वर्ग की इस पाठशाला का इस्तेमाल वर्ग चेतन होने के लिए करें। करावल नगर मज़दूर यूनियन के योगेश ने कहा कि इस हड़ताल पर ठण्डा रोला, स्टील लाइन, रिक्शा के मज़दूर भी उम्मीद लगाये बैठे हैं, इस हड़ताल में जीत पूरे वज़ीरपुर के मज़दूरों की जीत होगी और यह अन्य मज़दूरों को भी संघर्ष के रास्ते पर उतरने का रास्ता दिखायेगी। हर रोज़ सभा का समापन मज़दूर हड़ताल को मज़बूत बनाने व इसे जीतकर ही उठने की शपथ लेकर करते हैं। बिगुल मज़दूर दस्ता की सांस्कृतिक टोली ‘एक कथा सुनो रे लोगो’, ‘जारी है हड़ताल’, ‘यूनियन हमारी एकता’, ‘रउरा सासना के बाटे ना जवाब’, ‘हम मेहनतकश’ और ‘हल्ला बोल’ जैसे गीतों के माध्यम से सभा की जीवन्तता बरकरार रखती है।

इस हड़ताल का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि 26 फ़ैक्टरियों के मज़दूरों ने हर कारख़ाने की कमेटी बनाकर इस हड़ताल का संचालन किया, जो ट्रेडयूनियन जनवाद की मिसाल है। यह हमारी इस लड़ाई का सकारात्मक पहलू है। अब गरम रोला मज़दूरों को इन सकारात्मक अनुभवों को आगे बढ़ाते हुए क्या करना होगा? बिगुल मज़दूर दस्ता का यह मानना है कि गरम रोला मज़दूर एकता समिति को अपने संघर्ष को गरम रोला के  साथ ही स्टील लाइन से जुड़े तमाम अन्य पेशों जैसे ठण्डा रोला, सर्किल, तेज़ाब, तैयारी, फुडाई और पैकिंग व वज़ीरपुर इलाक़े की सभी फ़ैक्टरियों के मज़दूरों के साथ जोड़ना होगा। 700 कारख़ानों में मज़दूरों की ज़्यादातर माँगें समान हैं। वज़ीरपुर इलाक़े के मज़दूर उधम सिंह पार्क, शालीमार बाग़ व सुखदेव नगर की झोपड़पट्टियों में रहते हैं और यहाँ मज़दूरों की आवास, पानी व अन्य साझा माँगें भी बनती हैं। इसलिए गरम रोला के संघर्ष को और भी जीवन्त तरीक़े से अन्य पेशों के मज़दूरों के साथ जोड़ने की ज़रूरत है। इन सभी माँगों को समेटने और इस लड़ाई को व्यापक बनाने का काम एक इलाक़ाई यूनियन ही कर सकती है। और वैसे भी गरम रोला मज़दूर एकता समिति किसी एक कारख़ाने की यूनियन नहीं है, बल्कि इसमें 26 कारख़ानों के मज़दूर संगठित हैं, बस इसे विस्तारित करने की ज़रूरत है।

मज़दूर हर रोज़ औद्योगिक इलाक़े के राजा पार्क में अपनी सभा चलाते हैं, जहाँ विभिन्न संगठनों से जुड़े मज़दूर कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन भी समर्थन के लिए आते हैं। हड़ताल के समर्थन के लिए बिगुल मज़दूर दस्ता, करावल नगर मज़दूर यूनियन, दिल्ली कामगार यूनियन, गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति, विहान सांस्कृतिक टोली, पीयूडीआर, पीयूसीएल, ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क आदि संगठन व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर प्रभु महापात्र व कुछ छात्र भी लगातार शिरकत कर रहे हैं। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक मज़दूरों का संघर्ष लगातार जारी है।

 

मज़दूर बिगुल, जून 2014

 


 

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