पंजाब में क्रान्तिकारियों की याद में कार्यक्रम
23 मार्च 1931 के शहीदों का 79वाँ शहादत दिवस 

 बिगुल संवाददाता

नौजवान भारत सभा ने महान शहीदों – भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 79वें शहादत दिवस के अवसर पर पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों – लुधियाना, मण्डी गोबिन्दगढ़, माछीवाड़ा, पख्खोवाल, रायकोट, जगराओं, नवाँ शहर, जोनेवाल, खन्ना, अलोड़ गाँव, जोनेवाल गाँव में जोरदार प्रचार अभियान चलाकर हजारों लोगों तक शहीदों के विचार पहुँचाये। इस अवसर पर बड़े पैमाने पर पंजाबी और हिन्दी में पर्चा भी बाँटा गया। शहीद भगतसिंह की तस्वीर वाला एक आकर्षक पोस्टर पंजाब के अनेक शहरों और गाँवों में दीवारों पर चिपकाया गया। लुधियाना, मण्डी गोबिन्दगढ़ और माछीवाड़ा में क्रान्तिकारी नाटकों और गीतों के जरिये शहीदों को श्रध्दांजलि की गयी।

लुधियाना : नौभास के सहयोग से कारखाना मजदूर यूनियन लुधियाना ने समराला चौक के पास स्थित ई. डब्ल्यू. एस. कालोनी में 21 मार्च को क्रान्तिकारी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की तैयारी के लिए मजदूर बस्तियों के बेड़ों और मण्डियों में पर्चे बाँटे गये। बेड़ों में मीटिंगें की गयीं। कमरे-कमरे जाकर मजदूरों को कार्यक्रम में पहुँचने का सन्देश दिया गया। 21 मार्च की दोपहर को 2.30 बजे कार्यक्रम शुरू हुआ। लुधियाना के विभिन्न इलाकों से स्त्री-पुरुष मजदूर बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत क्रान्तिकारी गीतों से हुई। गवीश, राजविन्दर और परमिन्दर ने ”तस्वीर बदल दो दुनिया की”, ”आ गये यहाँ जवाँ कदम”, ”ये किसका लहू है कौन मरा” आदि गीत पेश किये। इसके बाद शहीद भगतसिंह के अन्तिम जेल जीवन पर आधारित देविन्दर दमन का लिखा नाटक ”शहादत से पहले” और पूँजीवादी संसदीय व्यवस्था के ढोंग के बारे में गुरशरन सिंह का लिखा नाटक ”हवाई गोले” पेश किया गया। क्रान्तिकारी गीतों और नाटकों को लोगों ने खूब पसन्द किया। हमारी एक छोटी साथी गार्गी ने ”भगतसिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की” गीत पेश किया। साथी ताज ने अपनी एक कविता पेश की। साथी विक्रम ने लोगों के सामने जादू दिखाकर बताया कि कैसे ढोंगी तान्त्रिक बाबा लोगों को मूर्ख बनाते हैं। उन्होंने बताया कि जादू किसी तन्त्र-मन्त्र से नहीं, बल्कि हाथ की सफाई से होता है और हर कोई सीख सकता है। लोगों ने इसे खूब पसन्द किया।

कारखाना मजदूर यूनियन लुधियाना के संयोजक राजविन्दर ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि शहीदों का सपना पूरा करने के लिए जरूरी है कि हम जातियों, धर्मों और इलाकों के झगड़ों से ऊपर उठकर मजदूरों की वर्गीय एकता कायम करें। एकजुट संघर्षों में शामिल होते हुए और अन्य मजदूरों को शिक्षित करते हुए तथा अपने साथ जोड़ते हुए बड़ी और निर्णायक लड़ाई की तरफ बढ़ा जा सकता है। आज सभी सरकारों का मजदूर विरोधी चेहरा नंगा हो चुका है। आजादी के 63 साल बाद भी मजदूर अंग्रेजी गुलामी से भी बदतर जिन्दगी जीने को मजबूर हैं। मजदूरों के वे सारे हक-अधिकार वापस छीने जा रहे हैं, जो उन्होंने बेहिसाब कुर्बानियों के बाद हासिल किये थे। क्रान्तिकारी शहीदों के विचारों को जनता तक पहुँचाते हुए जनता को लुटेरे हुक्मरानों के खिलाफ जागरूक और संगठित करना ही महान शहीदों को सच्ची श्रध्दांजलि होगी।

मंच संचालन ताज मुहम्मद ने किया। ”इन्कलाब जिन्दाबाद”, ”अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम”, ”खत्म करो पूँजी का राज, लड़ो बनाओ लोक स्वराज”, ”मजदूर एकता जिन्दाबाद”, आदि गगनभेदी नारों के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

मण्डी गोबिन्दगढ़ : नौभास की मण्डी गोबिन्दगढ़ इकाई ने संगतपुरा मुहल्ले में क्रान्तिकारी नाटकों व गीतों के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। 22 मार्च की शाम को आयोजित किये गये इस कार्यक्रम की शुरुआत में राजविन्दर ने पाश की लिखी गजल ”दहकदे अंग्याराँ ते” पेश की। राजविन्दर और परमिन्दर ने ”माँ धरती,”, ”मशालाँ बाल के चलणा” आदि क्रान्तिकारी गीत पेश किये। ”शहादत से पहले” और ”हवाई गोले” नाटक पेश किये गये। एक छोटी बच्ची दीया जौली ने क्रान्तिकारी गीत पेश किया। लोगों ने जोरदार तालियों से उसका प्रोत्साहन बढ़ाया। साथी लखविन्दर ने अपने भाषण के जरिये कार्यक्रम में हाजिर लोगों तक शहीद भगतसिंह का सन्देश पहुँचाया। मंच संचालन मास्टर गुलशन ने किया।

नौभास ने मण्डी गोबिन्दगढ़, खन्ना तथा इलाके के कुछ गाँवों में बड़े पैमाने पर पर्चे बाँटकर लोगों तक क्रान्तिकारी शहीदों के विचारों को पहुँचाया और शहीदों के सपने पूरा करने के लिए आगे आने के लिए उनका आह्वान किया।

माछीवाड़ा : माछीवाड़ा की इन्दिरा कालोनी में नौभास द्वारा आयोजित क्रान्तिकारी सांस्कृतिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्त्री-पुरुष शामिल हुए। कार्यक्रम की तैयारी के लिए सभा के सदस्यों ने घर-घर जाकर पर्चा बाँटा और कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोगों का आह्वान किया। माछीवाड़ा कस्बे के अलावा क्षेत्र के गाँवों में भी पर्चा बाँटा गया।

27 मार्च की शाम को कार्यक्रम शुरू होने से पहले नौजवानों द्वारा मशाल जुलूस निकाला गया। ”इन्कलाब जिन्दाबाद”, ”शहीद भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु अमर रहें”, ”अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम” आदि नारे बुलन्द करते हुए नौजवान स्त्री-पुरुषों का यह जुलूस माछीवाड़ी की सड़कों और गलियों से गुजरा। लोगों ने घरों से निकलकर मशाल जुलूस का स्वागत किया। नौजवानों ने मशाल जुलूस के दौरान लोगों में शहीदों के विचारों का परिचय देता पर्चा भी बाँटा।

कार्यक्रम की शुरुआत गवीश, राजविन्दर और परमिन्दर द्वारा पेश किये गये क्रान्तिकारी गीतों से हुई। एक छोटे बच्चे ध्रमिन्दर ने ”हिन्दवासियो रखना याद सानू” गीत पेश किया। रिक्शा मजदूर धन्‍ना द्वारा पेश गीत सरदार भगतसिंह भी लोगों ने खूब पसन्द किया। साथी राजविन्दर ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”शहीद भगतसिंह का नाम सारे शहीदों से आगे आता है। इसका कारण उनका वैचारिक पक्ष है। उनके पास आजाद भारत की राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था का नक्शा था। भगतसिंह और उनके साथी साम्राज्यवादी लूट के साथ ही देशी पूँजीपतियों के हाथों जनता की लूट के भी खिलाफ थे। वे देश के कारखानों, खदानों और भूमि की मलकियत के हकदार वहाँ काम करने वाले मजदूरों, किसानों को ही मानते थे। लूट-शोषण के खिलाफ एकता बनाकर लड़ना ही शहीदों को सच्ची श्रध्दांजलि है।” मंच संचालन साथी लखविन्दर ने किया।

 

बिगुल, मार्च-अप्रैल 2010


 

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