बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कविता – हम राज करें, तुम राम भजो!

मनबहकी लाल
(बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कविता के आधार पर)

Poor and rich

खाने की टेबुल पर जिनके
पकवानों की रेलमपेल
वे पाठ पढ़ाते हैं हमको
‘सन्तोष करो, सन्तोष करो!’

उनके धन्धों की ख़ातिर
हम पेट काटकर टैक्स भरें
और नसीहत सुनते जायें –
‘त्याग करो, भई त्याग करो!’

मोटी-मोटी तोन्दों को जो
ठूँस-ठूँसकर भरे हुए
हम भूखों को सीख सिखाते
‘सपने देखो, धीर धरो!’

बेड़ा गर्क़ देश का करके
हमको शिक्षा देते हैं –
‘तेरे बस की बात नहीं
हम राज करें, तुम राम भजो!’

परिकल्पना प्रकाशन से प्रकाशित पुस्‍तक ‘कहे मनबहकी खरी-खरी’ से


 

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