मई दिवस के अवसर पर मज़दूर शहीदों को याद किया, पूँजी की गुलामी के ख़ि‍लाफ़ संघर्ष आगे बढ़ाने का संकल्प लिया

दिल्ली के वजीरपुर में तीन दिवसीय मज़दूर मेले का आयोजन

मालिकों द्वारा पैदा की गयी अड़चनों के कारण मेले का आयोजन न हो पाने के बावजूद मज़दूरों ने सांस्कृतिक सन्ध्या व मज़दूर सभा के रूप में मई दिवस मनाया

may day wzp 1मालिकों को मज़दूरों के जश्न कितने खलते हैं, इसका अन्दाज़ा वज़ीरपुर में मज़दूर मेले के आयोजन को असफल करने के प्रयासों से लगाया जा सकता है। परन्तु तमाम करतूतों के बावजूद मज़दूरों की हुँकार को वे नहीं रोक पाये। मज़दूर मेले के कार्यक्रम को रोकने के लिए मालिकों ने एमसीडी के एक दलाल अफ़सर का सहारा लिया। मेले के पहले दिन 29 अप्रैल को राजा पार्क में जब यूनियन के कार्यकर्ता स्टेज व साज-सज्जा के काम की शुरुआत करने जा रहे थे, तभी पार्क के लिए ज़िम्मेदार एमसीडी कर्मचारी रुकावट पैदा करने लगे। हालाँकि उस पार्क में मेले के आयोजन के लिए पहले ही निगम पार्षद पूनम भारद्वाज से अनुमति ली जा चुकी थी। इसी कारण मज़दूरों द्वारा बुक किये गये कई ठेलेवाले व झूलेवाले भी पार्क में नहीं पहुँचे। लेकिन फिर भी मज़दूर पार्क में आये व मेले में बच्चों द्वारा प्रस्तुत गीतों का आनन्द लिया।

may day wzp 3मेले के दूसरे दिन भी मालिकों ने एमसीडी के अफ़सरों को भेजवाकर राजा पार्क में मेला लगाने में रुकावटें पैदा कीं। इसके कारण मज़दूर पूरा मंच उठाकर झुग्गी के मछली मार्केट में ले गये और वहाँ मंच लगाकर सांस्कृतिक सन्ध्या का आयोजन किया, जिसमें विहान सांस्कृतिक टोली ने गीतों की प्रस्तुति की, वजीरपुर के बच्चों द्वारा तैयार किया गया नाटक ‘सरकारी साण्‍ड’ का मंचन किया गया, इसके साथ ही मज़दूरों द्वारा मज़दूरों की ज़िन्दगी को बयान करता ‘मशीन’ नाटक पेश किया गया। यूनियन की तरफ़ से शिवानी ने मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए उनको मई दिवस के गौरवशाली इतहास से परिचित कराया। अन्त में मंच से यह एलान किया गया कि 1 मई को राजा पार्क में मज़दूर सभा के रूप में मज़दूर दिवस को मनाया जायेगा। 1 मई को राजा पार्क में मज़दूर सभा का आयोजन किया गया, जिसमें मई दिवस की कहानी पोस्टरों की जुबानी बयान की गयी। यूनियन की ओर से बात रखते हुए सनी ने बताया कि मई दिवस मज़दूरों का राजनीतिक चेतना में प्रवेश की याददिहानी के लिए मनाया जाता है। शिवानी ने मज़दूरों को बताया कि किस प्रकार 8 घण्टे काम के क़ानून को पास करवाने की लड़ाई में पूरी दुनिया के मज़दूरों ने अपना ख़ून बहाया है। इसके साथ ही वजीरपुर के मज़दूरों के संघर्ष पर बनी फ़िल्म – ‘स्टील मज़दूरों के संघर्ष की कहानी’ भी दिखायी गयी। मंच से मज़दूर क्लिनिक की शुरुआत की घोषणा की गयी और आधार कार्ड व पहचान कार्ड के लिए कैम्प लगाने की भी घोषणा की गयी।

लुधियाना में मज़दूर दिवस सम्मेलन

may day punjab 2अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर लुधियाना में टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब और कारख़ाना मज़दूर यूनियन, पंजाब द्वारा आयोजित मज़दूर दिवस सम्मेलन में मज़दूरों के बड़े एकठ ने मई दिवस के महान मज़दूर शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट की और पूँजीवादी शोषण के खि़लाफ़ मज़दूरों का संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया। अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग का क्रान्तिकारी लाल झण्डा फहराकर और गगनभेदी नारों के साथ मई दिवस के शहीदों को सलामी दी गयी। क्रान्तिकारी संस्कृतिक मंच ‘दस्तक’ द्वारा क्रान्तिकारी- प्रगतिशील गीत-संगीत और नौजवान भारत सभा द्वारा नाटक पेश किये गये। इसके बाद विभिन्न संगठनों के वक्ताओं – टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविन्दर, कारख़ाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, पंजाब स्टूडैंट्स यूनियन (ललकार) के संयोजक छिन्दरपाल, नौजवान भारत सभा की ओर से बिन्नी आदि ने सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर क्रान्तिकारी-प्रगतिशील किताबों -पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी।

may day punjab 3विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि आठ घण्टे काम दिहाड़ी का क़ानून बनवाने के लिए पूरे विश्व के मज़दूरों ने संघर्ष किया है। उन्नीसवीं सदी में अमेरिकी औद्योगिक मज़दूरों ने ‘आठ घण्टे काम, आठ घण्टे आराम, आठ घण्टे मनोरंजन’ के नारे के तहत बेहद शानदार, कुर्बानियों से भरा जुझारू संघर्ष किया था। पहली मई 1886 को अमेरिकी मज़दूरों ने देशव्यापी हड़ताल की थी जिसका अमेरिकी हाकिमों ने दमन किया था। दमन द्वारा मज़दूरों की आवाज़ को दबाया नहीं जा सका। आगे चलकर पूरे विश्व में आठ घण्टे काम दिहाड़ी, जायज़ मज़दूरी और अन्य अनेकों अधिकारों के लिए मज़दूरों के संघर्ष आगे बढ़े और विश्व भर की सरकारों को मज़दूरों को संवैधानिक अधिकार देने पड़े। रूस, चीन जैसे देशों में मज़दूर हुक़ूमतें स्थापित हुईं जिनके द्वारा मानवता ने शानदार उपलब्धियाँ हासिल कीं। वक्ताओं ने कहा कि मई दिवस की क्रान्तिकारी विरासत मज़दूरों को अपने समस्त अधिकारों के लिए पूँजीवादी व्यवस्था के खि़लाफ़ एकजुट संघर्ष करने के लिए न सिर्फ़ प्रेरित करती रही है और करती रहेगी बल्कि मज़दूरों को इस संघर्ष के लिए रास्ता भी दिखाती रही है और दिखाती रहेगी।

वक्ताओं ने कहा कि अतीत में अनेकों कुर्बानियों द्वारा हासि‍ल किये गये अधिकार मज़दूरों की एकता बिखरने के कारण पूँजीवादी हुक्मरानों द्वारा लगातार छीने जाते रहे हैं। मज़दूर अधिकारों पर हमला पूरे विश्व में तेज़ हो रहा है। भारत के मज़दूर आज बेहद बुरी हालत में दिन काटने पर मज़बूर हैं। सभी पार्टियों की सरकारें मज़दूर विरोधी-जनविरोधी निजीकरण, उदारीकरण, वैश्वीकरण की नीतियों पर चल रही हैं। मोदी सरकार दूसरी सभी सरकारों से कहीं अधिक अत्याचारी है, और जनता ख़ासकर औद्योगिक मज़दूरों के हक़ों पर बुलडोज़र चला रही है। इसके खि़लाफ़ आज मज़दूरों के ज़बरदस्त संघर्ष की ज़रूरत है। एटक, सीटू, बीएमएस, इंटक जैसी चुनावी पार्टियों से सम्बन्धित ट्रेड यूनियन संगठन मज़दूर वर्ग की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं, पूँजीपतियों की दलाली कर रहे हैं। ऐसे समय में मज़दूर वर्ग को मई दिवस की महान विरासत से प्रेरणा लेकर अपने जुझारू संगठन बनाने होंगे। अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस की क्रान्तिकारी परम्परा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए, क्रान्तिकारी गीतों और जोशीले नारों के साथ मज़दूर दिवस सम्मेलन की समाप्ति की गयी।

दोनों यूनियनों द्वारा मज़दूर दिवस सम्मेलन की तैयारी के लिए लुधियाना में दस दिनों का सघन प्रचार अभियान चलाया गया था। बड़े स्तर पर मज़दूर बस्तियों, कारख़ाना इलाक़ों में पर्चे बाँटे गये, मीटिंगें की गयीं, घर-घर प्रचार किया गया, आठ जगहों पर ‘लड़ाई ज़ारी है – मई दिवस की कहानी’ लघु दस्तावेज़ी फ़िल्म बड़े पर्दे पर दिखायी गयी। इस प्रचार अभियान के दौरान मज़दूरों को मई दिवस के क्रान्तिकारी महत्व से परिचित कराया गया।

बरगदवां, गोरखपुर में मई दिवस पर जुलूस और सभा

may day gkp 4गोरखपुर के बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र में मालिकान के तमाम हथकण्डों के बावजूद मज़दूर हर वर्ष मई दिवस का आयोजन करके संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं। इस वर्ष भी कई कारख़ानों के मज़दूरों ने बिगुल मज़दूर दस्ता के साथ मिलकर बरगदवा में मई दिवस पर पूरे दिन का कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें मालिकों और प्रशासन की सारी कोशिशों के बावजूद भारी संख्या में मज़दूर शामिल हुए।

मई दिवस के कार्यक्रम की तैयारी देखकर यहाँ के मालिक बौखलाये थे। उन्होंने पहले ही कारख़ाने बन्द कर दिये थे। मालिकों के कहने पर कार्यक्रम स्थल पर पहले ही पुलिस और पीएसी की भारी तैनाती कर दी गयी थी। लेकिन मज़दूरों पर दबाव बनाने के लिए मालिकों का कोई हथकण्डा काम न आया। मज़दूरों की सभा में वक्ताओं ने कहा कि मज़दूरों के may day gkp 2सामान्य कार्यक्रमों में भी इस तरह से बूटों की धमक आने वाले दिनों की ही झलक है। सारे श्रम क़ानूनों को एक-एक करके रद्द किया जा रहा है। आगे मज़दूरों को इकठ्ठा होने पर रोक लगाने, प्रदर्शनों, आन्दोलनों का निरंकुश दमन करने के लिए शासक वर्ग पूरी तैयारी कर रहा है। मज़दूरों को भी अपनी व्यापक तैयारी में लग जाना चाहिए।

सभा में बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रसेन और अंगद, स्त्री मुक्ति लीग की निशू, इंजीनियरिंग वर्कर्स यूनियन (लक्ष्मी साइकिल वर्क्स) के रामाशीष सहित अनेक वक्ताओं ने मई दिवस के शहीदों को याद करते हुए कहा कि हमें अपने रोज़-रोज़ के संघर्षों के साथ ही पूरी पूँजीवादी व्यवस्था के ख़ि‍लाफ़ लम्बी लड़ाई की भी तैयारी करनी होगी। तभी शोषण और अन्याय से मज़दूरों की मुक्ति का मई दिवस के शहीदों का सपना पूरा होगा।

जनसभा में ‘मशीन’ नाटक तथा क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किये गये। इसके बाद मज़दूरों ने पूरे औद्योगिक क्षेत्र से होते हुए गोरखनाथ तक जुलूस निकाला।

मुम्बई में मई दिवस पर नुक्कड़ सभाएँ और नाटक

may day mumbai 3129 वें ‘अर्न्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ के अवसर पर मुम्बई में बिगुल मजदूर दस्ता व नौजवान भारत सभा ने मानखुर्द के लेबर चौक, साठेनगर व अन्य जगहों पर आज नुक्कड़ नाटक, क्रान्तिकारी गीत, सभाएं व पर्चों का वितरण करते हुए मजदूरों से अपने हकों के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। बिगुल मजदूर दस्ता के विराट ने मजदूरों को सम्बोधित करते हुए मई दिवस के इतिहास से मजदूरों को परिचित करवाया। उन्होंने कहा कि शिकागो के मजदूर आन्दोलन को तो खून के दलदल में डुबो दिया गया था पर उसके बाद दुनियाभर के मजदूरों ने संघर्ष करके आठ घण्टे के कार्यदिवस का अधिकार हासिल किया। ऐसे में दुनियाभर के मजदूरों के लिए यही असली त्यौहार है।

नौजवान भारत सभा के सत्यनारायण ने कहा कि आज भारत में 93 फीसदी मजदूर यानी may day mumbai 2लगभग 56 करोड़ असंगठित हैं, ठेका दिहाड़ी और काण्ट्रेक्ट पर काम कर रहे हैं। उनको कोई भी सामाजिक सुरक्षा हासिल नहीं है, ज्यादातर जगहों पर आठ घण्टे से ज़्यादा काम करवाया जाता है व न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जाती। ऐसे में आज उनको संगठित होकर अपने हक हासिल करने होंगे। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जिस तेज गति से श्रम कानूनों को मालिकों के पक्ष में बदला जा रहा है, मालिकों को मजदूरों को काम से निकालने, पर्यावरण की तबाही करने आदि की कानूनी मंजूरी दी गयी है, उससे आगे आने वाले समय में भारत की असंगठित मजदूर आबादी के हालात बद से बदतर होंगे। इसलिए अपने हालात बदलने के लिए आज हमें मई दिवस के शहीदों को स्मरण करते हुए उनके रास्ते पर चलने की जरूरत है।

कार्यक्रम के दौरान क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किये और एक नुक्कड़ नाटक ‘मई दिवस’ खेला गया। साथ ही पूरे इलाक़े में हजारों पर्चों का वितरण किया गया।

नरवाना, हरियाणा में निर्माण मज़दूर यूनियन द्वारा मई दिवस का कार्यक्रम

may day narvana 2129वें अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर नरवाना में निर्माण मज़दूर यूनियन ने बिगुल मज़दूर दस्ता और नौजवान भारत सभा के सहयोग से मज़दूर अधिकार रैली, जनसभा और फ़िल्म शो का आयोजन किया। मज़दूर अधिकार रैली नरवाना के विश्वकर्मा चौक से भगतसिंह चौक तक निकाली गयी। रैली में मई दिवस के शहीदों को याद करते हुए नारे लगाये गये। रैली का अन्त भगतसिंह चौक पर हुआ जो शहर का लेबर चौक भी है। वहीं मज़दूरों की जनसभा आयोजित की गयी। सभा को सम्बोधित करते हुए बिगुल मज़दूर दस्ता के रमेश ने बताया कि मई दिवस मज़दूरों का सबसे बड़ा उत्सव है जो पूरी दुनिया के मज़दूर एक साथ मानते हैं। यही वह दिन है जिस दिन अमेरिका के शिकागो शहर के मज़दूरों ने ‘आठ घण्टे के काम के दिन’ की माँग को लेकर आवाज़ उठायी थी। इस लम्बे संघर्ष में चार मज़दूर नेता अल्बर्ट पार्सन्स, स्पाइस, फ़िशर, एंजिल ने अपनी कुबार्नी भी दी। जिनकी कुबार्नी व्यर्थ नहीं गयी और पूरी दुनिया के पूँजीपतियों को आठ घण्टे का कार्यदिवस लागू करना पड़ा। लेकिन आज फिर पूरी दुनिया में पूँजीपतियों का राज कायम है। काग़ज़ों पर दर्ज मज़दूरों के श्रम-क़ानून छीने जा रहे हैं, इसलिए हमें मई दिवस के शहीदों से प्रेरणा लेकर अन्याय-शोषण के खि़लाफ़ एकजुट होना होगा। निर्माण मज़दूर यूनियन के इन्द्र ने लेबर चौक पर खड़े होने वाले निर्माण मज़दूरों की दिक़्कतों पर बात रखी। साथी इन्द्र ने बताया कि मज़दूरों के बिखराव के कारण आये दिन मज़दूरों के पैसे मार लिये जाते हैं या 10-12 घण्टे काम लेकर दिहाड़ी सिर्फ़ आठ घण्टे की दी जाती है। वहीं लेबर चौक पर खड़े मज़दूरों के लिए न तो किसी शेड की व्यवस्था है, न ही पानी की। पिछले साल भी निर्माण मज़दूर यूनियन ने संघर्ष के बूते ही मालिकों को झुकाया था, इसलिए हमें अपनी यूनियन मज़बूत बनाने के लिए इसका सक्रिय सदस्य बनना होगा। कोई एक-दो मज़दूरों से यूनियन नहीं बनती, यूनियन का मतलब ही है एकजुटता। और व्यापक एकजुटता के दम पर ही हम अपने हक़-हक़ूक की लड़ाई लड़ सकते हैं। जनसभा का अन्त मज़दूर के संघर्ष के गीत ‘मालिकों से लड़ने को एक हो जा भैया’ से किया गया।

शाम को इन्दरा कॉलोनी में मई दिवस के इतिहास पर बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा बनायी गयी फ़िल्म ‘लड़ाई अभी जारी है!’ का आयोजन किया गया। फ़िल्म शो में भी काफ़ी कॉलोनीवासी उपस्थित थे। इस कड़ी में 3 मई को कलायत में भी इसी फ़िल्म का प्रदर्शन और मण्डी में पर्चा वितरण किया गया।

मज़दूर बिगुल, मई 2015


 

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