किसानों के बारे में कम्युनिस्ट दृष्टिकोण : कुछ महत्त्वपूर्ण पहलू

व्ला.इ. लेनिन

“…वर्ग-चेतन मज़दूर के लाल झण्डे का पहला मतलब है, कि हम अपनी पूरी शक्ति के साथ पूरी आज़ादी और पूरी ज़मीन के लिए किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हैं; दूसरे, इसका अर्थ है कि हम यहीं नहीं रुकते बल्कि इससे आगे जाते हैं। हम आज़ादी और ज़मीन के साथ ही समाजवाद के लिए युद्ध छेड़ रहे हैं। समाजवाद के लिए संघर्ष पूँजी के शासन के विरुद्ध संघर्ष है। यह सर्वप्रथम और सबसे मुख्य रूप से उजरती मज़दूर द्वारा चलाया जाता है जो प्रत्यक्षतः और पूर्णतः पूँजीवाद पर निर्भर होता है। जहाँ तक छोटे मालिक किसानों का प्रश्न है, उनमें से कुछ के पास ख़ुद की ही पूँजी है, और प्रायः वे ख़ुद ही मज़दूरों का शोषण करते हैं। इसलिए सभी छोटे मालिक किसान समाजवाद के लिए लड़ने वालों की क़तार में शामिल नहीं होंगे, केवल वही ऐसा करेंगे जो कृतसंकल्प होकर सचेतन तौर पर पूँजी के विरुद्ध मज़दूरों का पक्ष लेंगे, निजी सम्पत्ति के विरुद्ध सार्वजनिक सम्पत्ति का पक्ष लेंगे।”

(‘किसान समुदाय और सर्वहारा’)

“पूँजीवाद के अन्तर्गत छोटा मालिक किसान, वह चाहे या न चाहे, इससे अवगत हो या न हो, एक माल-उत्पादक बन जाता है और यही वह परिवर्तन है जो मूलभूत है, क्योंकि केवल यही उसे, बावजूद इसके कि वह भाड़े के श्रम का शोषण नहीं करता, एक निम्न-पूँजीपति बना देता है और उसे सर्वहारा के एक विरोधी के रूप में बदल देता है। वह अपना उत्पादन बेचता है, जबकि सर्वहारा अपनी श्रम-शक्ति। एक वर्ग के रूप में छोटा मालिक किसान केवल कृषि उत्पादों के मूल्य में वृद्धि ही चाह सकता है और यह बड़े भूस्वामियों के साथ लगान में उसकी हिस्सेदारी और शेष समाज के विरुद्ध भूस्वामियों के साथ उसकी पक्षधरता के समान है। माल-उत्पादन के विकास के साथ ही छोटा मालिक किसान अपनी वर्ग-स्थिति के अनुरूप एक निम्न-भूसम्पत्तिवान मालिक बन जाता है।”

(कृषि में पूँजीवाद के विकास के आँकड़े)

“… यदि रूस में वर्तमान क्रान्ति की निर्णायक विजय जनता की पूर्ण सम्प्रभुता क़ायम करती है, यानी एक गणराज्य और एक पूर्ण जनवादी राज्य व्यवस्था की स्थापना करती है, तो पार्टी ज़मीन के निजी मालिकाने को ख़त्म कर देगी और सारी ज़मीन सामान्य सम्पत्ति के रूप में पूरी जनता को सौंप देगी।

“इसके अतिरिक्त, सभी परिस्थितियों में रूसी सामाजिक जनवादी पार्टी का उद्देश्य, जनवादी भूमि-सुधारों की चाहे जो भी स्थिति हो, ग्रामीण सर्वहारा के स्वतन्त्र वर्ग संगठन के लिए, उसे समझाने के लिए कि उसका हित किसान पूँजीपति वर्ग के हित से असमाधेय रूप से विरोधी है, उसे छोटे पैमाने के मालिकाने के विरुद्ध चेतावनी देने के लिए जो, जब तक माल-उत्पादन मौजूद रहेगा तब तक जनता की दरिद्रता दूर नहीं कर सकता और अन्त में, समस्त दरिद्रता और समस्त शोषण को समाप्त करने के एकमात्र साधन के रूप में एक पूर्ण समाजवादी क्रान्ति की आवश्यकता पर ज़ोर देने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहना है।”

(मज़दूर पार्टी के भूमि कार्यक्रम में संशोधन)

“कोई पूछ सकता है: इसका हल क्या है, किसानों की स्थिति कैसे सुधारी जा सकती है? छोटे किसान ख़ुद को मज़दूर वर्ग के आन्दोलन से जोड़कर और समाजवादी व्यवस्था के लिए संघर्ष में एवं ज़मीन तथा उत्पादन के अन्य साधनों (कारख़ानें, मशीनें आदि) को सामाजिक सम्पत्ति के रूप में बदल देने में मज़दूरों की मदद करके ही अपने आप को पूँजी की जकड़ से मुक्त कर सकते हैं। छोटे पैमाने की खेती और छोटी जोतों को पूँजीवाद के चतुर्दिक हमले से बचाकर किसान समुदाय को बचाने का प्रयास सामाजिक विकास की गति को अनुपयोगी रूप से धीमा करना होगा, इसका मतलब पूँजीवाद के अन्तर्गत भी ख़ुशहाली की सम्भावना की भ्रान्ति से किसानों को धोखा देना होगा, इसका मतलब मेहनतकश वर्गों में फ़ूट पैदा करना और बहुमत की क़ीमत पर अल्पमत के लिए एक विशेष सुविधाप्राप्त स्थिति पैदा करना होगा।”

(मज़दूर पार्टी और किसान)

“यदि, नरोदवादियों के कल्पनालोक में, हम वास्तविक आर्थिक कारणों को मिथ्या विचारधारा से सावधनीपूर्वक अलग करें, तो उसी क्षण पायेंगे कि सामन्ती जागीरों के टूटने से, चाहे वे बँटवारे से टूटें या राष्ट्रीकरण से या म्युनिसिपलीकरण से, सबसे अधिक लाभान्वित होने वाला वर्ग स्पष्ट तौर पर पूँजीवादी किसान ही है। (राज्य-प्रदत्त) ऋण-अनुदान भी पूँजीवादी किसान को ही सर्वाधिक लाभ पहुँचाने के लिए बाध्य है। (किसान भूमि क्रान्ति) भूस्वामित्व की पूरी व्यवस्था को शुद्ध रूप से इन पूँजीवादी फ़र्मों की प्रगति और समृद्धि की शर्तों के अधीन कर देने के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।”

(‘सामाजिक जनवाद का भूमि कार्यक्रम)


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments