Category Archives: मज़दूर यूनियन

नगर निगम गुड़गाँव के ठेका ड्राइवरों को हड़ताल की बदौलत आंशिक जीत हासिल हुई

वेतन और पी.एफ. के भुगतान न होने के चलते न सिर्फ़ ठेका ड्राइवर बल्कि ठेके पर काम करने वाले सफ़ाई, सिक्योरिटी गार्ड, मैकेनिक सभी हड़ताल में शामिल हुए थे। वैसे तो इस इकोग्रीन कम्पनी द्वारा ठेके पर कार्यरत मज़दूरों के श्रम कानूनों के सभी अधिकारों की जिस तरह से खुलेआम धज्जियाँ नगर निगम गुड़गाव की नाक के नीचे उड़ाई जा रहीं है। ज़ाहिर है, यह बिना प्रशासन, सरकार और ठेकेदार की मिलीभगत के सम्भव नहीं है। इसके लिए ठेका ड्राइवरों को इस सच्चाई को समझना होगा और आने वाले दिनों में इसके लिए कमर कसनी होगी। साथ ही विभिन्न सेक्टर के मज़दूरों के साथ इस मुद्दे पर एकता बढ़ाकर आगे बढ़ना होगा।

सनबीम (गुड़गाँव) कम्पनी में ग़ैर-क़ानूनी बर्ख़ास्तगी, छँटनी, वेतन कटौती, ग़ैर-क़ानूनी ठेका प्रथा, श्रम क़ानूनों के उल्लंघन के ख़िलाफ़ संघर्ष की सम्भावनाएँ

सनबीम लाईटवेटिंग सोल्यूशन्स प्रा० लि० (गुड़गाँव) फ़ैक्टरी के ठेका मज़दूरों की 16 नवम्बर (बुधवार) 2022 को कम्पनी प्रबन्धन द्वारा बढ़ती बर्ख़ास्तगी, छँटनी, वेतन कटौती, ज़बरन ओवर टाइम जैसी अन्यायपूर्ण गतिविधियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा आख़िर फूट ही गया। मज़दूरों ने क़रीब 500-600 ठेका मज़दूरों की सफल रैली और अपनी एकजुटता से इस अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। संघर्ष की शुरुआत 27 सितम्बर 2022 को पाँच साथियों के अचानक बर्ख़ास्त (टर्मिनेट) कर देने से हो गयी थी।

दिल्ली नगर निगम चुनाव में आँगनवाड़ीकर्मियों का ‘आप’ और ‘भाजपा’ के ख़िलाफ़ व्यापक बहिष्कार अभियान! 

दिल्ली में 4 दिसम्बर को होने वाले निगम चुनाव के मद्देनज़र दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन (DSAWHU) ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में घोषणा की थी कि दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी इस बार मज़दूर-महिला विरोधी भाजपा और आम आदमी पार्टी का पूर्ण बहिष्कार करेंगी। यह बहिष्कार सिर्फ़ राजधानी की 22,000 आँगनवाड़ीकर्मी और उनके परिवार ही नहीं कर रहे हैं बल्कि आँगनवाड़ीकर्मी अपने लाभार्थियों से और दिल्ली की जनता से भी यह अपील कर रही हैं। इस दौरान नज़फ़गढ़, सीमापुरी से लेकर पहाड़गंज, जाफ़राबाद व अन्य कई इलाक़ों में महिलाकर्मियों ने व्यापक और सघन अभियान चलाते हुए दिल्ली की जनता के सामने इन दोनों ही चुनावबाज़ पार्टियों के झूठ और फ़रेब को नंगा किया।

गुड़गाँव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल पट्टी में जारी मज़दूरों की छँटनी और बर्ख़ास्तगी का सिलसिला और मज़दूरों का प्रतिरोध : एक रिपोर्ट

अलग-अलग कम्पनियों में स्थायी मज़दूरों की जगह ठेका मज़दूरों और पुराने ठेका/कैज़ुअल मज़दूरों की जगह पहले से सस्ते और कम अवधि के लिए नये ठेका मज़दूरों, ट्रेनी, अप्रेण्टिस, टी.डब्ल्यू. जैसी विभिन्न श्रेणियों में मज़दूरों को बाँटकर सस्ते से सस्ते और सीमित अवधि के लिए मज़दूरों की भरती की प्रक्रिया जारी है। कहीं पर ठेका ख़त्म हो गया है, कहीं पर घाटा बताकर किसी लाइन को बन्द दिखाकर मज़दूर की छँटनी की जा रही है, तो कहीं वीआरएस का नोटिस लगाकर या मज़दूरों पर झूठा इल्ज़ाम लगाकर बाहर करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है।

काम के अधिकार के लिए और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मनरेगा यूनियन का प्रदर्शन

20 सितम्बर। कलायत तहसील में क्रान्तिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन के बैनर तले चौशाला, रामगढ़, बाह्मणीवाल व अन्य गाँव के मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन की ओर एक प्रतिनिधि मण्डल ने एसडीएम सुशील कुमार को मनरेगा मज़दूरों की समस्या से अवगत करते हुए अपनी माँगों का ज्ञापन भी सौंपा। यूनियन प्रभारी रमन ने बताया कि कलायत ब्लॉक के बीडीपीओ कार्यालय में प्राशासनिक कार्यों की कोई जवाबदेही तय नहीं है। बीडीपीओ कार्यालय के पास मनरेगा योजना को सुचारू रुप से चलाने का भी उत्तरदायित्व है।

मोदी के जुमलों की बारिश के बीच कैथल के मनरेगा मज़दूरों के हालात पर एक नज़र

15 अगस्त को जब पूरा देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा था। इस अवसर पर सुबह 8 बजे से पीएम मोदी लाल क़िले पर चढ़कर 70-80 मिनट का लम्बा-चौड़ा भाषण दे रहे थे। जिसमें पिछले आठ बार की ही तरह एक बार फिर बड़े-बड़े वायदे किये गये, जो हर बार की तरह पूरे नहीं होने वाले, साथ ही ‘अमृत काल’ का गुणगान किया गया। उसी वक़्त दूसरी ओर कैथल (हरियाणा) के फरल गाँव के मज़दूर सुबह 8 बजे मनरेगा के तहत काम करने के लिए गाँव से रवाना हुए थे। लेकिन मोदी जी के ‘अमृत काल’ की हक़ीक़त मनरेगा मज़दूरों से कोसों दूर है।

सिडकुल, हरिद्वार में मज़दूरों की हड्डियाँ कैसे निचोड़ी जाती हैं (एक फ़ैक्टरी से रिपोर्ट)

हरिद्वार स्थित सिडकुल में पंखे बनाने वाली एक कम्पनी है, के.के.जी. इण्डस्ट्रीज लिमिटेड! पंखे बनाने वाली इस कम्पनी के मज़दूर ख़ुद गर्मी और घुटन-भरे माहौल में 12 घण्टे से लेकर 15-16 घण्टे तक काम करते हैं। यहाँ काम की स्थितियाँ बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण हैं। ये कम्पनी हैवेल्स, ओरिएण्ट, पोलर, लूमिनस, गोदरेज, सूर्या, एंकर (पैनासोनिक) आदि कम्पनियों की वेण्डर कम्पनी है। इन सभी के पंखे के.के.जी. में बनते हैं। यह सिडकुल की उन कम्पनियों में शामिल है जहाँ न्यूनतम मज़दूरी बहुत ही कम है और काम के न्यूनतम घण्टे 12 हैं।

अघोषित छँटनी : नपीनो में स्थायी मज़दूरों की छँटनी की तरफ़ बढ़ते क़दम!

मानेसर (हरियाणा) के सेक्टर 3 के प्लाट नम्बर 7 में स्थित ‘नपीनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड’ (एटक से सम्बद्ध) के 271 महिला व पुरूष मज़दूर 14 जुलाई से कम्पनी कार्यस्थल पर ही मशीनों पर काम रोककर 24 घण्टे दिन-रात धरने पर बैठे थे। पिछले 4 सालों से लम्बित अपने सामूहिक माँगपत्रक को लागू करवाना और निलम्बित 6 साथियों की कार्यबहाली इनकी मुख्य माँगें हैं।

बेलसोनिका में मज़दूरों की छँटनी व ठेका प्रथा के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी है!

पिछली 3 अगस्त को आई.एम.टी. मानेसर (गुड़गाँव) में स्थित बेलसोनिका ऑटो कम्पोनेण्ट इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के मज़दूरों द्वारा प्रबन्धन की मज़दूर विरोधी नीतियों के चलते दो बार दो घण्टे का टूल डाउन करने पर प्रबन्धन ने मज़दूरों को आठ दिन की वेतन कटौती का नोटिस जारी कर दिया था। बेलसोनिका मारुति के लिए कलपुर्ज़े बनाती है।

ऑटो सेक्टर के मज़दूरों की एक रिपोर्ट

पिछले कुछ दिनों से गुड़गाँव पट्टी के ऑटो सेक्टर में एक हलचल पैदा हो गयी है। लगातार कम्पनियों में छँटनी, पैसे न दिये जाने, मज़दूरो की माँगें न माने जाने आदि के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके विरोध में कई प्रदर्शन और हड़ताल भी हो रहे हैं। पिछले 3 महीने में धारूहेड़ा में हुण्डई मोबीस के मज़दूरों का धरना, जेएनएस के मज़दूरों की हड़ताल तथा पिछले महीने नपीनों के मज़दूरों की हड़ताल इसके उदाहरण हैं। अभी-अभी बेलसोनिका के मज़दूरों के साथ भी कई सारी घटनाएँ सामने आ रही हैं।