Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

कब तक अमीरों की अय्याशी का बोझ हम मज़दूर-मेहनतकश उठायेंगे!

जी-20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले दिल्ली में हरे रंग के पर्दे और फ्लेक्स को झुग्गी-झोपड़ियों के सामने लगा दिया गया ताकि भारत की ग़रीबी पर पर्दा डाला जा सके। लेकिन जी-20 के लिए दिल्ली में जो ‘सौंदर्यीकरण’ का अभियान चला, उसके तहत ये सब होना केवल एक ही पहलू है जिससे झुग्गी में रहने वाले लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। मोदी सरकार ने जी-20 के नाम पर ग़रीबों के ख़िलाफ़ खुलकर काम किया। दिल्ली में ही कई सारी झुग्गी बस्तियों को तोड़ दिया गया। इस दौरान धौला कुआँ, मूलचन्द बस्ती, यमुना बढ़ क्षेत्र के आस-पास की झुग्गियों, महरौली, तुगलकाबाद के इलाक़े में झुग्गियों को तोड़ा गया। इससे क़रीब 2 लाख 61 हज़ार लोग प्रभावित हुए। साथ ही जिन झुग्गियों को तोड़ नहीं पाये, उन्हें हरे पर्दे से ढक दिया गया, ताकि जी-20 के प्रतिनिधियों को भारत की ग़रीबी न दिखे।

“महँगाई-बेरोज़गारी भूल जाओ! पाकिस्तान को सबक सिखाओ!” गोदी मीडिया की गलाफाड़ू चीख-पुकार, यानी चुनाव नज़दीक आ गये हैं!

हमारा ध्यान अपनी जिन्दगी की असल समस्याओं की ओर न जाए इसलिए देश में अन्ध-राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता की राजनीति हो रही है। संघ परिवार और भाजपा की इस राजनीति को बहुत लोग समझने भी लगे हैं। लेकिन भाजपा अलग-अलग स्वांग रच कर इन्हीं पत्तों को खेलेगी। नूह में दंगों के समय यह साफ़ हो गया है की 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले भाजपा और संघ परिवार देश को दंगों की आग में झोंकने की योजना बना रही है। इन्हें हमेशा इस बात की उम्मीद रहती है कि अन्‍धराष्ट्रवाद का कार्ड हमेशा काम आता है। पाकिस्तान के खिलाफ़, चीन के खिलाफ़, सेना के नाम पर जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश की जाती है। लेकिन इस बार जनता को सावधान रहना होगा। 

महिला आरक्षण बिल पर सर्वहारावर्गीय नज़रिया क्या हो?

एक वर्ग-विभाजित समाज में अलग-अलग वर्गों से आने वाली स्त्रियों के हित कभी एक नहीं हो सकते। हम देख चुके हैं कि स्त्रियों के साथ होने वाले भयंकर अपराधों तक के मामले में शासक वर्ग से आने वाली स्त्रियों और उनकी चाटुकारी करने वाले स्त्रियों के तबके ने अपना मुँह कभी खोला हो! सिर्फ़ औरत होना ही अपने आप में प्रगतिशील होना नहीं है जो कई अस्मितावादियों को लगता है। पूँजीवादी पितृसत्तात्मक समाज में शासक वर्ग से आने वाली औरतें अपने ही वर्ग हितों की रक्षा करती हैं और उन्हीं पितृसत्तात्मक मूल्य-मान्यताओं को स्थापित करने का काम करती हैं जो स्त्रियों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाती हैं।

जनता के जनवादी अधिकारों पर आक्रामक होता फ़ासीवादी मोदी सरकार का हमला और इक्कीसवीं सदी में फ़ासीवाद के बारे में कुछ बातें

जब फ़ासीवादी शक्तियाँ सत्ता से बाहर भी होती हैं, तो उनका पूर्ण ध्वंस नहीं होता बल्कि बुर्जुआजी तब भी उनके अस्तित्व बनाये रखना चाहती है और उन्हें अपना समर्थन देती रहती है। वह उन पर किसी प्रकार के पूर्ण प्रतिबन्ध का आम तौर पर विरोध करती है। वह उन्हें अपनी असंस्थानिक व अनौपचारिक राजनीतिक शक्ति के रूप में समाज और राजनीति में बनाये रखती है ताकि उसका सर्वहारा वर्ग और आम मेहनतकश जनता के विरुद्ध प्रतिभार के रूप में इस्तेमाल कर सके।

 मोदी सरकार के घोटालों की पोल खोलती नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट

एक के बाद एक ऐसे घोटालों के सामने आने के बाद भी मोदी राज में बेलगाम होते भ्रष्टाचार पर गोदी मीडिया चूँ तक नहीं कर रहा है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी आज भी ख़ुद को पाक-साफ़ और देशभक्त बताने में जी जान से जुटे हैं। कैग की रिपोर्ट इनकी कथनी और करनी के दोमुँहेपन को लोगों के सामने लाता है।

कांस्टेबल चेतन सिंह अकेला नहीं! देश भर में साम्प्रदायिक उन्माद फैलाकर साम्प्रदायिक फ़ासीवादी ज़ॉम्बीज़ की फ़सल तैयार कर रहा है संघ परिवार

ऐसी रुग्ण साम्प्रदायिक ज़हर से ग्रसित आबादी कैसे पैदा हो रही है? यह समझने की ज़रूरत है कि यह एक दिन में तैयार नहीं होती। बल्कि  इसके लिए पूरा माहौल सालों से तैयार किया जा रहा है। यह अपने आप में इकलौती घटना नहीं है। ऐसी ही साम्प्रदायिक नफ़रत से लैस घटना अभी हाल ही में 24 अगस्त को उत्तरप्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में घटी है। यह घटना गुरुमंसूरपुर पुलिस थाने के अन्तर्गत आने वाले खुब्बापुर गाँव में हुई जिसमें एक शिक्षिका तृप्ता त्यागी, एक बच्चे को मुस्लिम होने की वजह से सज़ा दे रही थी। इस घटना में वह उस बच्चे को अन्य बच्चों से पिटवाते हुए कह रही है, “मैंने तो घोषणा कर दिया, जितने भी मुसलमान बच्चे हैं, इनके वहाँ चले जाओ।” फिर पीटने वाले बच्चों को डाँटते हुए कह रही है “क्या तुम मार रहे हो? ज़ोर से मारो ना।”

नूंह में हुई हिंसा की सच्चाई : एक जाँच रिपोर्ट

नूंह में मोनू मानेसर, बंटी आदि जैसे अपराधी बजरंग दलियों और विहिप द्वारा योजनाबद्ध तरीके से दंगे भड़काये गये और उसके ज़रिये हरियाणा समेत पूरे देश में हिन्दू-मुसलमान दंगे फैलाने के प्रयास किये गये। इसका कारण है कि अगले साल हरियाणा और देश में चुनाव हैं और हमेशा की तरह संघ चुनाव से पहले दंगों की बारिश कराने में लग गया है ताकि अगले साल वोट की अच्छी फ़सल काटी जा सके और जनता का ध्यान महँगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार से भटकाया जा सके।

मोदी-शाह के फ़ासीवादी राज में स्त्रियों के बद से बदतर होते हालात !

शुचिता और संस्कार का ढोंग करने वाली फ़ासीवादी भाजपा के राज ने इस पतनशील और प्रतिक्रियावादी मानसिकता और मज़बूत किया है। बलात्कारियों और हत्यारों को संरक्षण देने वाली पार्टी की सत्ता हमें स्त्री विरोधी अपराध के आँकड़ों के अम्बार के अलावा और दे भी क्या सकती है?! भाजपा के गुरू गोलवलकर का मानना था कि औरतें बच्चा पैदा करने का यन्त्र होती हैं; इनके माफ़ीवीर सावरकर का मानना था कि बलात्कार का राजनीतिक हिंसा के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एक ऐसी पार्टी से देश की औरतें क्या उम्मीद कर सकती हैं? एक ऐसी पार्टी चिन्मयानन्द, कुलदीप सेंगर, ब्रजभूषण, साक्षी महाराज जैसे बलात्कारी पैदा करती है, आसाराम और डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम जैसे बलात्कारियों को बचाती है, बिल्किस बानो के परिवार के हत्यारों और उसके बलात्कारियों को जेल से रिहा करती है, तो न तो यह इत्तेफ़ाक का मसला है और न ही ताज्जुब का। भाजपा जैसी स्त्री-विरोधी पार्टी यह नहीं करेगी तो और क्या करेगी?

भाजपा शासन में चुनाव पास आते ही सरहद पर घुसपैठ क्यों बढ़ जाती है?

ज़रा सोचिए, क्यों ऐसा होता है कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आता जाता है और विशेषकर भाजपा सरकार को हार का ख़तरा सताने लगता है, वैसे ही देश भर में दंगों का माहौल बनना क्यों शुरू हो जाता है? क्यों चुनाव के समय ही मन्दिर और मस्जिद के नाम पर लड़ाइयाँ शुरू हो जाती हैं? क्यों ख़बरों में ऐसा आना शुरू हो जाता है कि पाकिस्तान या चीन ने देश पर हमले शुरू कर दिये हैं? और आख़िर क्यों चुनाव आते ही देश की सीमाओं पर अचानक घुसपैठ तेज हो जाते हैं, सर्जिकल स्ट्राइक की ख़बरें आनी शुरू हो जाती हैं, जिनकी कभी कोई पुष्टि नहीं की जाती और सबूत माँगना ही देशद्रोह घोषित कर दिया जाता है?

हर मोर्चे पर नाकाम मोदी सरकार, चन्द्रयान पर चढ़कर कर रही चुनाव प्रचार!

वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक श्रमिकों ने अपना काम किया, पहले की असफलता से सीखा और आगे चलकर सफलता हासिल की। यह भी ग़ौरतलब है कि जिस एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन) के मज़दूरों ने चन्द्रयान-3 को बनाया था, उनको 17 माह से मोदी सरकार ने तनख्वाह तक नहीं दी है! लेकिन चन्द्रयान-3 की सफलता का क्रेडिट लेने के लिए मोदी जी तत्काल कैमरे के सामने प्रकट हो जाते हैं, माना चन्द्रयान-3 उन्होंने ही बनाया हो!