होंडा मज़दूरों ने जंतर मंतर पर 52 दिनों तक की भूख हड़ताल! अब राजस्थान में करेंगे फिर से संघर्ष की शुरुआत!
होंडा मजदूरों को इस लड़ाई में जनता के बीच दिल्ली आने पर भारी समर्थन भी मिला। इसमें सबसे कारगर तरीका होंडा प्रोडक्ट बहिष्कार अभियान का रहा है। होंडा के संघर्ष से निकला यह विचार किस तरह एक भौतिक शक्ति बन गया यह यहाँ देखा जा सकता है। व्हाट्सएप्प पर शुरू हुआ यह अभियान होंडा मजदूरों की लड़ाई का सबसे कारगर हथियार बन गया जिसके कारण होंडा कम्पनी को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है। 26 सितम्बर को दिल्ली में हुए बहिष्कार के बाद होंडा ने कोर्ट में जाकर होंडा मजदूरों को शोरूम के आगे प्रदर्शन न करने की माँग की और 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय बहिष्कार के बाद कम्पनी ने नरेश मेहता पर केस कर दिया कि वे सोशल मीडिया पर भी होंडा के ख़िलाफ़ कोई प्रचार न कर सकें।