अन्तरराष्ट्रीय सर्वहारा के महान नेता स्तालिन के स्मृति दिवस (5 मार्च 1953) के अवसर पर दो उद्धरण
“स्वतःस्फूर्तता की पूजा करने का सिद्धान्त फैसलाकुन तौर पर मज़दूर वर्ग के आन्दोलन के क्रान्तिकारी चरित्र का विरोधी है; यह मज़दूर वर्ग के आन्दोलन द्वारा पूँजीवाद की बुनियादों के ख़िलाफ़ संघर्ष करने की लाइन अपनाने का विरोधी है; यह इस पक्ष में होता है कि आन्दोलन सिर्फ़ उन्हीं माँगों की लाइन पर आगे बढ़े जिन्हें “हासिल कर पाना मुमकिन” हो, यानी जो पूँजीवाद के लिए “स्वीकार्य” हों; यह पूरी तरह से “न्यूनतम प्रतिरोध की लाइन” के पक्ष में होता है। स्वतःस्फूर्तता का सिद्धान्त ट्रेडयूनियनवाद की विचारधारा होता है।