दिल्ली सरकार, महिला एवं बाल विकास विभाग और उसके दलालों की बेचैनी इस बात का सबब है कि दिल्ली सरकार के सामने अब कोई रास्ता नहीं बचा है। कुछ वक़्त पहले तक इन्हीं बर्ख़ास्तगियों को सही ठहराने वाला महिला एवं बाल विकास विभाग ऑर्डर जारी कर पुनः बहाली की नौटंकी करने को मजबूर हुआ। लेकिन अनर्गल शर्तों से भरे इस ऑर्डर को महिलाकर्मियों ने नामंज़ूर कर अपने संघर्ष को तब तक जारी रखने का ऐलान किया है जब तक सभी 884 ग़ैर-क़ानूनी टर्मिनेशन रद्द नहीं कर दिये जाते हैं। दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों का संघर्ष न केवल टर्मिनेशन के ख़िलाफ़ है बल्कि न्यूनतम मज़दूरी, कर्मचारी का दर्जा, एरियर का भुगतान व ग्रैच्युटी समेत अन्य कई वाजिब माँगों के लिए भी है। महिलाकर्मियों के संघर्ष के दमन के ज़िम्मेदार आम आदमी पार्टी व भाजपा के ख़िलाफ़ दिल्ली निगम चुनाव में चला व्यापक बहिष्कार आन्दोलन भी आगे जारी रहेगा। न्यायालय में हमारा पक्ष इसीलिए मज़बूत है क्योंकि हमारी एकजुटता ठोस है और हम सड़क पर मज़बूत हैं।