Tag Archives: विराट

पूँजीवादी खेती, अकाल और किसानों की आत्महत्याएँ

देश में सूखे और किसान आत्महत्या की समस्या कोई नयी नहीं है। अगर केवल पिछले 20 सालों की ही बात की जाये तो हर वर्ष 12,000 से लेकर 20,000 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महाराष्ट्र में यह समस्या सबसे अधिक है और कुल आत्महत्याओं में से लगभग 45 प्रतिशत आत्महत्याएँ अकेले महाराष्ट्र में ही होती हैं। महाराष्ट्र में भी सबसे अधिक ये विदर्भ और मराठवाड़ा में होती हैं।

महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के मालिकाने वाली दक्षिण कोरिया की सांगयोंग कार कम्पनी के मज़दूरों का जुझारू संघर्ष

दक्षिण कोरिया की कार कम्पनी सांगयोंग मोटर्स के मज़दूर पिछले 7 सालों से छंटनी के ख़िलाफ़ एक शानदार संघर्ष चला रहे हैं। इन सात सालों में उन्होंने सियोल शहर के पास प्योंगतेक कारखाने पर 77 दिनों तक कब्ज़ा भी किया है, राज्यसत्ता का भयंकर दमन भी झेला है, कई बार हार का सामना किया है लेकिन अभी भी वे अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। दमन का सामना करते हुए 2009 से अब तक 28 मज़दूर या उनके परिवार वाले आत्महत्या या अवसाद (डिप्रेशन) के कारण जान गँवा चुके हैं।

सँभलो, है लगने वाला ताला ज़बान पर!

जो नया सर्कुलर महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया है उसके तहत सरकारी अफसरों, नेता-मंत्रियों की आलोचना करने पर आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124 ए के अनुसार राजद्रोही क़रार देकर जेलों में ठूँसा जा सकता है। मिसाल के तौर पर अगर आप अब मोदी की हिटलर से तुलना करें, सरकारी अफसरों को भ्रष्ट कहें, नेताओं के कार्टून बनाएं, अखबार-पत्रिकाओं में सरकार को कोसें तो आपको ख़तरनाक अपराधी करार दिया जा सकता है! आपको अपनी जुबान खोलने की क़ीमत तीन साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास और साथ में जुर्माना भरने से चुकानी पड़ सकती है। सरकार की किसी लुटेरी नीति का विरोध करने के कारण आपकी नियति बदल सकती है! अभिव्यक्ति की आज़ादी पर ये नया हमला महाराष्ट्र सरकार की जनता को एक और “सौगात” है।

मालवणी शराब काण्ड ने दिखाया पुलिस-प्रशासन-राजनेताओं का विद्रूप चेहरा

अगर पुलिस पहले ही अपने कर्तव्य का पालन करती तो इतने सारे लोगों को अपनी ज़िन्दगी नहीं गँवानी पड़ती। पुलिस सिर्फ़ हफ्ता वसूलने में मशगूल रहती है। बेघर लोगों को एक झोपड़ी बनानी हो तो भी ये लोग हफ्ता वसूलने पहुँच जाते हैं। पैसे नहीं देने पर झोपड़ी तोड़ देते हैं। लेकिन इस तरह के अवैध धन्धों को चलने देते हैं। इस पूरे काण्ड में डॉक्टरों ने भी लोगों को बचाने के लिए पूरी तत्परता नहीं दिखायी।