अर्थव्यवस्था का संकट गम्भीरतम रूप में – पूँजीपतियों का मुनाफ़ा बचाने के लिए संकट का सारा बोझ मेहनतकशों की टूटी कमर पर
ऑटोमोबाइल उद्योग जो कुल विनिर्माण उद्योग का 40% हिस्सा है, उसकी बिक्री में लगभग एक साल से निरन्तर गिरावट हो रही है। यह कमी इस उद्योग के सभी हिस्सों में व्याप्त है अर्थात कार, ट्रक, स्कूटर, मोटरसाइकल, मोपेड, ट्रैक्टर सबकी ही बिक्री में तेज़ गिरावट आयी है। जुलाई के महीने को ही देखें तो सबसे बड़ी कार कम्पनी मारुति की घरेलू बाज़ार में बिक्री पिछले साल के मुक़ाबले 36% गिरी है। अन्य कम्पनियों का भी कमोबेश यही हाल है। नतीजा यह हुआ है कि इन कम्पनियों ने उत्पादन घटाना शुरू कर दिया है। कहीं कारख़ानों को कई-कई दिन के लिए बन्द किया जा रहा है, कहीं काम के घण्टे या शिफ़्टें कम की जा रही हैं। साथ ही इन कम्पनियों को कलपुर्जे आपूर्ति करने वाली इकाइयों को भी उत्पादन कम या बन्द करना पड़ रहा है। इसके चलते इन सब कारख़ानों में श्रमिकों की छँटनी चालू हो गयी है। ख़ुद ऑटोमोबाइल उद्योग संघ के अनुसार 10 लाख श्रमिकों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ सकता है। उधर इनकी बिक्री करने वाले डीलरों की स्थिति भी ख़राब है। इसी साल लगभग 300 डीलरों ने अपना कारोबार बन्द कर दिया है। जो अभी चालू भी हैं वहाँ भी 15-20% श्रमिकों की छँटनी की ख़बर है। इस तरह 30 हज़ार से अधिक मज़दूर बेरोज़गार हो चुके हैं और यह तादाद अभी और बढ़ने ही वाली है।