दिल्ली के बादाम मज़दूरों की हड़ताल – 5वां दिन
पिछले 20 वर्षों में दिल्ली के असंगठित मज़दूरों की विशालतम हड़तालों में से एक हड़ताल अपने छठे दिन जारी
अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में आपूर्ति को धक्का, दिल्ली का बादाम संसाधन उद्योग ठप्प
20 दिसम्बर, दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करावलनगर इलाके में स्थित विशालकाय बादाम संसाधन उद्योग लगातार छठे दिन भी ठप्प रहा। ज्ञात हो कि बादाम मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में करीब 30 हज़ार बादाम मज़दूरों ने अपने परिवारों समेत हड़ताल कर रखी है। 16दिसम्बर की सुबह हड़ताल का एलान किया गया था। इस बीच 17दिसम्बर की सुबह बादाम के गोदाम मालिकों ने अपने भाड़े के गुण्डों से बादाम तोड़ने वाली महिला मज़दूरों, यूनियन कार्यकर्ताओं आदि पर लाठी-डण्डों के साथ जानलेवा हमला किया जिसमें कई यूनियन कार्यकर्ताओं और मज़दूरों को गम्भीर चोट आई। आत्मरक्षा में मज़दूरों ने पथराव किया जिसमें 4गुण्डे भी घायल हो गये। लेकिन पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए यूनियन के तीन नेताओं के ख़िलाफ़ धारा 107व धारा 151के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया। ये यूनियन नेता 19दिसम्बर की रात ज़मानत पर छूटे। शर्मनाक बर्ताव करते हुए करावलनगर पुलिस ने घायल हालत में इन यूनियन नेताओं को पुलिस थाने में जानबूझकर बिठा रखा और उन्हें चिकित्सीय सहायता तक नहीं प्रदान की। दूसरी ओर, हमला करने वाले गुण्डों और मालिकों का पुलिस ने बाइज्जत रिहा भी कर दिया और उनके विरुद्ध कोई मामला भी दर्ज नहीं किया। इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह थी कि मज़दूरों से घबराई हुई पुलिस ने मज़दूरों से यह झूठ बोला कि मालिकों के ऊपर भी मामला दर्ज किया है। मालिकों ने दलित मज़दूरों और यूनियन कार्यकर्ताओं के विरुद्ध जातिसूचक अपमानजन शब्दावली का भी इस्तेमला किया। इसके बावजूद पुलिस ने उन व्यक्तियों के विरुद्ध कोई मामला दर्ज नहीं किया। मालिकों और ठेकेदारों को यह उम्मीद थी कि पुलिस के जरिये यूनियन के नेतृत्व को जेल में डलवाकर आन्दोलन को तोड़ा जा सकता है। लेकिन उनकी उम्मीदों के उलट, नेताओं की गिरफ्तारी और दमन से मज़दूरों का हौसला टूटने की बजाय और बुलन्द हो गया और 20 फीसदी मज़दूर जो हड़ताल में शामिल नहीं थे, वे भी हड़ताल में शामिल हो गये।
19 दिसम्बर को रिहाई के बाद मज़दूरों ने अपने नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया और 20 दिसम्बर की सुबह करावलनगर के इलाके में एक ऐतिहासिक रैली का आयोजन किया। इस रैली को मज़दूरों ने पुलिस दमन और मालिकों के बर्बर रवैये के विरुद्ध एक चेतावनी रैली के रूप में आयोजित किया। इसमें करीब 2000 मज़दूरों ने शिरकत की, जिसमें कि बड़े पैमाने पर महिला मज़दूर शामिल थीं। इस रैली को करावलनगर के प्रकाश विहार इलाके से शुरू करके पूरे पश्चिमी करावलनगर में निकाला गया। रैली के दौरान मज़दूर ‘अब मज़दूरों की बारी है-हमारी हड़ताल जारी है’, ‘जेल के फाटक टूट गये-हमारे साथी छूट गये’, ‘मज़दूर हितों का हनन हुआ तो-खून बहेगा सड़कों पर’, ‘बादाम मज़दूर यूनियन-ज़िन्दाबाद’, ‘हमारी माँगें पूरी करो!’ आदि जैसे नारे लगा रहे थे। करावलनगर इलाके के नागरिक इस विशाल जुलूस को देखकर चकित थे और उन्होंने मज़दूरों की माँगों का समर्थन भी किया। करावलनगर के इतिहास में यह सबसे बड़ी मज़दूर रैली थी। इस रैली के जरिये मज़दूरों ने अपनी जुझारू एकजुटता का प्रदर्शन किया और यह संकल्प दुहराया कि बिना अपनी माँगें जीते वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
मज़दूरों की हड़ताल के छठे दिन भी जारी रहने के कारण दिल्ली का बादाम संसाधन उद्योग एकदम ठप्प पड़ गया है। असंसाधित बादाम गोदामों में आकर हज़ारों बोरियों की तादाद में बेकार पड़ा हुआ है। दूसरी ओर क्रिस्मस और नये वर्ष के मौके पर बादाम की माँग देशी ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में भी बढ़ती जा रही है। ग़ौरतलब है कि दिल्ली के पूरे बादाम संसाधन उद्योग में जिस बादाम का संसाधन होता है वह अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व कई यूरोपीय कम्पनियों के बादाम होते हैं। ये कम्पनियाँ सस्ते श्रम को निचोड़ने के लिए इस बादाम को खारी बावली के मालिकों के पास भेजती हैं। ये बड़े मालिक छोटे-टटपुंजिये ठेकेदारों को यह काम ठेके पर देते हैं और ये छोटे ठेकेदार सभी श्रम कानूनों को ताक पर रखकर, सभी नियमों-कायदों की धज्जियाँ उड़ाते हुए यह काम मज़दूरों का बर्बर शोषण करते हुए करवाते हैं। ये ही वे मज़दूर हैं जो पिछले छह दिनों से हड़ताल पर डटे हुए हैं और यह माँग कर रहे हैं कि श्रम कानूनों द्वारा प्रदत्त सभी अधिकारों को पूरा किया जाय, मिसाल के तौर पर, न्यूनतम मज़दूरी के बराबर पीस रेट फिक्स किया जाय, यानी कि प्रति बोरी दर को न्यूनतम मज़दूरी के बराबर लाया जाय; मज़दूरी कार्ड व पहचान पत्र मुहैया कराया जाय; डबल रेट से ओवरटाइम का भुगतान हो; हर महीने के पहले सप्ताह में बकाया मज़दूरी का भुगतान किया जाय; और महिला मज़दूरों के साथ बदसलूकी और गाली-गलौच बन्द की जाय। पिछले वर्ष इन मज़दूरों ने बादाम मज़दूर यूनियन का गठन किया था और पिछले एक वर्ष से यूनियन के नेतृत्व में मज़दूर तमाम संघर्षों में शामिल हो चुके हैं। इस हड़ताल के कारण दिल्ली के ही बाज़ार में बादाम की कीमतें बढ़ती जा रही हैं।
बादाम मज़दूर यूनियन के संयोजक आशीष कुमार सिंह ने बताया, ”अब तक के संघर्ष में पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए मालिकों के निर्देशों पर काम किया है। हमें करावलनगर पुलिस प्रशासन पर कोई विश्वास नहीं है और मज़दूरों पर हमला करने वाले गुण्डों पर कार्रवाई के लिए हम सीधे पुलिस उपायुक्त, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के पास शिकायत दर्ज करेंगे। अगर तब भी कार्रवाई नहीं हुई तो हम न्यायालय तक भी जाएँगे। लेकिन मज़दूरों पर हमला करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हड़ताल हमारा हथियार है। हम तब तक हड़ताल जारी रखेंगे जब तक कि हमारी सारी माँगें मान नहीं ली जातीं।”
यूनियन के ही योगेश ने बताया, ”यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी तादाद में एकजुट होकर करावलनगर के मज़दूरों ने हड़ताल की है। इसके पहले भी कुछ छिटपुट हड़तालें हुई थीं, लेकिन तब बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के मज़दूर एकजुट नहीं हो पाते थे और हड़तालें सफल नहीं हो पाती थीं। बादाम मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में यह पहला मौका है जब सभी मज़दूर जाति, गोत्र और क्षेत्र के बँटवारों को भुलाकर अपने वर्ग हित को लेकर एकजुट हुए हैं।” योगेश ने बताया कि विभिन्न सूत्रों के अनुसार बादाम गोदाम मालिक यूनियन के नेतृत्व पर फिर से जानलेवा हमला करने की साज़िश रच रहे हैं। अगर ऐसी कोई कार्रवाई होती है तो इसका उचित जवाब दिया जाएगा। मालिकों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। लेकिन इसके बावजूद संगठित मज़दूर ताक़त से टकरा पाना मालिकों के बस की बात नहीं है।
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन