दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की अनूठी मुहिम : नाक में दम करो अभियान

– वृषाली

दिल्ली की सैंकड़ो महिलाकर्मी 16 मार्च से तकरीबन रोज़ ही दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में एक अनूठा अभियान चला रही हैं। इस अभियान का नाम है ‘नाक में दम करो’ अभियान। इस अभियान के ज़रिए आँगनवाड़ीकर्मी विशेष तौर पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करती हैं। ज्ञात हो कि दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की 31 जनवरी से 38 दिनों तक चली ऐतिहासिक हड़ताल पर ‘आप’ और भाजपा ने मिलीभगत से हेस्मा (हरियाणा एसेंशियल सर्विसेज़ एक्ट) थोप दिया था। इसके बाद आँगनवाड़ीकर्मियों की यूनियन ने हेस्मा के ख़िलाफ़ न्यायालय में केस किया और हड़ताल को न्यायालय के फ़ैसले तक स्थगित किया और स्पष्ट किया कि अगर न्यायालय इस काले क़ानून को रद्द नहीं करती तो दिल्ली की 22000 आँगनवाड़ीकर्मी हेस्मा की परवाह किये बिना दुबारा हड़ताल पर जायेंगी। लेकिन तब तक संघर्ष जारी रहेगा और पूरे शहर में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, दलालों का जीना मुश्किल किया जायेगा।
हज़ारों आँगनवाड़ीकर्मियों ने अपनी इस हड़ताल में कई नये मुक़ाम हासिल किये। लोभ-लालच, भीखनुमा मानदेय बढ़ोत्तरी, दलाल यूनियन से फ़र्ज़ी वार्ता व फ़र्ज़ी बर्ख़ास्तगी पत्र तक से भी दिल्ली सरकार इस हड़ताल को तोड़ने में नाकामयाब ही रही। अन्ततः आम आदमी पार्टी व भाजपा ने राज्यपाल के ज़रिए हड़ताल पर हेस्मा क़ानून लगा दिया, हालाँकि हड़ताल अभी भी ख़त्म नहीं हुई है, बल्कि केवल स्थगित है। हड़ताल ने पूँजीवादी व्यवस्था की कार्यशैली और विधायिका के साथ-साथ कार्यपालिका के चरित्र को भी बेपर्द कर दिया। इस हड़ताल में यह भी साफ़ हो गया कि वोटबैंक की राजनीति के नाम पर ‘तू नंगा-तू नंगा’ का खेल खेलने वाली तमाम पार्टियाँ असल में एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। दिल्ली में ‘आप’ और ‘भाजपा’ का अन्तरविरोध बस नौटंकी है। जब मज़दूरों के दमन की बात आती है तो तमाम बुर्जुआ पार्टियाँ गलबहियाँ करने में नहीं हिचकती हैं। एक ओर भाजपा और कांग्रेस आन्दोलनरत आँगनवाड़ीकर्मियों के समर्थन की दुहाई देते रहे। वहीं दूसरी ओर भाजपा हड़ताल पर थोपे काले क़ानून हेस्मा लगाये जाने में भागीदार रही और कांग्रेस के प्रवक्ता व सांसद अभिषेक मनु सिंघवी 991 आँगनवाड़ीकर्मियों के फ़र्ज़ी टर्मिनेशन के ख़िलाफ़ दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे केस के लिए दिल्ली सरकार की पैरवी कर रहे हैं! कांग्रेस क्यों एक मरी गाय में तब्दील होती जा रही है, उसे समझना आसान है। उसके पीछे इसी प्रकार की हरकतें हैं।
हड़ताल पर हेस्मा लगाये जाने के बाद ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से, बदले की भावना से टर्मिनेट की गयीं 991 आँगनवाड़ीकर्मियों के लिए उनकी यूनियन दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन न सिर्फ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ रही है, बल्कि सड़कों पर इन ग़ैर-क़ानूनी बर्ख़ास्तगी और हेस्मा थोपे जाने के विरोध में आन्दोलन भी कर रही है। ‘नाक में दम करो’ अभियान इसी आन्दोलन का हिस्सा है जिसमें पहले ही नंगी हो चुकी ‘आप’, ‘भाजपा’ व ‘कांग्रेस’ की असलियत का दिल्ली की जनता के सामने भी भण्डाफोड़ किया जाता है। इसके साथ ही विशेष तौर पर ‘आप’ और ‘भाजपा’ (क्योंकि सत्तासीन पार्टियाँ यही हैं) के कार्यालयों, विधायकों, मौजूदा निगम पार्षद व उम्मीदवार के कार्यालयों का घेराव किया जाता है। दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों ने अपनी हड़ताल के दौरान ही यह ऐलान कर दिया था कि उनकी माँगों की सुनवाई और लिखित तौर पर एक निश्चित समय-सीमा में उन पर कार्रवाई का आश्वासन न देने वाली तमाम पार्टियों का आगामी दिल्ली नगर निगम चुनाव में सक्रिय बहिष्कार किया जायेगा। इन तमाम पार्टियों को न केवल आँगनवाड़ीकर्मी व उनके परिवारों के बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा बल्कि दिल्ली की आम जनता के बीच भी इन पार्टियों की मज़दूर व आँगनवाड़ीकर्मी विरोधी नीतियों के पर्दाफ़ाश के कारण जवाब देने को मजबूर किया जायेगा।
बहिष्कार अभियान के तहत ही दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों ने वोट माँगने से पहले ‘आप’ और भाजपा को एक ख़ास चेतावनी भी दे दी है। यूनियन की ओर से जारी एक स्टिकर का कहना है कि :
“सावधान! ज़रूरी सूचना!
“यह एक आँगनवाड़ीकर्मी का घर है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के पार्षद उम्मीदवार, नेता, विधायक, मंत्री और कार्यकर्ता इस घर में वोट या चन्दा माँगने के लिए आने की जुर्रत न करें। इन दोनों पार्टियों का निगम चुनावों में पूर्ण बहिष्कार है। इस दरवाज़े के पीछे ही जूतों की माला टंगी है। फिर भी अगर दरवाज़ा खटखटाया तो उसी से तुम्हारा स्वागत किया जायेगा। तुम्हें जो हानि होगी उसके लिए तुम ख़ुद ज़िम्मेदार होगे।
धन्यवाद!”
इस अभियान से ज़ाहिर तौर पर ‘आप’ और ‘भाजपा’ दोनों ही घबरायी हुई हैं। इन अभियानों के बाद भाजपा ने घड़ियाली आँसू और तेज़ी से बहाने शुरू कर दिये हैं। भाजपा कभी प्रेस कॉन्फ़्रेंस तो कभी विरोध प्रदर्शन और राज्यपाल से मिलने की नौटंकी कर रही है। आम आदमी पार्टी की हालत भी पतली है और जहाँ कहीं ‘नाक में दम करो’ अभियान की टोलियाँ पहुँच रही हैं, वहाँ इनके नेता और कार्यकर्ता हाथ-पाँव जोड़ने लग रहे हैं।
अभियानों के दौरान आँगनवाड़ीकर्मियों को न केवल दिल्ली की जनता से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, बल्कि कई अभियानों में जनता की मदद भी मिल रही है। यही नहीं, कई इलाक़ों में अभियानों के लिए जनता की ओर से भी प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। दिल्ली की हज़ारों आँगनवाड़ीकर्मियों की ऐतिहासिक हड़ताल का निश्चित तौर पर यह अन्त नहीं है। आन्दोलन और संघर्ष अभी भी जारी है। हड़ताल पर थोपे गये हेस्मा के ख़िलाफ़ फ़िलहाल क़ानूनी लड़ाई जारी है। और यदि विधायिका-कार्यपालिका की ही तरह न्यायपालिका का चरित्र भी नंगा हो जाता है, तो जैसा कि दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन ने घोषणा की है, हेस्मा को तोड़ते हुए भी स्थगित की गयी हड़ताल फिर से शुरू कर दी जायेगी।

मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2022


 

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