मज़दूर बिगुल के सभी पाठकों और शुभचिन्तकों से…

दोस्तो,
‘मज़दूर बिगुल’ जिस काग़ज़ पर छपता है, उसकी क़ीमत में पिछले चार महीनों में लगभग 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गयी है। अख़बार की लागत में प्रति कॉपी एक रुपये से ज़्यादा का इज़ाफ़ा सिर्फ़ पिछले कुछ महीनों में हो गया है। इसके पहले भी छपाई की लागत लगातार बढ़ती रही है। ख़ासकर काग़ज़ की क़ीमतें तो पिछली वर्ष से ही बढ़ती रही थीं। अभी इनके और बढ़ने की सम्भावना है। छपाई और वितरण की अन्य लागतें भी काफ़ी बढ़ी हैं।
‘मज़दूर बिगुल’ सैकड़ों व्हॉट्सऐप ग्रुपों, क़रीब 30,000 पतों वाली ईमेल लिस्ट, वेबसाइट और फ़ेसबुक के ज़रिए हज़ारों पाठकों तक पहुँचता है, लेकिन हमारे सबसे मूल्यवान पाठक वे हैं जिनके हाथों में अख़बार की छपी प्रतियाँ पहुँचती हैं। हर महीने कभी 5000, कभी 6000 प्रतियाँ ही हम छाप पाते हैं जिनका एक छोटा हिस्सा डाक से सदस्यों को भेजा जाता है। ज़्यादातर प्रतियाँ विभिन्न शहरों में मज़दूरों की बस्तियों या कारख़ाना इलाक़ों में कार्यकर्ताओं के ज़रिए वितरित होती हैं।
क़रीब 12 वर्ष पहले 16 पेज के इस अख़बार की शुरुआत 5 रुपये क़ीमत से हुई थी। तबसे प्रेस की दरें लगभग दोगुनी और काग़ज़ की क़ीमत तीन गुनी हो चुकी हैं। तब भी आर्थिक संकट अक्सर रहता ही था मगर अब अख़बार की सिर्फ़ छपाई का ख़र्च इसकी क़ीमत के बराबर पहुँच रहा है। डाक और अन्य ख़र्चों को तो छोड़ ही दें। अख़बार की कुल लागत से कई गुना कमाई विज्ञापनों से करने वाले बुर्जुआ अख़बारों के लिए लागत बढ़ना कोई ख़ास समस्या नहीं है। लेकिन ‘मज़दूर बिगुल’ और इस जैसे अनेक जनपक्षधर अख़बारों, पत्रिकाओं और प्रकाशनों के लिए यह जीवन-मरण का प्रश्न बन जाता है।
इसलिए, मजबूर होकर जून 2022 के अंक से हम ‘मज़दूर बिगुल’ की एक प्रति की क़ीमत 10 रुपये करने जा रहे हैं। एक वर्ष की सदस्यता राशि 125 रुपये (साधारण डाक व्यय सहित) होगी। डाक विभाग की गड़बड़ियों से बचने के लिए रजिस्टर्ड डाक से अंक मँगवाने वालों के लिए एक वर्ष की सदस्यता राशि 325 रुपये होगी। आजीनव सदस्यता राशि 3000 रुपये होगी।
‘मज़दूर बिगुल’ के सभी पाठकों, सहयोगियों और शुभचिन्तकों से हमारी अपील है कि अगर आप इस अख़बार को ज़रूरी समझते हैं और जनता का अपना मीडिया खड़ा करने के जारी प्रयासों की इसे एक ज़रूरी कड़ी मानते हैं, तो इसे जारी रखने में हमारा सहयोग करें।
1. ‘मज़दूर बिगुल’ की वार्षिक, पंचवर्षीय या आजीवन सदस्यता ख़ुद लें और अपने साथियों को दिलवायें।
2. अगर आपकी सदस्यता का समय बीत रहा है या बीत चुका है, तो उसका नवीनीकरण करायें।
3. अख़बार के वितरक बनें, इसे ज़्यादा से ज़्यादा मेहनतकश पाठकों तक पहुँचाने में हमारे साथ जुड़ें। (प्रिण्ट ऑर्डर बढ़ने से लागत भी कुछ कम होती है।)
4. अख़बार के लिए नियमित आर्थिक सहयोग भेजें।
हमें जनता की ताक़त पर भरोसा है और हमारे अनुभव ने यह सिद्ध किया है कि बिना कोई समझौता किये, एक विचार के ज़रिए जुड़े लोगों की साझा मेहनत और सहयोग के दम पर बड़े काम किये जा सकते हैं। इसी ताक़त के सहारे ‘बिगुल’ 1996 से लगातार निकल रहा है और यह यात्रा आगे भी जारी रहेगी। हमें विश्वास है कि इस यात्रा में आप हमारे हमसफ़़र बने रहेंगे।

मज़दूर बिगुल, मई 2022


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments