स्त्री मुक्ति लीग, मुम्बई ने पूँजीवादी पितृसत्ता के खिलाफ आवाज़ बुलन्द करते हुए किया ‘मुक्ति के स्वर’ पुस्तकालय का उद्घाटन


बिगुल संवाददाता

कई वर्षों से स्त्री मुक्ति लीग, मुम्बई के मानखुर्द-गोवंडी इलाके में स्त्री मुक्ति के सवाल पर काम करती रही है। पूँजीवादी पितृसत्ता की बेड़ियों को तोड़कर, एक नये समाज के निर्माण के लिए जनता को साथ लेकर वह अपनी आवाज़ बुलन्द कर रही है। स्त्री मुक्ति लीग के कार्यकर्ताओं ने सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ इलाक़े में अभियान चलाया था और शाहीन बाग की तर्ज़ पर गोवंडी को फ़ासीवादी मोदी सरकार के प्रतिरोध का केन्द्र बनाने का प्रयास भी किया था, जिसको महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस बल के दम पर कुचलने का काम किया था। स्त्री मुक्ति लीग के कार्यकर्ताओं पर मुक़दमे भी दर्ज कराये गये थे। मगर इन सबसे कार्यकर्ताओं के हौसले बुलन्द ही हुए और पूरे गोवंडी-मानखुर्द के इलाके में स्त्रियों के उत्पीड़न की घटनाओं के ख़िलाफ़ उन्होंने लगातार अभियान चलाया व विरोध प्रदर्शन किये। फासीवादी मोदी सरकार के आने के बाद से स्त्री विरोधी घटनाओं में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। कठुआ, उन्नाव, बलरामपुर, हाथरस, मणिपुर व अन्य घटनाएँ समाज की वीभत्सतम तस्वीर पेश कर रही है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ और ‘बहुत हुआ महिलाओं पर वार, अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा देकर सत्ता में पहुँची मोदी सरकार कुलदीप सिंह सेंगर, चिन्मयानद, ब्रजभूषण जैसों को सरंक्षण देने का काम कर रही है।

स्त्री मुक्ति लीग पूँजीवादी पितृसत्तात्मक विचारों और मूल्य-मान्यताओं के खि़लाफ़  लगातार सक्रिय रही है। इसके तहत लम्बे समय से स्त्री मुक्ति लीग विभिन्न प्रकार के काम ज़मीन पर कर रही है। इनमें से कुछ हैं : सावित्री-फ़ातिमा अध्ययन मण्डल चलाना, राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर महिला बैठकें आयोजित करना, झुग्गी बस्ती में फ़िल्म स्क्रीनिंग और चर्चा-सत्र का आयोजन, ऑनलाइन चर्चा-सत्र, विभिन्न कार्यशालाओं-व्याख्यानों का आयोजन करना, पोस्टर प्रदर्शनी और पर्चे बाँटकर अभियान चलाना, स्त्रियों पर होने वाले अन्याय और अत्याचारों के खि़लाफ़ लगातार आवाज़ उठाना, आदि। इन्हीं कामों को आगे बढ़ाते हुए जनता से आर्थिक सहयोग जुटाकर पिछली 9 जुलाई को स्त्री मुक्ति लीग के पुस्तकालय व कार्यालय का उद्घाटन किया गया। इसका नाम रखा गया ‘मुक्ति चे स्वर’ (हिंदी में ‘मुक्ति के स्वर’) पुस्तकालय।

पुस्तकालय के उद्घाटन के अवसर पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौक़े पर स्त्री मुक्ति संघर्ष में शामिल क्लारा ज़ेटकिन, रोज़ा लक्ज़मबर्ग, सावित्रीबाई फुले, फ़ातिमा बी शेख, प्रीतिलता वाड्डेदार, दुर्गा भाभी के साथ-साथ साथी मीनाक्षी और साथी शालिनी जैसी क्रान्तिकारी स्त्रियों की तस्वीरों के साथ ‘स्त्री मुक्ति का रास्ता, इंक़लाब का रास्ता‘, ‘जीना है तो लड़ना होगा, मार्ग मुक्ति का गढ़ना होगा’, ‘पूँजीवादी पितृसत्ता मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाते हुए रैली निकाली गयी और ‘औरत’ नाटक का मंचन किया गया। साथ ही गीत, रैप, कविता पाठ आदि की भी प्रस्तुति की गयी। इस अवसर पर स्त्री मुक्ति लीग, महाराष्ट्र की संयोजक डा. पूजा ने कहा कि ‘मुक्ति चे स्वर’ में विभिन्न प्रकार का प्रगतिशील और क्रान्तिकारी साहित्य उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहाँ नियमित रूप से स्त्री मुक्ति के सवाल पर बैठकें, अध्ययन आदि किये जायेंगे, लड़कियों और महिलाओं को ‘सावित्री-फ़ातिमा अभ्यास समूह’ के तहत नाटक, गीत, कविता आदि की शिक्षा दी जायेगी, कम्प्यूटर सिखाया जायेगा तथा फ़िल्म स्क्रीनिंग और व्याख्यान आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि मुम्बई जैसे महानगर में स्त्री मुक्ति लीग की ओर से, और लोगों के सहयोग से इस पुस्तकालय की शुरुआत की गयी है जो आज के इस स्त्री-विरोधी समय में एक अहम और ज़रूरी क़दम है। इस पुस्तकालय में स्त्रियों की मुक्ति से सम्बन्धित जिन प्रश्नों पर कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे वे आने वाले समय में पूँजीवादी पितृसत्ता के विरुद्ध स्त्रियों को जागृत और गोलबन्द करने का काम भी करेंगे। 

मज़दूर बिगुल, अगस्त 2023


 

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