नुक्कड़ नाटक – अब अपनी आवाज़़ उठाओ!

तीन नेता-टाइप लोग एक मज़दूर दिखने वाले व्यक्ति को पीटते हुए मंच पर आते हैं। एक ने आप जैसी टोपी पहनी है, एक के गले में भगवा गमछा है और एक के गले में तिरंगा गमछा है। व्यक्ति के बचाओ-बचाओ चिल्लाने पर कुछ लोग उसकी मदद के लिए आते हैं।
जनता 1 : अरे-अरे नेताजी, क्यों मार रहे हो बेचारे को?
जनता 2 : हाँ नेताजी, ऐसा क्या कर दिया इसने? ये तो मज़दूर आदमी है, क्यों मार रहे हो इसको?
जनता 3 : ये बेचारा तो हर चुनाव में वोट देता है, देश का ईमानदार नागरिक है, आप लोग क्यों मार रहे हो उसको?
आप : इसने काम ही मार खाने का किया है।
भाजपा : ऐसे सवाल पूछेगा तो और मार खायेगा। देशद्रोही कहीं का।
कांग्रेस : ये फ़ालतू के सवाल पूछकर लोकतन्त्र को कमज़ोर कर रहा था।
तीनों जनता : मगर ये पूछ क्या रहा था?
आप : अरे ये पूछ रहा था कि पिछले चुनाव में किये आपके वादों का क्या हुआ?
भाजपा : पूछ रहा था कि चुनाव जीतने के बाद से आपने हमारे लिए क्या किया?
कांग्रेस : बताओ, ये भी कोई पूछने की बात है? ऐसी गन्दी-गन्दी बातें पता नहीं कहाँ से इनके दिमाग़ में भर जाती हैं।
जनता 1 : मगर नेता जी, आपके वादों के बारे में पूछना तो हमारा अधिकार है।
जनता 2 : आपके नेता तो कहते हैं कि वादे पूरे न हुए तो मुझे चौराहे पर लटका देना, लात मारकर भगा देना।
जनता 3 : बार-बार चुनाव में वोट देकर भी हमारी ज़ि‍न्दगी बद से बदतर होती जाये, और हम सवाल भी न पूछें?
जनता 1 : आपको अपने वादे निभाने होंगे।
जनता 2 : हम आपको आपके वादों की याद दिलाते रहेंगे।
जनता 3 : हमें आपसे जवाब तलब करने का पूरा अधिकार है। आखि़र आप लोग जनता के सेवक कहलाते हैं।
तीनों एक साथ : ख़ामोश! देशद्रोहियो, भागो यहाँ से।
तीनों जनता : हम नहीं जायेंगे, हमें जवाब चाहिए। (नारे लगाते हैं)
तीनों आपस में आँखों-आँखों में बात करते हैं।
फिर एक साथ : जवाब चाहिए? लो जवाब। लाठीचार्ज!!!
(तीनों लाठीचार्ज करते हैं। लोग गिरते हैं। फ़्रीज़। दूसरी ओर से एक व्यक्ति गत्ते का टीवी का फ्रेम चेहरे के सामने किये हुए आता है।)
टीवी : ढैन टड़ाँ…. सुनिए, आज की सबसे बड़ी ख़बर। जो सबसे पहले आपके लिए लेकर आया है हमारा चैनल। बड़ी ख़बर… ब्रेकिंग न्यूज़…. सुनिए, ज़रा ग़ौर से सुनिए। चुनाव आयोग ने राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनावों की घोषणा कर दी है। दिल्ली के तीनों नगर निगमों में 22 अप्रैल को चुनाव होंगे। सभी बड़ी पार्टियों ने चुनाव की तैयारियाँ तेज़ कर दी हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए नेता मैदान में उतर पड़े हैं।
ढैन टड़ाँ….. (जाता है)
(फ़्रीज़ टूटता है। तीनों नेता पहले जिसे पीट रहे थे, अब उस व्यक्ति को घेरकर उसके आगे हाथ जोड़कर लगभग दण्डवत हो जाते हैं। गोल घूमकर गाते हैं।)
तीनों : जै वोटर भइया, बोलो जै वोटर मइया। अबकी इलेक्शन में तू, पार लगादे नइया। बोलो जै वोटर भइया, बोलो जै वोटर मइया।
मज़दूर : ठीक-ठीक है। अभी हमको जाने दो, फै़क्टरी जाना है।
जनता 1 : नेता जी, अब तो इसके सवाल का जवाब दे दो।
आप : (खाँसते हुए) हम तो जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हम तो आम आदमी हैं, हमसे तो कोई कभी भी कुछ भी पूछ सकता है।
जनता 2 : आपने चुनाव में कहा था कि नौकरियों में ठेकेदारी ख़त्म कर देंगे, सबको पक्का रोज़गार देंगे, उसका क्या हुआ?
आप : देखिये, हमने इसके लिए कमेटी बना दी है। सन 2027 तक कमेटी सर्वे करके हमको बता देगी कि दिल्ली में क‍हाँ-कहाँ कितने लोग ठेके पर काम कर रहे हैं, फिर हम 2037 तक सबको पक्की नौकरी दे देंगे।
जनता 3 : बहुत अच्छे! तब तक हम जि़न्दा रहे तो नौकरी पक्की समझो।
मज़दूर : और कच्ची कालोनियों को पक्का करने के वादे का क्या हुआ?
आप : देखिये, कच्ची… पक्की… ये तो नाम की बातें हैं। कच्ची क्या, पक्की क्या? कुछ चीज़ें कच्ची अच्छी लगती हैं, कुछ पक्की अच्छी लगती हैं। वैसे हमारी सरकार ग़रीबों के लिए बहुत काम कर रही है। हमने दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाकर 13000 कर दी है। इतने पैसे में मज़दूर आदमी भी अच्छी जगह जाकर रह सकता है, कच्ची कालोनी में रहने की क्या ज़रूरत है?
मज़दूर : मज़दूरी ख़ाली टीवी और अख़बार की ख़बरों में बढ़ी है। हम आज भी इतनी ही मजूरी पर 12-12 घण्टे काम करते हैं जिसमें मुश्किल से दो वक्त की रोटी मिल पाती है।
जनता 1 : हर साल मज़दूरी बढ़ाने की घोषणाओं का ये खेल हम लोग बहुत साल से देख रहे हैं। सरकार का रेट अलग और मालिक का रेट अलग।
जनता 2 : अरे, पहले आप अपने मन्त्रियों के कारख़ाने में तो बढ़ी मज़दूरी लागू करके दिखाइये। आप के तमाम विधायक और एमसीडी चुनाव के उम्मीदवार ख़ुद वज़ीरपुर से लेकर पीरागढ़ी में कारख़ाने चलवाते हैं, वे अपने ही इण्डस्ट्रियल इलाक़े में सही मज़दूरी लागू करवा दें।
जनता 3 : सारे मालिक मिलकर मज़दूरी की चोरी करते हैं, इसमें आपको भ्रष्टाचार नहीं दिखता?
आप : खों-खों खों-खों। देखिए, गरम मत होइए। हमने 700 लीटर पानी मुफ़्त कर दिया है, ठण्डा पानी सिर पर डालिए और दिमाग़ ठण्डा करिए। ठण्डा-ठण्डा कूल-कूल। हमने तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी स्विमिंग पूल बना दिये हैं। कहीं देखा है ऐसा?
मज़दूर : नेता जी, हमारी बस्ती में तो आज भी सरकारी नल से पानी लेने के लिए लाइन लगानी पड़ती है। रोज़ झगड़ा होता है।
जनता 1 : हज़ारों घरों में तो आज तक पाइप लाइन ही नहीं पहुँची है। दूसरे, जिस परिवार ने 700 लीटर से ज़्यादा पानी इस्तेमाल किया उसको पूरे पानी का पहले से भी ज़्यादा रेट से पैसा देना पड़ता है। रोज़ दो बाल्टी से ज़्यादा मतलब 700 लीटर पार… आपकी ये चालाकी अब हम समझ गये हैं।
जनता 2 : और रही बात स्कूल की, तो आपने 500 नये स्कूल खोलने का वादा किया था। मगर पुराने स्कूलों में 4-5 नये कमरे बनवाकर उसी का ढिंढोरा पीट रहे हैं।
जनता 3 : दो साल में एक भी नये स्कूल का काम नहीं शुरू हुआ है।
आप : देखिए, हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। काम करने में समय लगता है।
मज़दूर : अच्छा? ग़रीबों और मज़दूरों के लिए काम करने में समय लगता है? और व्यापारियों के लिए काम करने में बिल्कुल समय नहीं लगता?
जनता 1 : आपकी सरकार ने धनी व्यापारियों, कारख़ानेदारों और ठेकेदारों की चाँदी कर दी है, उन पर टैक्स और चौकसी विभाग का दबाव पूरी तरह ख़त्म कर दिया है, ताकि वे आराम से हमको लूट सकें।
जनता 2 : इसीलिए आप कहते हैं कि व्यापार आपके ख़ून में है।
जनता 3 : व्यापारी, ठेकेदार और मालिक लोग इसीलिए आपसे ख़ुश हैं।
भाजपा (चिल्लाकर) : बिल्कुल सही बात है भाइयो-बहनो, ये बिल्कुल फ्रॉड है।
कांग्रेस : ये धोखेबाज़ है। अरे काम करने वाले तो हम हैं। तुम लोगों ने हमें ही हटा दिया।
मज़दूर : आप लोग तो चुप ही रहिए। आपको भी हमने अच्छी तरह देख लिया है।
भाजपा : देखिए, केन्द्र में हमारी सरकार है। मगर दिल्ली में ये लोग कोई काम नहीं होने देते।
जनता 1 : आपकी सरकार के कारनामे हमने देख लिये हैं। तीन साल में आप लोग कौन से अच्छे दिन लाये हैं, सबके सामने है।
जनता 2 : महँगाई ने जीना हराम कर दिया है। दाल, तेल, खाने-पीने की सारी चीज़ें हमारी पहुँच से बाहर होती जा रही हैं। रसोई गैस और पेट्रोल के दाम बार-बार बढ़ाते रहते हैं।
जनता 3 : बस अम्बानी, अडानी और दूसरे सेठ लोगों की मौज है। सारे अच्छे दिन उन्हीं के लिए हैं।
भाजपा : भाइयो-बहनो, देखिए, हमारे महान नेता, शक्तिशाली नेता, चमत्कारी नेता दिन में 36 घण्टे ग़रीबों के बारे में ही सोचते रहते हैं। थोड़ा धीरज रखिए, आपकी ज़ि‍न्दगी बदल जायेगी।
मज़दूर : वो तो हम देख ही रहे हैं। बेरोज़गारी की मार से हम पहले ही बेहाल थे, ऊपर से नोटबन्दी करके करोड़ों लोगों की रोज़ी-रोज़गार और छीन लिया।
भाजपा : वो तो काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक थी…
जनता 1 : कौन सा काला धन? सारे काले धन वाले तो मौज में हैं।
जनता 2 : उधर माल्या माल ले गया, इधर अम्बानी, अडानी और तमाम धन्नासेठ बैंकों के हज़ारों करोड़ रुपये बिना डकार के गड़प कर गये।
जनता 3 : सबके खाते में 15 लाख देने का जुमला भी अब आप भूल गये हैं।
भाजपा : तुम लोगों का दिमाग़ किसी ने खराब कर दिया है। तुम लोग देशद्रोहियों के चक्कर में पड़ गये हो।
जनता 1 : कहाँ हर साल दो करोड़ रोज़गार देने का वादा था और कहाँ हालत ये है कि दो साल में दो करोड़ नये बेरोज़गार पैदा हो गये।
जनता 2 : जब हम महँगाई, बेरोज़गारी की बात करें तो आप कभी गाय, कभी लव जिहाद, कभी मन्दिर का पटाखा छोड़ देते हो।
जनता 3 : कहते थे सबका साथ सबका विकास – लेकिन सबको आपस में लड़ाने में लगे हुए हो।
मज़दूर : अब हम आपके चक्कर में नहीं आने वाले हैं।
भाजपा : तुम लोग सब बहकी-बहकी बातें कर रहे हो। इस चुनाव में हमें वोट दो और हम दिल्ली को स्वर्ग बना देंगे।
मज़दूर : ये तो सही बात है। आप लोग हमें जीते जी स्वर्ग लोक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हो।
जनता 1 : बीस साल से एमसीडी पर तो आप ही लोगों का क़ब्ज़ा है। भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है एमसीडी।
जनता 2 : ग़रीबों के इलाक़ों में गन्दगी और कूड़े-कचरे का ढेर लगा रहता है। निगम के कर्मचारियों को कई-कई महीने तनख्वाह नहीं मिलती।
जनता 3 : हमारे टैक्स के पैसों से ख़ाली अमीरों के इलाक़ों में साफ़-सफ़ाई और बिजली का इन्तज़ाम होता है।
कांग्रेस : इसीलिए हम कह रहे हैं कि हमें जिताओ। ऐसे धोखेबाज़ों के चक्कर में पड़ोगे तो कुछ नहीं मिलेगा।
मज़दूर : इतने सालों से देश को लूटते रहे, अब भी आप लोगों का पेट नहीं भरा?
कांग्रेस : देखिए, आप लोगों ने हमें बाहर करके अच्छा नहीं किया। हमारे पास आपको ठगने का… सॉरी, मेरा मतलब है आपका विकास करने का 70 साल का एक्सपीरियंस है। हमारी पुरानी खानदानी दुकान…. सॉरी, मेरा मतलब है पुरानी पार्टी को छोड़कर आप लोग नये-नये फेरीवालों के चक्कर में पड़ गये हैं। आप लोग हमें सेवा का एक और मौक़ा दीजिए, हम आपको दिखा देंगे कि हम लोगों को उल्लू बनाने के… सॉरी, आगे बढ़ाने के एक्सपर्ट हैं।
जनता 1 : आप किस बात के एक्सपर्ट हैं, वो हम सबने अच्छी तरह देख लिया है। अपने 50 साल के शासन में आपने हमें ग़रीबी, भुखमरी, बेकारी, जाति-धरम की राजनीति के अलावा और क्या दिया है?
जनता 2 : सारे देशी-विदेशी लुटेरों की सेवा आप लोग अच्छी तरह से करते रहे हैं।
जनता 3 : जात-धरम की जो राजनीति ये भगवा झण्डे वाले खुलकर करते हैं, वही आप लोग छुपकर करते हैं।
चारों एक साथ ज़ोर से : अब तुम लोगों की ये धोखाधड़ी नहीं चलेगी।
आप (घबराकर) : ये आप लोग क्या कह रहे हैं? हम तो आप ही के हैं।
भाजपा : तुम्हारी ये मजाल? अभी तुम्हारे होश ठिकाने लगाते हैं।
कांग्रेस (पीछे देखकर) : मम्मी, देखो ये लोग क्या कह रहे हैं!
मज़दूर : चुप करो। इतने साल तक हम तुम्हारी बकवास सुनते रहे।
जनता 1 : तुम्हारी चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते रहे।
जनता 2 : तुम्हारे बहकावे में आकर आपस में लड़ते रहे।
जनता 3 : हम भूल गये थे कि हमारे पास अपनी भी कोई आवाज़़ है।
मज़दूर : अब तुम्हें हमारी चिन्ता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। हम अपनी आवाज़़ ख़ुद उठायेंगे।
आप : अरे वाह! तू अपनी आवाज़़ ख़ुद उठायेगा? चींटी के भी पर निकलने लगे हैं?
भाजपा : ज़रा सुनें तो कौन है तुम्हारी आवाज़़। हम सच्चे देशभक्तों को छोड़कर तुम कौन से देशद्रोहियों के चक्कर में पड़ गये हो?
कांग्रेस : हाँ-हाँ, ज़रा हम भी तो सुनें कि तुम्हारी आवाज़़ कैसी है?
मज़दूर : हमारी आवाज़़ का नाम है ‘क्रान्तिकारी मज़दूर मोर्चा’।
जनता 1 : अब बड़े चोर और छोटे चोर के बीच से किसी एक को चुनने की कोई मजबूरी नहीं।
जनता 2 : अब हम नागनाथ और साँपनाथ में से किसी एक को नहीं चुनेंगे। धन्नासेठों, ठेकेदारों, बिल्डरों, व्यापारियों की इस या उस पार्टी में से किसी को नहीं चुनेंगे।
जनता 3 : अब हम अपने बीच से, ग़रीबों और मज़दूरों के सच्चे प्रतिनिधियों को चुनेंगे, जो हमारी आवाज़़ को मज़बूती से नगर निगम में उठायेंगे।
तीनों (धमकाते हुए) : तुम लोगों को पछताना पड़ेगा। ये हमारा खेल है, इस मैदान में कोई दूसरा नहीं घुस सकता।
चारों : दफ़ा हो जाओ तुम सब यहाँ से।
मज़दूर : (लोगों का आह्वान करते हुए) आओ साथियो –
तीनों जनता एक साथ : आओ साथियो – (जनता में से कुछ लोग निकलकर मंच की ओर बढ़ते हैं। तीनों नेता घबराकर भागते हैं।)
सब मिलकर गाते हैं :
हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा माँगेंगे
इक खेत नहीं, इक देश नहीं हम सारी दुनिया माँगेंगे…

(दिल्ली नगर निगम चुनाव में क्रान्तिकारी मज़दूर मोर्चा के प्रत्याशियों के समर्थन में तैयार नाटक)

 

मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2017


 

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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