धरना-प्रदर्शनों पर रोक व काले क़ानूनों के खि़लाफ़ लुधियाना के जनवादी जनसंगठन सड़कों पर उतरे
धारा 144 की धज्जियाँ उड़ाते हुए शहर में रैली, पैदल मार्च, व रोष प्रदर्शन किया

बिगुल संवाददाता

गुज़री 30 जनवरी को लुधियाना जि़ला के मज़दूरों, किसानों, मुलाजिमों, नौजवानों, छात्रों, स्त्रियों, बुद्धिजीवियों, जनवादी कार्यकर्ताओं के 75 से अधिक जनवादी जनसंगठनों ने डिप्टी कमिश्नर कार्यालय पर काले क़ानूनों के ज़रिये जनता की अधिकारपूर्ण आवाज़ कुचलने के खि़लाफ़ रोषपूर्ण विशाल प्रदर्शन किया। इससे पहले शहीद करतार सिंह सराभा पार्क से डीसी कार्यालय तक पैदल मार्च भी किया गया। संगठनों ने माँग की कि जि़ला प्रशासन द्वारा जि़ला धारा 144 लगाकर धरना-प्रदर्शनों पर अनिश्चितकालीन पाबन्दी तुरन्त रद्द की जाये। संगठनों ने पंजाब सरकार द्वारा लागू किये गये काले क़ानून ‘सार्वजनिक व निजी जायदाद नुक़सान रोकथाम क़ानून’ व प्रस्तावित काले क़ानून ‘पकोका’ भी तुरन्त रद्द करने की माँग की। वक्ताओं ने ऐलान किया कि अगर यह तानाशाह फ़रमान व काले क़ानून रद्द नहीं किये गये तो लुधियाना प्रशासन व सरकार को और तीखे जनसंघर्ष के साथ जवाब दिया जायेगा।

रोष प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए संगठनों के वक्ताओं ने कहा कि लुधियाना प्रशासन का स्थाई तौर पर धारा 144 लगाने का फ़रमान न सिर्फ़ ग़ैरजनवादी है, नागरिक अधिकारों को कुचलने वाला है, बल्कि ग़ैरक़ानूनी-ग़ैरसंवैधानिक भी है। लुधियाना जि़ला में ऐसे कोई ख़तरे वाले आपाताकालीन हालात नहीं हैं कि इसके इस्तेमाल की ज़रूरत पड़े। धारा 144 निश्चित समय (अधिक से अधिक दो महीने) के लिए ही लगायी जा सकती है। वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकारें काले क़ानूनों के ज़रिये जनता के जनवादी अधिकारों, नागरिक अाज़ादियों को कुचलने की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं। देश के पूँजीवादी-साम्राज्यवादी हुक्मरानों द्वारा जनता के खि़लाफ़ तीखा आर्थिक हमला छेड़ा हुआ है। अमीरी-ग़रीबी की खाई बहुत बढ़ चुकी है। महँगाई, बेरोज़गारी, बदहाली, गुण्डागर्दी, स्त्रियों, दलित, अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। इसके चलते लोगों में तीखा रोष है। जनसंघर्षों से घबराये हुक्मरान काले क़ानूनों, दमन, अत्याचार के ज़रिये जनता की अधिकारपूर्ण आवाज़ दबाने का भ्रम पाल रहे हैं। लेकिन जनता इन काले क़ानूनों, तानाशाह फ़रमानों से घबराकर पीछे नहीं हटने वाली। ये तानाशाह फ़रमान, काले क़ानून हुक्मरानों की मज़बूती का नहीं कमज़ोरी का सूचक हैं। लोग न सिर्फ़ अपने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे बल्कि इन दमनकारी फ़रमानों/काले क़ानूनों को भी वापिस करवाकर रहेंगे।

आज के प्रदर्शन को जमहूरी अधिकार सभा, बिगुल मज़दूर दस्ता, इंक़लाबी केन्द्र पंजाब, किरती किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (उगराहाँ), इंक़लाबी लोक मोर्चा, एटक, सीआईटीयू (सीटू), जमहूरी किसान सभा, टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन, पेण्डू मज़दूर यूनियन (मशाल), कारख़ाना मज़दूर यूनियन, पीप्लज़ मीडिया लिंक, तर्कशील सोसाइटी, नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेण्टस यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (डकोन्दा), मोल्डर एण्ड स्टील वर्क़र्ज़ यूनियन, पेण्डू मज़दूर यूनियन, सीटीयू पंजाब, आँगनबाड़ी मुलाजिम यूनियन, कामागाटा मारू यादगारी कमेटी, डेमोक्रेटिक लायर्ज एसोसिएशन, लाल झण्डा हीरो साइकिल मज़दूर यूनियन, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान, गोरमिण्ट टीचर्ज यूनियन, नरेगा मज़दूर यूनियन, लाल झण्डा पेण्डू चौकीदार यूनियन, एआईसीसीटीयू आदि संगठन शामिल थे। प्रदर्शन को प्रो. जगमोहन सिंह, राजिवन्दर, हरिजन्दर सिंह, कंवलजीत खन्ना, कर्मजीत कोटकपुरा, विजय नारायण, जसदेव ललतों, डी.पी.मौड़, तरसेम जोधाँ, जगदीश चन्द, रघबीर सिंह, आदि ने सम्बोधित किया।

 

मज़दूर बिगुल, फ़रवरी 2018


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments