गवर्नमेण्ट प्रेस, इलाहाबाद के अप्रेण्टिस कर्मचारी आन्दोलन की राह पर
गवर्नमेण्ट प्रेस की फ़ैक्टरी में 2200 रिक्त पदों पर अदालती आदेश के बावजूद भरती नहीं

बिगुल संवाददाता

उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों का नंगा-नाच अब खुले रूप में दिखायी दे रहा है। देश भर में जगह-जगह छात्र-कर्मचारी-मज़दूर अपनी माँगों को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं। इन नीतियों की मार सबसे ज़्यादा जिन विभागों पर दिखायी दे रही है, उनमें से एक गवर्नमेण्ट प्रेस भी है।

गवर्नमेण्ट प्रेस, इलाहाबाद के कर्मचारियों के अनुसार 2004 में लिपिकीय संवर्ग में लगभग 315 कर्मचारी थे, आज यह संख्या 278 पहुँच गयी है। इसी तरह गवर्नमेण्ट प्रेस की फ़ैक्टरी में कर्मचारियों की संख्या इन वर्षों में 800 से घटकर 436 रह गयी। पिछले कई वर्षों से गवर्नमेण्ट प्रेस की फ़ैक्टरी में अप्रेण्टिस की ट्रेनिंग पूरी करके जॉइनिंग का इन्तज़ार कर रहे अभ्यर्थी आन्दोलनरत हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं जो पिछले 20 वर्षों से अप्रेण्टिस करके बैठे हुए हैं। दूसरी ओर गवर्नमेण्ट प्रेस की फ़ैक्टरी में लगभग 2200 पद रिक्त पड़े हुए हैं। हाईकोर्ट की ओर से इन रिक्त पदों को भरे जाने और अप्रेण्टिस पूरी कर चुके मज़दूरों को प्राथमिकता देने का आदेश होने के बावजूद प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा है। इस वज़ह से एक बार फिर से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अप्रेण्टिस भूख हड़ताल करने को मजबूर हो गये हैं।

बिगुल मज़दूर दस्ता और दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन के समर्थन में धरना-स्थल पर पहुँचकर अपनी बात रखी। बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रसेन ने कहा कि वास्तव में नवउदारवादी नीतियों के असर के चलते आज छँटनी, तालाबन्दी जैसी समस्याएँ आम हो चुकी हैं। सरकारी विभागों में पदों को ख़ाली रखने, पदों को समाप्त करने का काम लगातार चल रहा है। एक ओर बेरोज़गारी भयानक संकट का रूप ले चुकी है, दूसरी ओर सरकार पाँच साल से खाली पड़े पदों को ख़त्म करने के नाम पर लाखों पद ख़त्म करने जा रही है। ऐसे में आज जो कर्मचारी सरकारी विभागों में काम करते हुए ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, उन तक भी इन नीतियों की लपटें कल ज़रूर पहुँचेंगी। ऐसे में अपने व्यापक हितों के लिए उनको भी इस आन्दोलन के समर्थन में उतरना होगा। साथ ही साथ उदारीकरण-निजीकरण की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ छात्र-मज़दूरों-कर्मचारियों की एकता क़ायम करनी होगी।

दिशा छात्र संगठन और बिगुल मज़दूर दस्ता के कार्यकर्ताओं ने आन्दोलन स्थल पर ‘जारी है हड़ताल’, ‘हल्ला बोल’ आदि क्रान्तिकारी गीत भी प्रस्तुत किये। आन्दोलन के समर्थन में बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रसेन, राजू के अलावा दिशा छात्र संगठन की ओर से बृजेश, नीशू, अंजलि, अंगद आदि भी उपस्थित रहे।

मज़दूर बिगुल, फ़रवरी 2018


 

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