ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का प्रथम सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न

7 अक्टूबर, 2018 को गुड़गाँव में ‘ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन’ के बैनर तले ‘ऑटोमोबाइल मज़दूर सम्मेलन’ का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन में गुड़गाँव, धारूहेड़ा, मानेसर इत्यादि इलाक़ों से ऑटोमोबाइल क्षेत्र के मज़दूरों ने शिरकत की। यूनियन के संयोजक अनन्त ने सम्मेलन की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में मज़दूर आन्दोलन पिछले लम्बे समय से एक गतिरोध का शिकार है। इस सेक्टर में पिछले 2 दशकों में मालिक वर्ग-प्रशासन को चुनौती देने वाले आन्दोलन पूरी ऊर्जा के साथ खड़े हुए लेकिन मुक़ाम तक पहुँच पाने में नाकामयाब रहे। उन्होंने आगे कहा कि बावल से लेकर गुड़गाँव तक रजिस्टर्ड यूनियनों के ऊपर हमले किये गये हैं और छँटनी की तलवार ठेका मज़दूरों के साथ अब स्थायी मज़दूरों के ि‍सर पर भी लटक रही है। इन्हीं परिस्थितियों में पिछले एक दशक से जारी मज़दूर आन्दोलन के संघर्षों का निचोड़ निकालने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था। ठेका मज़दूरों को गोलबन्द करने के साथ ही ठेका और स्थायी मज़दूरों की एकता की ज़रूरत पर बल दिया गया।

ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के सनी ने बात रखते हुए पिछले 20 वर्षों में ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार बढ़ते ठेकाकरण की प्रक्रिया की तथ्यों के माध्यम से एक तस्वीर पेश की। उन्होंने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर देश का सबसे अहम सेक्टर है। पूरी जीडीपी में 10 प्रतिशत का योगदान ऑटोमोबाइल सेक्टर की ओर से होता है। पूरे सेक्टर में ठेके पर काम कर रहे मज़दूरों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। मुख्य कारख़ाने और उनके साथ जुड़ी वेण्डर कम्पनियों के बीच के सम्बन्ध और उन कारख़ानों में खटने वाले ठेका मज़दूरों के काम के भयंकर हालात पेश किये। मज़दूरों को निचोड़ने के लिए समय के साथ ही मालिक वर्ग नयी तकनीक अपनाता है। अपनी बात को समेटते हुए उन्होंने कहा कि आज सेक्टरगत आधार पर ठेका मज़दूरों की एक यूनियन बनाने की ज़रूरत है। साथ ही आज ठेका और स्थायी मज़दूरों की एकता क़ायम करने की भी ज़रूरत है।

आइसिन कम्पनी के संघर्ष में सक्रिय रहे उमेश ने आइसिन के मज़दूरों के संघर्ष की एक तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा कि यूनियन के पंजीकरण की उनकी जायज़ माँग पर मालिक और प्रशासन के गँठजोड़ ने हमला किया। पुलिस बल के इस्तेमाल से संघर्ष को तोड़ने में प्रशासन ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, परन्तु मज़दूरों के हौसलों को तोड़ पाने में मालिक-प्रशासन-सरकार का गँठजोड़ नाकाम रहा। आज मज़दूरों को अपनी व्यापक एकता क़ायम करने की ज़रूरत है, सरकार और मालिक वर्ग के गँठजोड़ को तोड़ने का यही एकमात्र रास्ता है। रीको के प्रेमबहादुर ने भी विस्तार से रीको के संघर्ष की कहानी बयान की और मज़दूरों की एकजुटता की ज़रूरत पर बल दिया। होण्डा टप्पुकड़ा से सुरेन्द्र व राजपाल भी सम्मेलन में शामिल हुए। सुरेन्द्र ने और राजपाल ने होण्डा टप्पुकड़ा के साथ ही मज़दूर संघर्ष समिति के अनुभव भी साझा किये। उन्होंने राजस्थान की वसुन्धरा सरकार ने राजस्थान में मज़दूरों के भयंकर दमन की सच्चाइयों को उजागर किया। साथ ही ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की इस पहल को प्रशासनीय क़दम बताते हुए अपनी एकजुटता ज़ाहिर की। डाइकिन से मनमोहन ने भी अपने अनुभव सदन के सामने रखे व इलाक़ाई एकता व सेक्टरगत एकता को खड़ा करने की बात पर बल दिया व डाइकिन यूनियन को खड़ा करने के दौरान लडे़ गये संघर्षों का भी संक्षिप्त ब्यौरा दिया।

बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से अजय ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में पिछले 20 वर्षों के दौरान चले संघर्षों का एक समाहार पेश किया। उन्होंने कहा कि ठेका मज़दूरों के मुद्दे संघर्षों में कभी मुख्य तौर पर नहीं उठाये गये हैं। तमाम यूनियनें ठेका मज़दूरों की माँगों को उठाती ही नहीं हैं, और यदि उठाएँ भी तो सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए उठाती हैं। ज़्यादातर संघर्षों में हार का यही एक कारण रहा है। आन्दोलन के शुरुआती दौर में ठेका मज़दूर जुड़ तो जाते हैं, लेकिन समय के साथ उनकी माँगों को नज़रअन्दाज़ किये जाने के कारण मोहभंग होने के चलते आन्दोलन से पीछे हट जाते हैं। नतीजतन स्थायी मज़दूरों की ताक़त कमजोर पड़ जाती है। आज जिस क़दर छोटी-छोटी फ़ैक्टरियों में काम बाँट दिया गया है, इन हालात में फ़ैक्टरी के आधार पर यूनियन बनाकर संघर्ष लड़ने का सफल नतीजा मिल पाना बेहद मुश्किल है। अजय ने मारुति और होण्डा के संघर्षों के उदाहरण से और उनका समाहार पेश करते हुए मज़दूरों को संघर्षों में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की भूमिका पर भी सोचने का सुझाव दिया। उन्होंने नतीजों के तौर पर ठेका मज़दूरों की एक यूनियन और ठेका व स्थायी मज़दूरों की एकता क़ायम कर ऑटोमोबाइल सेक्टर में संघर्षों के गतिरोध को तोड़ने के लिए ज़रूरी सम्बल बताया।

आटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की ओर से शाम ने बात रखते हुए ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करने वाले मज़दूरों की ज़िन्दगी के अलग-अलग आयामों को पेश किया। एक ओर कारख़ानों में मज़दूरों का शोषण उनकी काम करने की क्षमता निचोड़ने तक किया जाता है, सुरक्षा के कोई इन्तज़ाम नहीं किये जाते हैं, वहीं दूसरी ओर काम से लौटकर लॉज में उनकी नारकीय ज़िन्दगी की तस्वीर पेश की। एक-एक लॉज में चार-चार मज़दूर रहने को मजबूर होते हैं। मालिक, ठेकेदार और मकानमालिक के मकड़जाल में मज़दूर बुरी तरह फँसे हुए होते हैं। एक तरफ़ गुड़गाँव की चमकती हुई इमारतें हैं और दूसरी ओर फ़ैक्टरी-कारख़ानों से सटे रिहायशी इलाक़ों में बसने वाले मज़दूरों के लॉज हैं।

बिगुल मज़दूर दस्ता से जुड़ीं व ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की क़ानूनी सलाहकार शिवानी ने पिछले संघर्षों का समाहार करते हुए आगे के संघर्ष की एक रणनीति पेश करते हुए कहा कि आज सेक्टरगत आधार पर मज़दूरों की एकता क़ायम करनी होगी तथा इसमें ठेका मज़दूरों की ज़रूरी भूमिका होगी, क्योंकि ऑटोमोबाइल पट्टी में क़रीबन 84 प्रतिशत मज़दूर ठेके के तहत ही काम करते हैं। यूनियन मज़दूरों की मालिक-प्रशासन के खि़लाफ़ सामूहिक ताक़त होती है। आज ऑटोमोबाइल सेक्टर की एक स्वतन्त्र ट्रेड यूनियन का निर्माण ही मज़दूर वर्ग के लिए सबसे ज़रूरी काम है। स्थायी मज़दूरों की संख्या को कम करने के लिए फ़िक्स्ड टर्म एम्प्लोयमेण्ट जैसी नीतियाँ लागू की जा रही हैं। इस मसले पर अन्य वक्ताओं की बातों को रेखांकित करते हुए उन्होंने भी आज ठेका और स्थायी मज़दूरों की एकता को ज़रूरी बताया। इसके अलावा मज़दूरों के पीएफ़, ठेका मज़दूर से जुड़े क़ानूनों व इण्डस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के सम्बन्ध में क़ानूनी राय भी रखी।

सम्मेलन में मज़दूरों ने कई प्रस्ताव भी पारित किये। ठेका मज़दूरों की सेक्टरगत यूनियन क़ायम करने के साथ ही मारुति के मज़दूरों को रिहा करने की माँग उठायी जायेगी, 7 फ़ैक्टरियों में हुई ग़ैर-क़ानूनी तालाबन्दी के खि़लाफ़ आवाज़ उठायी जायेगी, सुरक्षा के पुख्ता इन्तज़ाम और न्यूनतम वेतन 20,000 करवाये जाने के अलावा अन्य माँगों पर ध्वनिमत से हाथ उठाकर प्रस्ताव पारित किये गये। मज़दूर सम्मेलन के समर्थन में ऑस्ट्रेलिया एशिया वर्कर्स लिंक की ओर से भी समर्थन पत्र भेजकर इस क़दम की सराहना की गयी। साथ ही अमरीका के ग्रुप एमसीजी ने भी क्रान्तिकारी एकजुटता पेश की। इसके अलावा पंजाब से कारख़ाना मज़दूर यूनियन और टेक्सटाइल हौज़री यूनियन, दिल्ली की पंजीकृत दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन व दिल्ली मेट्रो रेल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के साथ ही दिल्ली स्टेट की आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन की ओर से ही समर्थन पत्र भेजकर क्रान्तिकारी अभिवादन पेश किया गया।

 

मज़दूर बिगुल, सितम्‍बर-अक्‍टूबर-नवम्‍बर 2018


 

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