पटना में घरेलू कामगार यूनियन का गठन

– वारुणी

केन्द्र सरकार द्वारा लॉकडाउन हटाने के बावजूद बिहार की नीतीश सरकार ने जनता के ऊपर एक के बाद एक लॉकडाउन लगाने का ही विकल्प चुना। स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय शुरुआत से नीतीश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और सिर्फ़ लॉकडाउन कर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया! इसी दौरान घरेलू कामगार महिलाओं की स्थिति बद से बदतर होती चली गयी। पटना के गोसाई टोला, चांई टोला, मैनपुरा, राजापुर, बिंद टोली, नेहरू नगर, दुजरा, कुर्जी एवं दीघा आदि मोहल्ले में रहने वाली सैकड़ों घरेलू कामगार महिलाओं की स्थिति यह थी कि लॉकडाउन की घोषणा होते ही अधिकतर मालिकों ने संक्रमण के डर से काम पर आने से मना कर दिया। इस अवधि में बिना काम किये पैसे का भुगतान करने की बात तो दूर, ज़्यादातर मालिकों ने पहले किये गये कामों के पैसे भी देने से मना कर दिया। ये महिलाएँ और इनके परिवार वाले दाने-दाने को मोहताज होने लगे। सरकार की तरफ़ से राशन वितरण की जो खानापूर्ति भी हो रही थी, जो सड़े हुए चावल भी बाँटे जा रहे थे वह भी इन लोगों को नसीब नहीं हुआ क्योंकि इनमें से ज़्यादातर लोगों के पास राशन कार्ड ही नहीं था। तब नौजवान भारत सभा ने आम नागरिकों एवं सम्पर्कों के बीच से सहयोग जुटाकर इन महिलाओं के बीच राशन आदि ज़रूरी सामानों का वितरण किया। इस संकट की घड़ी में नौभास द्वारा किया गया कार्य काफ़ी नहीं था एवं दूसरी बात यह कि यह ज़िम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की थी। इसके बाद विभिन्न इलाक़ों में अलग-अलग बैठकों का दौर शुरू हुआ और महिलाएँ संगठित होने लगीं। सबसे पहले महिलाओं ने मज़दूर संघर्ष संकल्प अभियान के तहत 9 अगस्त के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दिन अपनी माँगों के समर्थन में पहली बार संगठित होकर विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया।


उसके बाद हुई एक बड़ी बैठक में यह तय हुआ पटना ज़िला के डीएम को लिखित तौर पर ज्ञापन सौंपकर अपनी माँगे (जैसे सबके लिए पर्याप्त मात्रा में राशन एवं बेरोज़गार हो जाने के एवज़ में गुज़ारा लायक बेरोज़गारी भत्ता आदि को) सरकार तक पहुँचाया जाये। इसके लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें क़रीब 350 से अधिक महिलाओं ने अपने हस्ताक्षर किये। डीएम को ज्ञापन सौंपने के पश्चात उनके झूठे आश्वासन के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। इसके बाद 6 सितम्बर को गोसाई टोला में हुई मीटिंग में पटना घरेलू कामगार यूनियन का गठन करने का फ़ैसला किया गया। यह यूनियन पटना शहर के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाली घरेलू कामगार महिलाओं को एकजुट करेगी।


इसी बैठक में लिये गये फ़ैसले के तहत घरेलू महिला कामगारों की विभिन्न माँगों जैसे पंजीकरण, ओवरटाइम दर, बेरोज़गारी भत्ता आदि को लेकर घरेलू कामगार अधिकार मार्च का आयोजन किया गया । मार्च पटना के गोसाईं टोला मोड़ से होकर अशोक राजपथ होते हुए गांधी मैदान तक पहुँचा। इस मार्च में क़रीब 400 महिलाओं ने भागीदारी की। गाँधी मैदान पहुँच कर यह मार्च एक सभा में तब्दील हो गया ।
सभा के बाद पटना सदर के बीडीओ को पटना घरेलू कामगार यूनियन की ओर से ज्ञापन सौंपा गया जिसमें निम्नलिखित माँगें हैं।
1. लॉकडाउन में जिन लोगों के काम छूट गये, सरकार उन सभी को काम की गारण्टी करे और काम न मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता दे।
2. मालिकों के लिए लॉकडाउन के दौरान के पूरे वेतन का भुगतान करना अनिवार्य हो।
3. लॉकडाउन में कई लोगों को राशन नहीं मिला और काम न होने की वजह से वे दाने-दाने को मोहताज हुए, इसलिए जल्द ही सरकार सभी के लिए राशन कार्ड बनवाने की व्यवस्था करे।
4. सभी घरेलू कामगारों को मज़दूर का दर्जा दिया जाये और इसके साथ ही बिहार सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी के दर से उन्हें भुगतान करवाना सुनिश्चित किया जाये। घरेलू कामगारों को बुनियादी अधिकार एवं सुविधाएँ (जैसे पंजीकरण, न्यूनतम वेतन, ओवरटाइम दर, चिकित्सा सुविधाएँ आदि) मुहैया कराये जायें।
5. एक घर में पूरे दिन काम करनेवाले घरेलू कामगार के काम के घण्टे तय किये जायें। साप्ताहिक छुट्टी और अन्य अवकाश दिये जायें। खाना बनाने, बर्तन धोने की मज़दूरी दर घर के सदस्यों की संख्या के हिसाब से और साफ़-सफ़ाई की मज़दूरी दर मकान के क्षेत्रफल के हिसाब से तय हो। वेतन, ओवरटाइम, बोनस, पी.एफ़., पेंशन, भत्ते आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
6. घरेलू कामगारों का पंजीकरण करने के लिए श्रम कार्यालय की ओर से पंजीकरण शिविर लगाये जायें और पंजीकृत घरेलू कामगारों को पहचान-पत्र दिये जायें।
7. सभी घरेलू कामगारों को काम पर रखवाने के लिए प्लेसमेंट सेल सरकार चलाये।

मज़दूर बिगुल, अप्रैल-सितम्बर 2020


 

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