इलाहाबाद में फासिस्टों की गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ छात्र सड़कों पर

मज़दूर बिगुल संवाददाता 

फासिस्ट ताकतें अपने खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनना चाहती। और भारत में इनके हौसले लगातार बढ़ ही रहे हैं। पिछले दिनों, अंधविश्वास और जादू-टोने के खिलाफ लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र डाभोलकर की हत्या कर दी गयी, फिर पुणे में उनकी श्रद्धांजलि सभा पर एबीवीपी और बजरंग दल के गुंडों ने हमला करके आयोजक छात्रों को घायल कर दिया। इसी तरह, इलाहाबाद में लगायी जाने वाली दो प्रगतिशील दीवार पत्रिकाओं ‘प्रतिरोध’ और ‘संवेग’ को फाड़ने और उन्हें लगाने वाले छात्रों से फोन पर गाली गलौज करने और गुजरात के मुसलमानों की तरह काटकर फेंक देने की धमकी देने का मामला सामने आया है।

पिछले माह जुलाई से शहीद भगत सिंह विचार मंच तथा स्त्री मुक्ति लीग के कार्यकर्ताओं को ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ व ‘बजरंग दल’ के तथाकथित कार्यकर्ताओं द्वारा धमकी दी जा रही थी। जुलाई माह में मेडिकल कालेज के एक छात्र ने फोन किया और गाली­गलौज की। उस समय ये पत्रिकाएं लगाने वाले छात्रों को लगा कि ऐसे ही किसी शरारती तत्व की करतूत होगी। इस महीने (अगस्त) ‘संवेग’ में गुजरात के विकास के दावों को गलत साबित करते तथा ऐसे दावों पर सवाल खड़े करते हुए कुछ आँकड़े दिये गये थे। इसके अलावा ‘प्रतिरोध’ दीवार­पत्रिका में मोदी के संदर्भ में अमर्त्य सेन द्वारा दिये गये बयान के बाद तथाकथित मोदी समर्थकों द्वारा अमर्त्य सेन की बेटी की अर्ध­नग्न तस्वीर फेसबुक पर डालने के स्त्री­विरोधी कृत्य पर विरोध प्रकट किया गया। यह दीवार पत्रिका लगने के बाद उसी रात मेडिकल कालेज से पुनः उसी नम्बर से फोन आया कि दोनों दीवार­पत्रिकाओं को फाड़ दिया हूँ। फिर उसके बाद फ़ोन पर लगातार धमकी देने का सिलसिला शुरू हुआ। फोन पर गाली­गलौज भरे मैसेज़ किये गये। नाम और कमरा नम्बर पूछने पर मेडिकल कॉलेज का वह छात्र अपना नाम कभी पंकज तो कभी राजेश बताता और अपना रूम नं. कभी 161 तो कभी 170 बताया। फिर 9415651857, 8574380116 फोन नम्बरों से दो अन्य छात्रों ने भी गाली और धमकी दी। शहीद भगत सिंह विचार मंच के तीन साथी फिर से दीवार पत्रिका लगाने गये तो उसको भी फाड़ने की कोशिश की गयी। इसका विरोध करने पर एबीवीपी व बजरंग दल के लोगों को बुलाकर मारपीट की धमकी दी गयी। इसके बाद इन लोगों द्वारा शाम 7 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक लगातार फोन करके सबक सिखाने, काटकर फेंक देने की धमकी दी जाती रही। फोन पर ये लोग कह रहे थे कि जैसे मोदी ने गुजरात में मुसलमानों को कटवाया था उसी तरह तुम लोग भी काटे जाओगे। शहीद भगत सिंह विचार मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहने पर कि एक लोकतांत्रिक समाज में हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आज़ादी है और अगर आपको हमारी बातें ठीक नहीं लगती हैं तो हम लोग मिलकर इन बातों पर बातचीत व बहस कर सकते हैं, या आप हमारे तर्कों को खारिज करते हुए अपनी दीवार­पत्रिका तैयार कीजिए। इस पर उनका कहना था कि मोदी को कोई कुछ भी कहेगा, तो हम उसे फाड़ देंगे और दीवार­पत्रिका मेडिकल कॉलेज में नहीं लगने देंगे और कहा कि अपना पता बताओ, तो तुम लोगों को सबक सिखाएं।

इस घटना के विरोध में शहीद भगत सिंह विचार मंच और स्त्री मुक्ति लीग के कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद में फ़ासीवाद विरोधी मार्च निकाला जिसमें अनेक संगठनों के लोग और छात्र शामिल हुए। मार्च के दौरान अलोकतांत्रिक, फ़ासीवादी व निरंकुश तौर­तरीकों के खिलाफ पर्चे बांटे गए और जनता से लामबंद होने का आह्वान किया गया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम ऐसी शक्तियों की धमकियों से जनता के हितों के बारे में लिखना व सच्चाई बयां करना कत्तई बन्द नहीं करेंगे और हर तरह के संघर्ष के लिये तैयार रहेंगे। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भी इलाहाबाद में फासिस्टों की इस गुण्डागर्दी की निंदा की।

Ellahabad Samveg

लखनऊ में भी शहर के अनेक प्रमुख बुद्धिजीवियों, लेखकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद में छात्रों-युवाओं की दीवार पत्रिकाओं – ‘संवेग’ तथा ‘प्रतिरोध’ में नरेन्द्र मोदी तथा संघ परिवार की नीतियों की आलोचना से बौखलाए साम्प्रदायिक तत्वों द्वारा इन पत्रिकाओं को फाड़ने और पत्रिका से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं को धमकियां देने की कठोर शब्दों में निन्दा करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की माँग की।

गौरतलब है कि, ‘शहीद भगत सिंह विचार मंच’ एवं ‘स्त्री मुक्ति लीग’ की तरफ से क्रमशः दो दीवार पत्रिकाएं ‘संवेग’ तथा ‘प्रतिरोध’ के नाम से इलाहाबाद में निकाली जाती हैं। ये पत्रिकायें पिछले दो सालों से निकाली जा रही हैं। ‘संवेग’ दीवार­पत्रिका तत्कालीन ज्वलंत मुद्दों और महत्वपूर्ण घटनाओं पर बेबाकी से अपनी जनपक्षधर राय रखी जाती है। यह पत्रिका अंधविश्वास, कट्टरता, जातिवाद, साम्प्रदायिकता और जनता के हितों के खिलाफ खड़ी शक्तियों पर लगातार और मजबूती से चोट करती रही है।

‘प्रतिरोध’ दीवार­पत्रिका स्त्री मुक्ति लीग की तरफ से इस मकसद से शुरू की गई कि स्त्रियों का अपना एक वैचारिक मंच बनाया जाय; जिसके माध्यम से स्त्रियां अपनी भावनाओं को अपनी अन्य बहनों व संवेदनशील पुरुषों तक पहुंचा सकें। साथ ही स्त्री उत्पीड़न के विविध रूपों की शिनाख़्त की जा सके तथा उसके ख़िलाफ सशक्त प्रतिरोध खड़ा किया जा सके। ये दीवार­पत्रिकाएँ शहर के 100 से अधिक स्थानों पर लगायी जाती हैं।

 

मज़दूर बिगुलअगस्‍त  2013

 


 

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