हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड में मज़दूरों के हालात

आनन्द, गुड़गांव

गुड़गांव, हरियाणा के सेक्टर 34 में, हीरो मोटोकार्प लिमिटेड नाम की कम्पनी मोटर साइकिल व स्कूटी बनाती है। इस कम्पनी की भारत में तीन बड़ी शाखाएँ हैं – गुड़गांव, धारूहेड़ा व हरिद्वार में। इस कम्पनी में हर रोज़ 16 घण्टे में 6 हज़ार मोटर साइकिलें बनती हैं। इस कम्पनी में सिर्फ़ असेम्बली लाइन चलती है जहाँ पर मोटर साइकिलों के अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर इसे तैयार किया जाता है। इसके पार्ट-पुर्जों की सप्लाई पूरे भारत में फैली लगभग 630 कम्पनियों के मार्फत होती है जिनमें लाखों मज़दूर काम करते हैं। अगर मोटर साइकिल के सभी पुर्जे हीरो मोटोकार्प बनाने लगे, तो इस कम्पनी को रोज 6,000 मोटर साइकिलें बनाने के लिए करीब डेढ़ लाख मज़दूर रखने पड़ेंगे। लेकिन इन सब झंझटों से बचने के लिए हीरो कम्पनी बने-बनाये पुर्जे सस्ते में खरीद लेती है और उनको असेम्बली लाइन में लाकर जोड़ देती है।

यह कम्पनी हर रोज़ 17 घण्टे तक चलती है – सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक। इस कम्पनी में दो शिफ़्ट में काम होता है – सुबह 6 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक और फिर दोपहर 2:30 बजे से रात 11 बजे तक। इस कम्पनी में 3 असेम्बली लाइनें हैं, जिनमें से एक पर स्कूटी बनती है और बाकी दो पर मोटरसाइकिल जुड़ती है। इस कम्पनी में परमानेण्ट वर्कर करीब एक हज़ार है, जिनका काम है – घूमते रहना, आराम करना व काम करवाना। ट्रेनी, कैजुअल व हेल्पर की श्रेणी में आने वाले बाकी लगभग 5 हज़ार वर्करों को 15 ठेकेदारों के माध्यम से भर्ती किया जाता है। मोटर साइकिल का पूरा काम यही ट्रेनी व कैजुअल वर्कर करते हैं और इनकी तनख्‍वाह, परमानेण्ट वर्कर के मुकाबले एक चौथाई है। सभी एक हज़ार परमानेण्ट लेबर की तनख्‍वाह लगभग 35 से 50 हज़ार के बीच है। जबकि आई.टी.आई. करके ट्रेनी व कैजुअल के रूप में भर्ती होने वाले वर्करों की तनख्‍वाह मात्र 12,500 रुपये है, और पी.एफ. व ई.एस.आई. काटकर इन्हें कैश 10,000 रुपये मिलते हैं। जो वर्कर बिना आई.टी.आई. किये भर्ती होते हैं उनको बतौर हेल्पर भर्ती किया जाता है और उनकी तनख्‍वाह 8 हज़ार रुपये है। लेकिन जहाँ तक काम की बात है, तो काम सभी वर्करों का लगभग एक ही है। लाइन पर रहने वाले वर्कर को एक मिनट की भी फुर्सत नहीं होती है क्योंकि लाइन लगातार चलती रहती है और लगातार लाइन के साथ अपनी जगह पर रहकर काम करना पड़ता है। एक लाइन पर करीब दो सौ से तीन सौ वर्कर काम करते हैं और इस कम्पनी में तीन लाइनें लगातार चलती रहती हैं।

hero_plant

छह हज़ार वर्कर होने पर भी इस कम्पनी में वर्कर पूरे नहीं पड़ते हैं। बाहर की कम्पनियों को अपने वर्कर इस कम्पनी में भेजने पड़ते हैं ताकि वो स्टाक माल को लाइन पर पहुँचाते रहें। कम्पनी के वर्करों को दो टाइम चाय-नाश्ता और खाना कम्पनी की तरफ से मिलता है। मोटोकार्प के लिए ही काम करने वाले बाहर के वर्करों के लिए चाय-नाश्ते पर पाबन्दी रहती है। यहाँ पर सुरक्षा गार्डों को सख़्त आदेश है कि बाहर के वर्करों को भगाते रहें। ये सुरक्षा गार्ड इन वर्करों को ऐसे भगाते हैं जैसे कुत्तों को भगाया जाता है। खैर, चाय तो कभी-कभार डाँट-डपट और गाली सुनकर मिल भी जाती है, मगर खाने की कैण्टीन में सख़्त पाबन्दी है। बाहर के वर्करों को खाने के लिए तीस रुपये खर्च करने पड़ते हैं और अगर बिना कूपन लिए खाने की लाइन में पकड़े गये, तो 3 घण्टे तक बर्तन साफ़ करने पड़ते हैं। अगर आप दूसरी कम्पनी में काम करते हैं, तो उस कम्पनी से आपका बायोडाटा निकालकर, जब से आप काम कर रहे हैं तब से रोज़ के हिसाब से 30 रुपये काट लेंगे और आप कुछ नहीं कर सकते।

इस कम्पनी में जगह-जगह मशीनें लगी हैं जिनमें आपको आने-जाने पर कार्ड पंच करना पड़ता है, और अगर आप एक मिनट की भी देरी से पहुँचे, तो आपका चार घण्टे का पैसा कट जायेगा और इसी तरह अगर एक मिनट पहले भी छुट्टी किये तब भी चार घण्टा का पैसा कटेगा।

 

मज़दूर बिगुलफरवरी  2013

 


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments