बोलते आँकड़े चीखती सच्चाइयाँ

  • हर हिन्दुस्तानी पर इस वक़्त 194 डॉलर यानी करीब 9500 रुपये का विदेशी कर्ज़ है। अगर इसमें आन्तरिक कर्ज भी जोड़ दिया जाये तो यह रकम करीब 33,000 रुपये हो जायेगी।
  • पिछले वर्ष जून तक देश पर कुल विदेशी कर्ज 10,65,600 करोड़ (10 लाख 65 हजार 600 करोड़) रुपये तक पहुँच चुका था। पिछले पाँच वर्ष में यह लगभग दो गुना हो चुका है।
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  • 30 जून, 2008 को सरकार पर कुल आन्तरिक कर्ज 29,39,237 करोड़ रुपये था जोकि 2003-2004 के 16,90,554 करोड़ से लगभग दो गुना ज्यादा था।
  • देश में आज लगभग एक लाख अरबपति हैं। देश के सबसे बड़े दस खरबपति हर मिनट दो करोड़ रुपये कमाते हैं। 2006 में दुनिया के 946 खरबपतियों में से 36 भारतीय थे।
  • देश की ऊपर की दस प्रतिशत आबादी के पास कुल परिसम्पित्ति का 85 प्रतिशत इकट्ठा हो गया है जबकि नीचे की साठ प्रतिशत आबादी के पास मात्र दो प्रतिशत है। ऊपर के 0.01 प्रतिशत लोगों की आमदनी पूरी आबादी की औसत आमदनी से दो सौ गुना अधिक हो गयी है।
  • देश के 84 करोड़ लोग 20 रुपये रोज़ाना से कम पर और उनमें से 22 प्रतिशत लोग क़रीब साढ़े ग्यारह रुपये रोज़ाना की आमदनी पर जीते हैं। पूरे देश में 18 करोड़ लोग झुग्गियों में रहते हैं और 18 करोड़ लोग फुटपाथों पर सोते हैं।
  • देश की ऊपर की तीन फ़ीसदी और नीचे की 40 प्रतिशत आबादी की आमदनी के बीच का अन्तर आज 60 गुना हो चुका है।
  • देश में प्रतिदिन 9000 बच्चे भूख और कुपोषण से मरते हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के 50 फीसदी मामलों का कारण कुपोषण होता है। देश के हर तीसरे व्यक्ति, यानी 35 करोड़ लोगों को प्रायः भूखे सोना पड़ता है।

 

 

बिगुल, जनवरी 2009

 


 

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