मँहगाई से खुश होते मन्त्री जी…!

प्रेम प्रकाश, बुराड़ी, दिल्ली

देश की ”तथाकथित” आज़ादी में यूपीए-2 का शासनकाल सबसे बड़े घोटाले और रिकार्ड तोड़ मँहगाई का रहा है, जिसमें खाने-पीने से लेकर पेट्रोल-डीजल, बिजली के दामों में बेतहाशा वृद्धि ने ग़रीब आबादी से जीने का हक़ भी छीन लिया है। लेकिन इन सब कारगुज़ारियो के बावज़ूद यूपीए-2 के केन्द्रीय इस्पात मन्त्री बेनी प्रसाद का कहना है कि मँहगाई बढ़ने से उन्हें इसलिए खुशी मिलती है क्योंकि इससे किसानों को लाभ मिलता है लेकिन बेनी प्रसाद जी ये बताना भूल गये कि इस लाभ की मलाई तो सिर्फ धनी किसानों और पूँजीवादी फार्मरों को मिलता हैं क्योंकि आज ग़रीब किसान लगातार अपनी जगह-ज़मीन से उजड़कर सवर्हारा आबादी में धकेले जा रहे हैं। कई अध्ययन ये बता रहे हैं कि छोटी जोत की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।

इसकी ताज़ा मिसाल सूचना के अधिकार क़ानून के तहत मिली जानकारी से मिलती है जिसके अनुसार देश में 2008 से 2011 के बीच देश भर में 3340 किसानों ने आत्महत्या की। इस तरह से हर महीने देश में 70 से अधिक किसान आत्महत्या कर रहे हैं जिसमें सबसे अधिक महाराष्ट्र में 1862 किसानों ने आत्महत्या की, कर्नाटक में 371 किसानों ने आत्महत्या की। वहीं दूसरी तरफ कर्ज़ के बोझ तले किसानों की बात की जाये तो देश में एक लाख 25 हजार परिवार सूदखोरों के चंगुल में फँसे हुए हैं।

ये चन्द आँकड़े बेनी प्रसाद जी के लिए काफी होने चाहिए जो किसानों की खुशहाली की बात कर रहे हैं लेकिन ग़रीब किसान के उजड़ने और व्यवस्था द्वारा की जा रही ठण्डी हत्याओं पर चुप हैं। वैसे भी मुनाफे पर टिकी इस व्यवस्था में महँगाई के बढ़ने से मुनाफा भी बड़ी पूँजी को ही होगा। छोटी पूँजी का इस व्यवस्था में उड़जना तय है।

 

मज़दूर बिगुल, अगस्त-सितम्बर 2012

 

 

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