चीन के राजकीय उपक्रम भ्रष्ट, मजदूर त्रस्त और युवा बेरोज़गार
एक राजकीय उपक्रम के मज़दूरों द्वारा चीन की कथित कम्युनिस्ट पार्टी को लिखा पत्र

चीन में पूंजीवाद की पुनर्स्थापना के बाद मजदूरों-किसानों के अधिकार-सुविधाएं छीनने की जो प्रक्रिया शुरू हुई थी, वह अब चरम पर पहुंच चुकी है। ‘‘सुधारों’’ से पहले के चीन का उजाला तबाही-बर्बादी के बादलों से ढँक गया है और वहां दुखों और शोषण का अँधेरा व्याप्त है। 1980 के  बाद शुरू हुए “सुधारों” के बाद राज्य के स्वामित्व वाले अधिकांश उपक्रमों को या तो बेच दिया गया है या उन्हें मुट्ठीभर धनिकों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इन उपक्रमों को अपने खून-पसीने से तैयार करने वाले मजदूरों की स्थिति दयनीय है। उनमें से अधिकांश की छँटनी कर दी गई है और बाकी से ठेके पर काम लिया जा रहा है, उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा की गारण्टी नहीं प्राप्त है। यहाँ हम राज्य के स्वामित्व वाले एक उपक्रम के मजदूर प्रतिनिधि द्वारा कम्युनिस्ट नामधारी संशोधनवादी पार्टी को लिखे गए पत्र के सम्पादित अंश प्रस्तुत कर रहे हैं।  अनेक लेखकों के विवरणों से यह समझना कठिन नहीं है कि पूरे चीन के राजकीय उपक्रमों की स्थिति कमोबेश इस पत्र में बयान की गई स्थितियों जैसी ही है। साथ ही आर्थिक मंदी से प्रभावित चीन की ‘‘चमत्कारी’’ अर्थव्यवस्था पर नज़र डालने से भी वहां वर्गों के तीखे होते संघर्ष, मजदूरों-किसानों-नौजवानों की स्थितियां, बेरोजगारी की बढ़ती दर और बढ़ते सामाजिक असंतोष का भी अंदाजा लगता है। – सम्पादक

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हू जिनताओ और पार्टी की 17वीं कांग्रेस के अध्यक्ष मंडल और उसकी कांग्रेस के सदस्यों के नामः

…चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 17वीं कांग्रेस में चीन जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए लोकतांत्रिक, न्यायपूर्ण और समान तरीके अपनाने की बात की गई। लेकिन हमारी फैक्ट्री में न तो लोकतंत्र है न समानता और न ही न्याय। ‘‘सुधारों’’ की शुरुआत के साथ ही हमारी फैक्ट्री के नेताओं ने जनता की सामूहिक संपत्ति का दुरुपयोग किया है और मजदूरों के हितों को गंभीर क्षति पहुंचाई है। हमने उनके खिलाफ कठोर संघर्ष किया लेकिन सरकार के उच्च अधिकारियों से कोई समर्थन या मदद नहीं मिली। राजकीय विभाग में भ्रष्‍टाचार के आरोपों को देखने वाला ब्यूरो भी हमारे मामले को लंबे समय तक टालता रहा, और हाल ही में इस भ्रष्टाचार की जानकारी देने के लिए बीजिंग जाने वाले हमारे प्रतिनिधियों पर हमले का सहारा लिया। अब मैं अपनी स्थिति का विस्तारपूवर्क बयान करूंगाः

मैं ज़िआन शहर में रहता हूं, और ज़िआन की रेक्टिफिकेशन-ट्रांसफॉर्मर (एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस) फैक्ट्री में काम करता हूं, जो आधिकारिक रूप से चीन के ज़िआन पश्चिमी विद्युतीय कॉरपोरेशन की शाखा है जिसका प्रबंधन सीधे केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। 1960 के दशक में लगभग 12 मजदूरों ने हमारी फैक्ट्री स्वायत्त तरीके से खुद ही तैयार की थी और उसके बाद से यह एक विशाल सामूहिक उपक्रम में तब्दील हो चुकी है। 1980 के दशक तक, हम पर्याप्त उत्पादन करने लगे थे। दिसंबर 1994 में फैक्ट्री के कर्मचारियों की संख्या 150 से अधिक थी और कुल संपत्ति 80 लाख से अधिक की थी।  इस सामूहिक उपक्रम की वार्षिक आय 20 लाख आर.एम.बी. से अधिक है।

सार्वजनिक उपक्रमों के मज़दूर नये पेंशन कानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए

सार्वजनिक उपक्रमों के मज़दूर नये पेंशन कानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए

दिसंबर 1994 में उच्च सरकारी अधिकारियों ने झाङ पिङ-आन को हमारी फैक्ट्री के नौकशाहाना तरीके से प्रबंधन के लिए भेजा, लेकिन हमारे उपक्रम के उत्पादन में निरंतर सुधार के बजाय, उनकी कुछ और ही योजनाएं थीं।। उन्होंने अपनी खुद की जेबें भरने के लिए गोपनीय तरीके से हमारी फैक्ट्री की परिसंपत्तियों का इस्तेमाल करके एक अन्य फैक्ट्री निर्मित की। हमारे फैक्ट्री द्वारा तैयार ट्रक और अन्य वाहन न्यूनतम कीमतों पर उनके रिश्तेदारों को बेच दिए गए। उन्होंने फैक्ट्री की परिसंपत्यिों का इस्तेमाल करके  अपने मजे के लिए एक बेशकीमती कार खरीदी और वास्तव में 4080 ग्राम सोना चुरा कर अपने गांव में भिजवा दिया। उन्होंने हमारी फैक्ट्री में बने कुछ उत्पाद मुफ्त में दे दिए, और पार्टी के दो शाखा सचिवों और ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। तकनीकी विभाग, विपणन विभाग और भंडारगृह के सुरक्षा गार्ड सभी को उन्होंने निरस्त कर दिया, और अलग-अलग बहाने बना कर उपक्रम के 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों को निकाल दिया। यहाँ तक की सुरक्षा विभाग और प्रवेश द्वार के सभी गार्डों को निकाल कर अपने रिश्तेदारों और घरेलू नौकरों की भर्ती कर दी। उन्होंने हमारी शानदार फैक्ट्री को तबाह कर दिया और उसे खोखला बना दिया, लेकिन निम्न और गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हुए भी इस क्षेत्र के सबसे अमीर लोगों में शुमार हो गए। उन्होंने शहर में दो बड़े मकान खरीदे और अपने गांव के मकानों को पुननिर्माण कराया, और अपने लिए अनेक घरेलू नौकर नियुक्त किए।

शंघाई में कारख़ाना मज़दूरों का प्रदर्शन

शंघाई में कारख़ाना मज़दूरों का प्रदर्शन

उपक्रम के पूर्व-कर्मचारी न केवल उन भत्तों से वंचित हो गए जिसके वे अधिकारी थे, बल्कि उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा भी प्राप्त नहीं हुई। क्योंकि श्री झाङ कर्मचारियों को मिलने वाली जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं, इसलिए मजदूरों ने सरकार के उच्च अधिकारियों से दूसरा प्रबंधक भेजने की मांग की। कई बार संपर्क किए जाने के बाद प्रान्‍तीय सरकार ने घोषणा की कि हम अपना फैक्ट्री प्रबंधक खुद चुन सकते हैं, और इसे औपचारिक रूप देने के लिए 2004 में संख्या 93 का दस्तावेज जारी किया। यह दस्तावेज स्पष्ट करता है कि फैक्ट्री कर्मचारियों द्वारा वैधानिक तरीके से दूसरा प्रबंधक चुने जाने पर, पुराने प्रबंधन को बर्खास्त कर दिया जाएगा और वापिस बुला लिया जाएगा।

लेकिन चुनाव से तीन दिन पहले, सरकार ने तीन दिन में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने की प्रक्रिया के “पर्यवेक्षण” के लिए कुछ लोगों को भेज दिया। इन स्थितियों में नवंबर 2004 में चुनाव हुआ और हम लोगों के फैक्ट्री का नया प्रबंधक चुना। लेकिन चुनाव के परिणाम उच्च अधिकारियों के पास भेजे जाने पर प्रान्‍तीय सरकार ने उसे मान्यता देने से इंकार कर दिया। इसके बाद दो बार चुनाव हुए लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। प्रबंधक ने भी इस्तीफा देने की हमारी मांग को अनसुना कर दिया और कहा कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं है।

…राज्य के भ्रष्टाचार की रोकथाम संबंधी विभाग में शिकायत की गई। मीडिया से संपर्क किया गया। 7 जुलाई को मैं हमारे फैक्ट्री के मजदूरों के साथ प्रान्‍तीय सरकार के पास हमारे मामले को लेकर गया लेकिन वहां से हमें राजकीय पूंजीगत परिसंपत्तियों की प्रान्‍तीय समिति के पास भेज दिया गया।…इसके बाद 18 जुलाई को, प्रान्‍त के पार्टी सचिव और प्रान्‍त के गवर्नर के प्रत्यक्ष आदेश के तहत, राजकीय पूंजीगत परिसंपत्तियों की प्रान्‍तीय समिति हमारे मामले की सुनवाई के लिए हमारी फैक्ट्री में आयी और अपनी आधिकारिक रिपोर्ट में हमारे आरोपों को सही ठहराया। साथ ही, हमारे द्वारा किए गए चुनाव को उचित वैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार किए गए चुनाव घोषित किया।

इसके बावजूद 9 नवंबर 2005 को प्रान्‍तीय सरकार के पार्टी सचित श्री तिआन कुछ लोगों के साथ फैक्ट्री में आए और हमको खुलेआम धमकाया। उन्होंने कहा कि प्रान्‍तीय सरकार अब भी श्री झाङ का समर्थन करती है और उन्होंने श्री झाङ के प्राधिकार को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की। लेकिन हमारे मजदूरों ने झुकने से इंकार कर दिया।

श्री झाङ ने 3 दिसंबर को, प्रान्‍तीय सरकार के प्रत्यक्ष आदेश के तहत फैक्ट्री के उस ऊर्जा वितरण को काट दिया जो खुद हमारे मजदूरों ने तैयार किया था, ताकि पानी और बिजली की आपूर्ति पूरी तरह कट जाए और फैक्ट्री का समूचा उत्पादन ठप हो जाए।

जनवरी 2006 में, मैं अनेक मजदूर प्रतिनिधियों के साथ बीजिंग के राज्य विभाग में गया। वहां राजकीय पूंजीगत परिसंपत्तियों की समिति के निदेशक वाङ ने कहा कि हम वापिस चले जाएं, ज़िआन पश्चिमी विद्युत कॉरपोरेशन के निर्देश के तहत, हमें अलग होने की आधिकारिक प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दी जाएगी, जिसके बाद हमें फैक्ट्री के प्रबंधन का अधिकार मिल जाएगा। इसके बाद हम पश्चिमी विद्युत कॉरपोरेशन गए, लेकिन उन्होंने हमारी कोई बात नहीं सुनी और इस लिए श्री झाङ पिङ-आन पहले से कहीं अधिक आक्रामक हो गए।

6 सितंबर 2006 में प्रान्‍तीय सरकार के सुरक्षा विभाग के प्रमुख कई सुरक्षा गार्डों के साथ आए और यह कहते हुए फैक्ट्री के मुख्य दरवाजे को तोड़ दिया कि वे काम पर आए मजदूरों को गिरफ्तार कर लेंगे, लेकिन उन्हें हमारे मजदूरों ने खदेड़ दिया।

12 सितंबर 2006  को, ज़िआन शहर के पुलिस विभाग ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए और हमारे मजदूरों को धमकाने के लिए “कानून और व्यवस्था कायम” करने के नाम पर दंगारोधी पुलिस तैनात कर दी, हमारे कर्मचारीयों ने कानूनी तरीके से उन्हें दोबारा खदेड़ दिया।

समय बीतने के साथ ही और तानाशाही सत्ता के निरंतर दबाव में तथा उनकी “फूट डालो, शासन करो” की नीति, साथ ही साथ प्रान्‍तीय सरकार से लगातार मिल रही धमकियों के चलते अधिकांश मजदूरों ने अंततः “हारकर घुटने टेक दिए” क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं था और अपने पदों से इस्तीफा देकर घर बैठ गए। लेकिन उनके दिलों में अब भी रोष की भावनाएं बलवती हैं।

…इस समय तक पांच मजदूर अब भी फैक्ट्री में थे कि उन्हें उम्मीद थी कि राज्य के सामूहिक परिसंपत्तियों को बलपूर्वक छीन लेने वालों को दंड मिलेगा, और प्रबंधन के खिलाफ अदमनीय संघर्ष जारी रखे हुए थे।

23/8/07 को श्री झाङ ने लोगों के एक और दल के साथ फैक्ट्री के मुख्य प्रवेश द्वारा के ताले तोड़ दिए और बलपूर्वक फैक्ट्री पर कब्जा कर लिया। संघर्ष में अंततः हमारी हार हुई और हमें प्रान्‍तीय या केंद्र सरकार से कोई सहायता नहीं मिली। उन्होंने हम सबको फैक्ट्री से खदेड़ दिया और मजदूरों द्वारा उत्पन्न कई मिलियन आर.एम.बी. की परिसंपत्ति पर श्री झाङ का कब्जा हो गया। अब हमारा संघर्ष केवल यहीं तक सिमट कर रह गया है कि कई लोग श्री झाङ से सामाजिक सुरक्षा के उनके अधिकार देने की मांग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीजिंग में कई लोग हैं जिन्हें ऐसी ही स्थितियों का सामना करना पड़ा है।

… यह एकदम स्पष्ट है यहाँ व्यक्तियों के बुनियादी अधिकारों की गारंटी नहीं दी जा सकती , और अनेक मासूम पुरुषों और महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है या आपराधिक दंड तक दिया जाता है। यह एक बेहद गंभीर स्थिति है और एक व्यवस्था की विफलता है…

ज़िआन रेक्टिफिकेशन-ट्रांसफॉर्मर फैक्ट्री के मजदूरों का एक प्रतिनिधि

 

बिगुल, अप्रैल 2009

 


 

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