लुधियाना में गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ मज़दूरों का संघर्ष

tibbba roadबीती 6 सितम्बर को विशाल संख्या में जुटे लोगों ने टिब्बा रोड लूट-मार काण्ड व लुधियाना में बढ़ती गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ तीन जुझारू जनसंगठनों टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, कारखाना मज़दूर यूनियन व नौजवान भारत सभा के साझे बैनर तले बस्ती जोधेवाल थाने पर ज़ोरदार रोष प्रदर्शन किया। ‘लोगों की सुरक्षा की गारण्टी करो!’ ‘टिब्बा रोड लूट-मार काण्ड के दोषियों बिल्ला-हैपी को गिरफ्तार करो!’, ‘बस्ती जोधेवाल पुलिस मुर्दाबाद!’,  आदि नारे बुलन्द करते हुए प्रदर्शनकारियों ने माँग की कि लूट-मार काण्ड के दोषियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए और लुधियाना में लोगों के साथ बढ़ती जा रही गुण्डागर्दी, लूट-मार, छुरेबाज़ी, स्त्रियों को अगवा करने, बलात्कार, छेड़छाड़ आदि अपराधों को रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जायें। प्रदर्शन को कारखाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, टेक्सटाइल-होज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविन्दर, नौजवान भारत सभा के नवकरण, यूनियन नेताओं छोटेलाल, महेश, प्रेमनाथ, विशाल आदि ने सम्बोधित किया।

लुधियाना में साधारण जनता खासकर प्रवासी मज़दूर अक्सर गुण्डागर्दी का शिकार होते रहते हैं। पुलिस हमेशा मूकदर्शक बनकर देखती ही नहीं रहती बल्कि गुण्डागर्दी का साथ भी देती है। 27 अगस्त को टिब्बा रोड पर दो गुण्डों ने थोड़े समय के अन्तराल पर दो मज़दूरों को लूट-मार का शिकार बनाया। हो चुकी है। थाने पर रोष प्रदर्शन के बाद इस मामले में धारा 382, 34, 323 के तहत एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी। इसके चार दिन बाद पुलिस ने दोषियों को पकड़ तो लिया लेकिन बिना गिरफ्तारी दिखाये छोड़ दिया। साझा प्रदर्शन से पहले ही पुलिस ने दोनों दोषियों को फिर से गिरफ्तार कर लिया लेकिन यह रिपोर्ट लिखे जाने तक पुलिस ने कागजों में दोषियों की गिरफ्तारी दर्ज नहीं की थी।

टिब्बा रोड मामले के ये दोषी व इनके साथियों से इस इलाके के लोग खासकर मज़दूर काफी परेशान हैं। मज़दूरों से मारपीट करना, उनसे पैसे-मोबाइल छीन लेना, लड़कियाँ छेड़ना आदि इनका रोज़मर्रा का काम है। पुलिस के पास शिकायतें होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब फिर पुलिस इस लूट-मार की घटना को आपसी झगड़े का मामला बताकर इन गुण्डों को बचाने में लगी है। इलाके का एक अकाली नेता व कुछ अन्य व्यक्ति गुण्डों की मदद कर रहे हैं। मज़दूरों के अलावा बाकी स्थानीय आबादी गुण्डों के ख़िलाफ़ खुलकर सामने नहीं आ रही लेकिन गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ मज़दूरों के संघर्ष से लोग काफी खुश हैं।

लूट-मार का शिकार मज़दूरों को केस वापिस न लेने पर जान से मार देने, पीड़ित शम्भू की लड़कियों को तंग करने जैसी धमकियाँ दी जा रही हैं। थाने में शिकायत होने के बाद भी शम्भू पर उपरोक्त गुण्डा गिरोह जानलेवा हमले कर चुका है। शम्भू के बच्चों को डर के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा है। बस्ती जोधेवाल पुलिस की इस घटिया कारगुजारी के बारे में ए.डी.सी.पी-4 सतपाल सिंह अटवाल को मिलकर लिखित में शिकायत दी गई है। मुख्य मंत्री, डी.जी.पी., पुलिस कमिश्नर, हाईकोर्ट के मुख्य जज, मानवाधिकार आयोग को चिट्ठियाँ भेजी गई हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से पीड़ितों की सुरक्षा के लिए कोई बयान तक नहीं दिया गया है। यूनियन ने अपने दम पर उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाये हैं। इस प्रकार से यह स्पष्ट समझा जा सकता है कि पुलिस, प्रशासन, सरकार से लोगों को सुरक्षा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए गुण्डों-पुलिस-नेताओं के नापाक गठबन्धन के ख़िलाफ़ जागरूक, एकजुट और लामबन्द होकर अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।

मज़दूर बिगुल, अगस्‍त-सितम्‍बर 2015


 

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