स्त्रियों पर बढ़ते हमलों के खि़लाफ़ देशभर में प्रदर्शन
किसी भी रूप में बलात्कार का समर्थन करने वालाें के लिए इस समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए!

उन्नाव और कठुआ की दरिंदगी और देश भर में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती यौन हिंसा और उसके दोषियों को भाजपा-संघ द्वारा संरक्षण दिये जाने के विरोध में पूरे देश में लोगों का आक्रोश फूट पड़ा है। देश के हर राज्य में और लगभग सभी छोटे-बड़े शहरों में इन घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन हुए। दिल्ली, केरल, इलाहाबाद, लखनऊ, मुंबई सहित देश में कई जगहों पर तो आम लोगों ने अपनी कालोनियों के आसपास ऐसे पोस्टर या बैनर लगा दिये कि यहाँ पर बच्चियाँ रहती हैं, यहाँ भाजपा और संघ के लोगों का आना मना है।

स्त्री मुक्ति लीग, स्त्री मज़दूर संगठन, नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन ने अपने सभी कार्यक्षेत्रों में विभिन्न संगठनों के साथ साझा विरोध प्रदर्शनों में भी हिस्सेदारी की और इस मुद्दे पर अलग से भी लोगों के बीच लगातार अभियान चलाया।

लखनऊ में स्त्री मुक्ति लीग की पहल पर 10 अप्रैल को जीपीओ पर विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें विभिन्न संगठनों के लोगों ने भाग लिया। इसके अलावा शहर के विभिन्न इलाकों में पोस्टर प्रदर्शनी और पर्चे के माध्यम से यह संदेश लोगों तक पहुँचाया जा रहा है कि देश भर में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा की जड़ों की शिनाख़्त कर फासिस्ट दरिंदगी को नेस्तनाबूद करने की तैयारी के लिए लोगों को एकजुट होना होगा। इस मुहिम के तहत कपूरथला, हज़रतगंज, खदरा, लोहिया पार्क, रेलवे ऑफिस, डालीगंज आदि जगहों पर प्रदर्शनी लगाई गई। उन्नाव और कठुआ के मुद्दे की मीडिया कवरेज की वजह से लोगों में समस्या की मूल वजह जानने की जिज्ञासा दिखी, हालाँकि लोगों में इस भ्रम का भी असर दिखा कि सख़्त कानून बना देने से समस्या का समाधान हो जायेगा। जैसा कि उम्मीद थी, कई जगहों पर ऐसे हिन्दुत्ववादियों से भी सामना हो जो बेशर्मी से बलात्कार की इन घटनाओं को हिन्दू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन आम लोगों ने खुद ही बलात्कारियों का समर्थन करते संघियों को आड़े हाथों लिया और वे भाग खड़े हुए। शहर के विभिन्न संगठनों की ओर से महिलाओं पर हिंसा के विरोध में 16 से लेकर 24 अप्रैल तक चलाये साझा अभियान में भी स्त्री मुक्ति लीग ने हिस्सा लिया जिसके तहत 16 अप्रैल को हुए विरोध मार्च में विधानसभा के सामने स्थित भाजपा कार्यालय के सामने पहुँचते ही मार्च में शामिल स्त्रियों का गुस्सा फूट पड़ा और भाजपा तथा संघ के खिलाफ़ देर तक उग्र नारेबाज़ी की गयी।

दिल्ली के संसद मार्ग पर कठुआ और उन्नाव के दोषियों को सज़ा दिलाने और बढ़ते स्त्री विरोधी अपराधों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हुए सैकड़ों की संख्या में आम नागरिक, छात्र, युवा इकट्ठे हुए। स्त्री मुक्ति लीग, नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सेदारी की और कहा कि कठुआ और उन्नाव में हुए बलात्कारों की बर्बरता और इन अपराधों के दोषियों को सत्ता में बैठे नेता-मंत्रियों द्वारा बचाने की कवायद बेहद ही शर्मनाक है। मोदी सरकार द्वारा ‘न्यू इंडिया’ का जो गुब्बारा फुलाया जा रहा है उसकी सच्चाई को वास्तव में बढ़ते हुए स्त्री विरोधी, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी, आम मेहनतकश अवाम और मज़दूर विरोधी घटनाओं से बखूबी समझा जा सकता है। इस प्रदर्शन के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने बलात्कारियों को सख़्त सज़ा देने की माँग को उठाया। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में जहाँ हर चीज़ उपभोग का एक माल बना दी गयी है वहाँ स्त्रियों को भी उपभोग की वस्तु से अलग और कुछ नहीं समझ जाता। पितृसत्तात्मक मानसिकता को पूँजीवाद वह उपजाऊ ज़मीन प्रदान करता है जिसमे स्त्रियों के ख़िलाफ़ बर्बर से बर्बर अपराध आम घटनाएँ बन जाते हैं। ऐसे में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार आये, चाहे कागजों पर जितने भी क़ानून बना लिए जाए, स्त्रियों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल रहता है। ऐसे में बढ़ते स्त्री विरोधी अपराधों का जवाब देने के लिए हर न्यायप्रिय छात्र, युवा, नागरिक को एकजुट होना होगा। और इस समाज के पोर-पोर में पैठी पितृसत्तामक सोच जिसे पूँजीवादी व्यवस्था फलने-फूलने में मदद कर रही है जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।

दिल्ली की शाहाबाद डेरी में दिल्ली घरेलू कामगार यूनियन, स्त्री मुक्ति लीग, स्त्री मज़दूर संगठन और नौजवान भारत सभा द्वारा बलात्कारों के विरोध में अभियान चलाया गया। दिल्ली घरेलू कामगार युनियन की बीना ने कहा कि स्त्री विरोधी बर्बर अपराधों को अंजाम देने वाले लोग आज ‘जय श्री राम’ के नारों और तिरंगे झंडे की आड़ में खुद को बचाने में लगे हैं। इतना ही नहीं भाजपा से लेकर कांग्रेस जैसी तमाम चुनावबाज़ पार्टियों के नेता मंत्री खुलेआम बलात्कारियों के समर्थन और पक्ष में खड़े हुए नज़र आ रहे हैं। इस प्रदर्शन के दौरान व्यापक रूप से पर्चा वितरण करते हुए आम मेहनतकश आबादी से स्त्री विरोधी अपराधों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने और एकजुट होने का आह्वान किया गया। साथ में कठुआ और उन्नाव के बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सज़ा बिना किसी विलंब के दिये जाने की माँग की गयी। कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के स्क्वाड बनाने और आत्म-रक्षा के लिए प्रशिक्षण कैम्प लगाने की बात कही। प्रदर्शन के दौरान घरेलू कामगार महिलाओं ने भी बात रखी।

16 अप्रैल को लुधियाना जि़ला के इंसाफ़पसन्द जनवादी जनसंगठनों द्वारा कठुआ, उन्नाव, सूरत काण्ड सहित देश में स्त्रियों के खि़लाफ़ लगातार बढ़ते जा रहे घिनौने अपराधों के खि़लाफ़ रोष प्रदर्शन किया व डीसी लुधियाना को भारत सरकार के नाम माँगपत्र सौंपा। संगठनों ने शहीद करतार सिंह सराभा पार्क, भाई बाला चौक से लघु सचिवालय तक पैदल मार्च भी किया। भारत सरकार को भेजे माँगपत्र के ज़रिये माँग की गयी कि उन्नाव व कठुआ काण्ड के पीड़ितों को इंसाफ़ दिया जाये। दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ाएँ दी जायें, उन्नाव काण्ड के मुख्य दोषी कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता ख़ारिज़ की जाये, उपरोक्त मामलों में दोषियों को सरकारी सरपरस्ती देने वालों को भी सख़्त सज़ाएँ दी जायें, कठुआ काण्ड के मामले में आरोपियों के पक्ष में साम्प्रदायिक प्रदर्शन करने वाले भाजपा विधायकों के खि़लाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाये, उपरोक्त मामलों सहित स्त्रियों के खि़लाफ़ बलात्कार जैसे घिनौने अपराधों के मामले में फ़ास्ट ट्रेक अदालतों में निपटाए जायें, अपराधियों को सरकारी सरपरस्ती देना बन्द हो।

संगठनों का कहना है कि आरएसएस, भाजपा व अन्य हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा इन हमलों को भी साम्प्रदायिक रंगत दी जा रही है। उत्तर प्रदेश में कुलदीप सेंगर और उसके सहयोगियों द्वारा सामूहिक बलात्कार जैसे घिनौने अपराध को अंजाम देने के बाद भी अपराधी लम्बे समय तक आज़ाद घूमते रहे हैं, पीड़िता और उसके परिवार को डराते-धमकाते रहे हैं, पीड़िता के पिता को जिस ढंग से पुलिस हिरासत में क़त्ल किया गया उससे यह स्पष्ट है कि अपराधियों को सरकार, पुलिस, प्रशासन की सरपरस्ती हासिल है। संगठनों का यह भी मानना है कि हिन्दुत्वी साम्प्रदायिक फासीवादी आरएसएस के उभार, केन्द्र व विभिन्न राज्यों में भाजपा सरकारें बनने के इस दौर में स्त्रियों के खि़लाफ़ अपराध पहले किसी भी समय से कहीं अधिक भयानक हद तक बढ़ चुके हैं।

संगठनों ने स्त्रियों के खि़लाफ़ लगातार बढ़ते जा रहे अपराधों, अपराधियों को सरकारी सरपरस्ती और अन्य जन मुद्दों पर जनता को संगठित संघर्ष के लिए आगे आने का आह्वान किया है।

रोष प्रदर्शन में बिगुल मज़दूर दस्ता, कारख़ाना मज़दूर यूनियन, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, नौजवान भारत सभा, जमहूरी अधिकार सभा, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान, सीआईटीयू, तर्कशील सोसाइटी, शहीद भगत सिंह नौजवान सभा, इंक़लाबी केन्द्र पंजाब, रेलवे पेंशनर्ज़ वेलफ़ेयर एसोसिएशन, लोक मंच पंजाब, पंजाब लोक सभ्याचारक मंच, लोक मोर्चा पंजाब, लोक एकता संगठन, इंक़लाबी नौजवान विद्यार्थी मंच, अज़ाद हिन्द निर्माण मज़दूर यूनियन आदि संगठन शामिल थे।

इलाहाबाद, गोरखपुर, देहरादून, गाज़ि‍याबाद  और वाराणसी में भी स्त्री मुक्ति लीग और नौजवान भारत सभा ने इन घटनाओं के विरोध में अभियान चलाया और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किये।                                               

 

मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2018


 

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