मोदी सरकार के घोटालों की पोल खोलती नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट

आशीष

नियन्त्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट मोदी सरकार के कई बड़े घपलों की पोल खोलती है। कैग की रिपोर्ट आने के बाद गोदी मीडिया ने चुप्पी के षड्यन्त्र के ज़रिये इसे दबाने का भरपूर प्रयास किया। ‘बहुत हुआ भ्रष्टाचार-अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे जुमले की पोल तो काफ़ी पहले ही खुल चुकी है। अब कैग की हालिया रिपोर्ट तथाकथित साफ़ छवि वाली सरकार की काली करतूत को और खुले तौर पर लोगों के समक्ष उजागर करती है। आइए अब कैग की रिपोर्ट में आये घोटाले की चर्चा करते हैं।

कैग की रिपोर्ट में सड़क एवं परिवहन मन्त्रालय के घोटाले का ज़िक्र है। द्वारका एक्सप्रेस-वे के एक किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए 18 करोड़ की राशि का ख़र्च अनुमोदित किया गया था। लेकिन यहाँ एक किलोमीटर सड़क बनाने में लगभग 250 करोड़ रुपये ख़र्च किये गये हैं! इसमें अनुमानित राशि से 14 गुना अधिक राशि आवण्टित की गयी है। केवल द्वारका एक्सप्रेस-वे में ही नहीं बल्कि भारत सरकार के सड़क एवं परिवहन निर्माण विभाग के भारतमाला परियोजना के अन्य प्रोजेक्टों में भी काफ़ी गड़बड़ियाँ मौजूद हैं। कैग के अनुसार भारतमाला परियोजना में अनुमोदित राशि से लगभग 58 फ़ीसदी राशि अधिक आवण्टित की गयी। परियोजना को महँगा करने के बावजूद काम तय समय पर नहीं हुआ। मामला केवल वित्तीय गड़बड़ियों का नहीं है बल्कि इसमें और भी कई प्रकार की गड़बड़ियाँ हैं। उन बोली लगाने वालों को भी काम दिया गया है जिसके पास वाजिब दस्तावेज़ तक नहीं थे। यानी फर्ज़ी दस्तावेज़ के आधार पर बोली लगाने वालों का चयन करने के मामले भी सामने आये हैं। ज़ाहिरा तौर पर ऐसे बोली लगाने वालों को सही जेबें गरम करने पर ही ठेके मिले होंगे! इसके अलावा, कई भारतमाला परियोजनाएँ निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए पर्यावरण मंजूरी के बिना कार्यान्वित की जा रही थी।

कैग की एक अन्य रिपोर्ट में दक्षिण भारत के कई राज्यों में टोल के नियमों के उल्लंघन का ज़िक्र आता है। टोल नियम का उल्लंघन करके सड़क उपयोगकर्ताओं से अवैध तरीके से 154 करोड़ रुपये की उगाही की गयी है। यानी, सीधे तौर पर जनता को लूटने के लिए टोल का पूरा तन्त्र चलाया जा रहा है।

कैग की रिर्पोट के अनुसार आयुष्मान भारत-प्रधानमन्त्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) में कई प्रकार के घोटाले सामने आये हैं। वैसे तो यह योजना ही अपने आप में मेहनतकश जनता विरोधी और निजी पूँजी के पक्ष को पोषित करती है। वास्तव में जहाँ सरकार को बड़े-बड़े सरकारी अस्पताल और सरकार की ओर से बेहतर दवा-इलाज के इन्तज़ाम पर ज़ोर देना चाहिए था, वहाँ इस पूरे काम को निजी क्षेत्र के लिए छोड़ दिया गया है कि तमाम धन्नासेठ मेहनतकश जनता के स्वास्थ्य को मुनाफ़ा पीटने का क्षेत्र बना दें। सरकार द्वारा स्तरीय, समान एवं निशुल्क स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के बजाय लाभार्थियों को 5 लाख रुपये स्वास्थ्य के लिए इंश्योरेंस देने का प्रावधान किया गया है। दरअसल, सरकार इंश्योरेंस देकर प्राइवेट हॉस्पिटल के धन्धा-पानी का जुगाड़ कर रही है। कैग की रिपोर्ट में कई आश्चर्यजनक खुलासे हुए हैं। आयुष्मान भारत योजना के साढ़े सात लाख लाभार्थी का मोबाइल नम्बर एक ही हैं! इस योजना के तहत 3446 ऐसे व्यक्तियों को इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये भुगतान किया गया, जिनकी मृत्यु डेटाबेस के अनुसार पहले ही हो चुकी थी। ज़ाहिर है, यह पैसा भी भाजपा के नेता-मन्त्रियों व नौकरशाहों की जेबों में गया है। मृत लोगों के नाम पर उगाही कैसे की गयी, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। आयुष्मान भारत प्रधानमन्त्री जन आरोग्य योजना के तहत देशभर में 2231 अस्पतालों में क़रीब 78,396 ऐसे मामले हैं जिनमें मरीज एक साथ कई चिकित्सा संस्थानों में भर्ती किये गये हैं! राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मुख्य रूप से ये मामले उन परिदृश्यों में सामने आते हैं, जहाँ एक बच्चा एक अस्पताल में पैदा होता है और माँ की पीएमजेएवाई आयीडी का उपयोग करके दूसरे अस्पताल के नवजात देखभाल में स्थानान्तरित हो जाता है। कैग की रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के इस दावे को ख़ारिज किया गया है क्योंकि यह एक साथ कई अस्पताल में भर्ती होने वाले केवल शिशु या उसकी माता का मामला नहीं है। 23670 पुरुष मरीज को एक साथ कई चिकित्सा संस्थानों में भर्ती करने के मामले सामने आये हैं। एक साथ कई चिकित्सा संस्थानों में भर्ती के मामले में गुजरात सबसे पहले आता है। गुजरात में सबसे अधिक 21,514 मामले दर्ज किये गये, उसके बाद छत्तीसगढ़ (9,640) और केरल (9,632 मामले) का स्थान है।

कैग की रिपोर्ट में अयोध्या डेवलपमेण्ट प्रोजेक्ट धाँधली की बात भी सामने आयी है। धर्म के नाम पर ज़मीन आसमान एक करने वाली भाजपा-आरएसएस ख़ुद को सबसे बड़ा धर्मध्वजाधारी के रूप में पेश करती है। धर्म के नाम पर दंगा फ़साद भड़काकर लोगों की हत्या तक करवाने वाली यह पार्टी केवल लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर अपनी राजनीतिक गोटियाँ लाल करती है। अयोध्या डेवलपमेण्ट प्रोजेक्ट के घोटाले ने एक बार फिर से साबित किया है कि भाजपा-आरएसएस का पूरा गिरोह असल में पूँजी का चाकर है। इस प्रोजेक्ट में ठेकेदारों को अनुचित तरीके से 19.73 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया है। प्रोजेक्ट में कुछ ऐसे काम के लिए भी भुगतान हुए हैं जो काम वास्तविकता में ज़मीन पर हुआ ही नहीं है। ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि “राष्ट्रवादी” भाजपा ने ही एक समय कारगिल में मारे गये सैनिकों की ताबूत की ख़रीद में भी घोटाला किया था। धर्म और राष्ट्रवाद का इस्तेमाल भाजपा केवल जनता को मूर्ख बनाने के लिए करती है। असल में हर जगह धर्म और राष्ट्रवाद के फर्जीवाड़े का इस्तेमाल भी भाजपा के नेता-मन्त्री नोट छापने और सम्पत्ति बनाने के लिए करते हैं।

कैग की रिपोर्ट में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मन्त्रालय में भी घोटाले का मामला सामने आया है। ग्रामीण विकास मन्त्रालय की एक योजना नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम है, जिसके तहत वृद्धावस्था पेंशन भी है, उसके फण्ड से पैसा निकाल कर विज्ञापन पर ख़र्च कर दिया गया।

एक के बाद एक ऐसे घोटालों के सामने आने के बाद भी मोदी राज में बेलगाम होते भ्रष्टाचार पर गोदी मीडिया चूँ तक नहीं कर रहा है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी आज भी ख़ुद को पाक-साफ़ और देशभक्त बताने में जी जान से जुटे हैं। कैग की रिपोर्ट इनकी कथनी और करनी के दोमुँहेपन को लोगों के सामने लाता है।

ये तो वे घोटाले हैं जो लोगों के सामने आ गये, कई सारे मामले तो खुल भी नहीं पाते हैं। मामला सामने आने के बाद भी वही रुतबा है, लोगों को भ्रमित करने के लिए, गोदी मीडिया मोदी सरकार की छवि सुधारने का असफ़ल प्रयास कर रहा है। खाये-पिये, अघाये-मुटियाये मध्य वर्ग के लोग आज भी सरकार का गुणगान करते हुए इन चीज़ों से अपना मुँह फेर लेते हैं। उनकी नज़र में आज भी सरकार ईमानदार है! स्पष्ट है कि खाते-पीते उच्च मध्यवर्ग का वर्ग चरित्र ही ऐसा है कि वह लाख घपले-घोटाले सामने आने के बाद भी मोदी सरकार के ही गुणगान करेगा। गोदी मीडिया जो कर रहा है, वह अपेक्षित है। लेकिन व्यापक जनता में भी अब मौजूदा सरकार की सच्चाई खुलकर सामने आ रही है और लोग समझ रहे हैं कि साम्प्रदायिकता का खेल खेलकर फ़ासीवादी मोदी सरकार देश के धन्नासेठों की सेवा कर रही है और इसके नेता-मन्त्री अपनी जेबें भर रहे हैं।

मज़दूर बिगुल, सितम्‍बर 2023


 

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