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रामदरस को इन्साफ कब मिलेगा

रामचरस ने एक यूनियन के ज़रिये लेबर आफिस में शिकायत दर्ज करवायी। पेशी पर मालिक ने रामचरस से कहा कि तुमने तो समझौते के काग़ज़ पर ख़ुद ही अंगूठा लगाया था तो रामचरस हैरान रह गया। उसने तो पेंशन के काग़ज़ों पर अंगूठा लगाया था। तभी उसे मालिक की धोखाधड़ी समझ में आई। मालिक ने उसे धमकी दी कि अब अगर दुबारा उसे परेशान किया तो मारकर खेतों में फेंक देगा और सारा झंझट ही ख़त्म कर देगा। फरवरी में रामचरस की बाँह काट दी गयी क्योंकि इलाज सही न होने की वजह से वह सड़ गयी थी। जान बचाने के लिए बाँह काटनी ज़रूरी थी। अब कटी बाँह लेकर रामचरस लेबर कोर्ट के चक्कर काट रहा है कि शायद इन्साफ मिल ही जाये। यह कहानी सिर्फ रामचरस की नहीं है बल्कि यह करोड़ों मज़दूरों की कहानी है।

लुधियाना के टेक्सटाइल मज़दूरों का संघर्ष रंग लाया

स्पष्ट देखा जा सकता है कि यह हड़ताल कोई लम्बी-चौड़ी योजनाबन्दी का हिस्सा नहीं थी। अपनी माँगें मनवाने के लिए इसे फैक्टरी के मज़दूरों की बिलकुल शुरुआती और अल्पकालिक एकता कहा जा सकता है। इस फैक्टरी के समझदार मज़दूर साथियों से आशा की जानी चाहिए कि वे अपनी इस अल्पकालिक एकता से आगे बढ़कर बाकायदा सांगठनिक एकता कायम करने के लिए कोशिश करेंगे। एक माँगपत्र के इर्दगिर्द मज़दूरों को एकता कायम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ख़राब पीस के पैसे काटना बन्द किया जाये (क्योंकि पीस सस्ते वाला घटिया धागा चलाने के कारण ख़राब होता है), पहचान पत्र और इ.एस.आई. कार्ड बने, प्रॉविडेण्ट फण्ड की सुविधा हासिल हो आदि माँगें इस माँगपत्र में शामिल की जा सकती हैं। हमारी यह ज़ोरदार गुजारिश है कि मज़दूरों को पीस रेट सिस्टम का विरोध करना चाहिए क्योंकि मालिक वेतन सिस्टम के मुकाबले पीस रेट सिस्टम के ज़रिये मज़दूरों का अधिक शोषण करने में कामयाब होता है। इसलिए पीस रेट सिस्टम का विरोध करते हुए आठ घण्टे का दिहाड़ी कानून लागू करवाने और आठ घण्टे के पर्याप्त वेतन के लिए माँगें भी माँगपत्र में शामिल होनी चाहिए और इनके लिए ज़ोरदार संघर्ष करना चाहिए। इसके अलावा सुरक्षा इन्तज़ामों के लिए माँग उठानी चाहिए जोकि बहुत ही महत्‍वपूर्ण माँग बनती है। साफ-सफाई से सम्बन्धित माँग भी शामिल की जानी चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि सभी माँगें एक बार में ही पूरी हो जायेंगी। मज़दूरों में एकता और लड़ने की भावना का स्तर, माल की माँग में तेज़ी या मन्दी आदि परिस्थितियों के हिसाब से कम से कम कुछ माँगें मनवाकर बाकी के लिए लड़ाई जारी रखनी चाहिए।