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चुनावबाज़ पार्टियों के खोखले वादों को पहचानना होगा और आम मेहनतकश जनता को आगे की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा!

चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने वायदा किया था कि पाँच साल तक एक भी झुग्गी नहीं टूटेगी और झुग्गी के बदले पक्के मकान दिये जायेंगे, मगर सरकार बनने के बाद से सिर्फ़ वज़ीरपुर में ही यह झुग्गियाँ टूटने की तीसरी घटना है। सत्ता में आने के 100 दिन के भीतर ही आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों की पोल अब जनता के सामने खुल रही है। झुग्गीवासियों के दम पर 70 में से 67 सीट जीतने वाली आप की सरकार आज उसी को ख़ून के आँसू रुला रही है। जहाँ दिसम्बर की ठण्ड में आज़ादपुर की पटरी के पास रेलवे द्वारा 10 झुग्गियाँ तोड़ी गयी थीं, उसके बाद जेलर बाग में एक स्कूल और उससे लगी झुग्गियाँ तोड़ी गयी थीं और अभी भी पूरी दिल्ली भर के अलग-अलग इलाक़ों (शहादरा, खजूरी, मुकुन्दपुर) में भी झुग्गियों को तोड़े जाने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं।

आज की परिस्थिति और आगे का रास्ता

2014 की हड़ताल को एक साल बीत चुका है, जो वेतन में 1500 हमने हासिल किये थे, महँगाई बढ़ने के कारण आज हालत फिर पहले जैसी है। इस परिस्थिति में यूनियन की तरफ़ से मालिकों को न्यूनतम वेतन नोटिस दिये जा चुके हैं। गरम रोला की कुछ फ़ैक्टरियों में इस बार भी वेतन बढ़ा है परन्तु सभी फ़ैक्टरियों में नहीं बढ़ा है। ठण्डा रोला की फ़ैक्टरियों व स्टील लाइन की अन्य फ़ैक्टरी में मालिक दीवाली पर वेतन बढ़ाता है। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि सभी मज़दूर एक साथ वेतन वृद्धि व अन्य श्रम क़ानूनों को लागू करवाने को लेकर संघर्ष करें। यानी हमें अपनी लड़ाई को इलाक़ाई और पेशागत आधार पर कायम करना चाहिए। यही ऐसा रामबाण नुस्खा है जो हमारी जीत को सुनिश्चित कर सकता है। यानी माँग सभी पेशे के मज़दूरों की उठायी जाये। पिछले साल की हड़ताल में मुख्यतः गरम रोला के मज़दूरों ने हड़ताल की थी, जिसका समर्थन अन्य सभी मज़दूरों ने किया था जिस कारण से हम हड़ताल को 32 दिन तक चला पाये और आंशिक जीत भी हासिल की। इस बार हमें शुरुआत ही अपनी इलाक़ाई और पेशागत यूनियन के बैनर तले संगठित होकर करनी चाहिए। यानी गरम, ठण्डा, तेज़ाब, तपाई, रिक्शा, प्रेस, पोलिश, शेअरिंग व अन्य स्टील लाइन के मज़दूरों का एक साझा माँगपत्र हमें मालिकों के सामने रखना चाहिए। कोई भी हड़ताल इलाक़ाई और सेक्टरगत आधार पर लड़कर जीती जा सकती है।

वज़ीरपुर में ‘गरम रोला मज़दूर एकता समिति’ के नेतृत्व में हड़ताल

गरम रोला मज़दूर एकता समिति को अपने संघर्ष को गरम रोला के मज़दूरों के साथ ठंडा रोला के मज़दूरों, सर्कल के मज़दूरों और पोलिश के मज़दूरों व वजीरपुर इलाके के सभी फ़ैक्टरियों के मज़दूरों के साथ जोड़ना होगा। 700 कारखानों में मज़दूरों की ज़्यादातर माँगें समान हैं। वजीरपुर इलाके के मज़दूर ऊधम सिंह पार्क, शालीमार बाग व सुखदेव नगर की झोपड़पट्टियों में रहते हैं और यहाँ मज़दूरों की आवास, पानी व अन्य साझा माँगें बनती हैं। इन सभी माँगों को समेटने और इस लड़ाई को व्यापक बनाने का काम एक इलाकाई यूनियन ही कर सकती है। इसलिए गरम रोला मज़दूर एक