Category Archives: भारतीय संविधान

कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किनकी सेवा करता है? (पहली किस्त)

हम जिस सम्प्रभु, समाजवादी जनवादी (लोकतान्त्रिक) गणराज्य में जी रहे हैं, वह वास्तव में कितना सम्प्रभु है, कितना समाजवादी है और कितना जनवादी है? पिछले साठ वर्षों के दौरान आम भारतीय नागरिक को कितने जनवादी अधिकार हासिल हुए हैं? हमारा संविधान आम जनता को किस हद तक नागरिक और जनवादी अधिकार देता है और किस हद तक, किन रूपों में उनकी हिफाजत की गारण्टी देता है? संविधान में उल्लिखित मूलभूत अधिकार अमल में किस हद तक प्रभावी हैं? संविधान में उल्लिखित नीति-निर्देशक सिध्दान्तों से राज्य क्या वास्तव में निर्देशित होता है? ये सभी प्रश्न एक विस्तृत चर्चा की माँग करते हैं। इस निबन्ध में हम थोड़े में संविधान के चरित्र और भारत के जनवादी गणराज्य की असलियत को जानने के लिए कुछ प्रातिनिधिक तथ्यों के जरिये एक तस्वीर उपस्थित करने की कोशिश करेंगे।

भारत का संविधान कहता है…

विज्ञान हमें यह शिक्षा देता है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा कही गयी बातों और “पवित्र ग्रन्थों” में लिखे प्रवचनों पर अन्धभक्ति की बजाय अपनी राय वस्तुगत परिस्थितियों का आकलन करके बनायें। भारतीय लोकतन्त्र की वस्तुगत परिस्थितियों के अनुसार तो निम्नलिखित व्याख्या ही की जा सकती है