भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु के 84वें शहादत दिवस पर नरवाना में लगा शहीद मेला!
68 साल की आधी-अधूरी आज़ादी के बाद सफ़रनामा हमारे सामने जिसमें जानलेवा महँगाई , भूख से मरते बच्चे, गुलामों की तरह खटते मज़दूर, करोड़ो बेरोज़गार युवा, ग़रीब किसानों की छिनती ज़मीनें, देशी-विदेशी पूँजीपतियों की लूट की की खुल छूट – साफ़ है शहीदों शोषणविहीन, बराबरी और भाईचारे पर आधारित, ख़ुशहाल भारत का सपना पूरा नहीं हो सका। ऐसे में हमें शहीद-ए-आज़म भगतसिंह की ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए। वो इंसानों को मार सकते है लेकिन विचारों को नहीं। इसलिए हमें मेहनतकश जनता की सच्ची आज़ादी के लिए शहीदों के विचारों को हर इंसाफ़पसन्द नौजवान तक पहुँचाना होगा।