मई दिवस

टी. एम. अंसारी, शक्ति नगर, लुधियाना

यह क़िस्सा नहीं किताबों का यह खेल नहीं दस्तूरों का,
एक मई इतिहास बना है दुनिया के मज़दूरों का।
एक मई 1886 इतिहास का सुनहरा काल हुआ,
निर्दोष ग़रीबों के ख़ून से जब शहर शिकागो लाल हुआ,
जब गूँजा नारा अधिकारों का जब फटे कान सरकारों के
मौत से लड़ते जोश के आगे अमरीका बेहाल हुआ।
सारी दुनिया दहल गयी जब तूफ़ान उठा मज़दूरों का,
एक मई इतिहास बना है दुनिया के मज़दूरों का।
देश पर शासन करने वाले जालिम शासक नीरो हैं,
इन्साफ़परस्ती की दुनिया में एक से सौ तक जीरो हैं,
इन्साफ़ की सच्ची झलक मिली थी पेरिस के कम्यूनों से,
पार्सन, स्पाइस, एंजेल फ़िशर मज़दूरों के सच्चे हीरो हैं।
फाँसी चढ़कर मौत से लड़कर इतिहास लिखा मज़दूरों का,
एक मई इतिहास बना है दुनिया के मज़दूरों का।
सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक काम सभी को करना था,
आठ साल के बच्चों को भी पेट की ख़ातिर मरना था,
बूढ़े-बच्चे, नर और नारी सबकी यही हक़ीक़त थी,
शीश झुकाकर जीने से अच्छा मौत से लड़कर मरना था।
आठ घण्टे का कार्य दिवस हो नारा बना मज़दूरों का,
एक मई इतिहास बना है दुनिया के मज़दूरों का।
माँ के सीने से चिपका बालक अपना फ़र्ज़ निभाया था,
चन्द माह की छोटी उम्र में अमर शहादत पाया था,
ख़ून से भीगे लाल को माँ ने झण्डे में लिपटाया था,
क़ुर्बानी की याद का झण्डा दुगना जोश बढ़ाया था।
मासूम शहीद के ख़ून में रँगकर झण्डा मज़दूरों का लाल हुआ,
एक मई इतिहास बना है दुनिया के मज़दूरों का।

बिगुल, मई 2009


 

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