धीरे-धीरे आगे बढ़ती है

जेम्‍स कोनाली

‘आयरलैण्‍ड की पु‍नर्विजय’ 1915 से यह कविता ली गई है। जेम्‍स कोनाली आयरिश क्रान्तिकारी नेता थे, 1916 में डबलिन में इस्‍टर अभ्‍युत्‍थान के बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्‍हें फांसी दे दी थी।

अपनी देह और आत्‍मा में जकड़ी हुई
सदियों की बे‍ड़ि‍यों को तोड़ने के लिए उठ खड़ी
उन औरतों का प्रयास
आजादी की दिशा में बढ़ा हुआ कदम है
मज़दूर वर्ग को अवश्‍य ही देना चाहिए साधुवाद
और जोरदार होनी चाहिए
उनकी वाहवाही
अगर दासता के खिलाफ उनकी नफरत और उमंग आजादी की ओर बढ़ती है धीरे-धीेरे
औरतों की सेना
लड़ाकू मज़दूरों की सेना के आगे-आगे।


 

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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