मज़दूर बिगुल अख़बार है मज़दूरों का हथियार

– अमि‍त, गाँव – डोहाना खेड़ा, जीन्द, हरियाणा

मज़दूर बिगुल अख़बार है मज़दूरों का हथियार।
जीना है तो लड़ना होगा और लड़ना है तो चलना होगा।
कब तक दबे रहोगे उनके अत्याचारों से,
उखाड़ फेंको उनके वजूद को,
अपने तेज़ दिल और दिमाग़ के विचारों से।

प्रिय साथि‍यों, दरअसल आप सब जानते हैं कि आज के इस समाज में मज़दूर वर्ग की हालत या दशा बहुत ज़्यादा ख़राब हो चुकी है। हर साल पता नहीं कितने ही मज़दूर भूख-बदहाली के कारण मौत के मुँह में समा जाते हैं। और सबसे अहम चीज़ है अपनी माँगों को लेकर अपने अधिकारों को लेकर, अपनी स्वतंत्रता को लेकर मज़दूर आबादी शिक्षित नहीं है और वह इसलिए दबायी जा रही हैं, कुचली जा रही है तो सबसे पहले तो मज़दूरों को उनके हक़-अधि‍कारों से परि‍चि‍त कराना हम सबका सर्वप्रथम कर्तव्य बनता है। हमें ये जानने की आवश्यकता है कि हमारे साथ क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? और मज़दूर वर्ग अपना राज कैसे स्थापित कर सकता है? इसलिए मज़दूर वर्ग को शिक्षित करने के लिए या जगाने के लिए मज़दूर बिगुल अख़बार की ज़रूरत है। मज़दूर बिगुल अख़बार मज़दूरों का एक हथियार रूपी अख़बार है। जिससे मज़दूर पूँजीपतियों से लड़ना और विरोध करना सीखते हैं। अख़बार मज़दूरों को सिर्फ़ शिक्षित ही नहीं करता बल्कि यह सलाह तक भी देता है हमें क्या करना चाहिए, कैसे करना चाहिए। सही मायने में कहूँ तो यह अख़बार मज़दूरों का एक अच्छा हि‍तैषी बनकर आता है या एक सच्चा क्रान्तिकारी शिक्षक बनकर आता है। जो मज़दूरों को समाज की असलियत बताता है और उन पर हो रहे अत्याचारों का पर्दाफ़ाश करता है। यह मेहनतकश लोगों में क्रान्तिकारी भावना और सच्ची सर्वहारा संस्कृति का प्रचारक बनकर आता है। ‘मज़दूर बि‍गुल’ मज़दूर वर्ग व क्रान्तिकारी कार्यकर्ता को शि‍क्षि‍त करता है। साथ ही ये अख़बार उन लुटेरे पूँजीपतियों की चालों पर चोट भी करता है। मज़दूर बि‍गुल समाज में फैली पूँजीवादी अफ़वाहों और कुत्साप्रचार का खण्डन भी करता है। मज़दूर बिगुल उन सब मालिकों के नीचे काम कर रहे मज़दूरों-मेहनतकशों के साथ भेदभाव की असलियत प्रदर्शित करता है और उनका विरोध करता है। ये व्यवस्था मज़दूरों को कठपुतली बनाकर रखना चाहती है तो इसके वि‍रूद्ध हमें एक बि‍गुल अख़बार की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है, हमें एक चिंगारी रूपी बि‍गुल की ज़रूरत है जो एक दि‍न आग बनकर इस व्यवस्था और अत्याचारि‍यों को राख कर देगी जो हमें दबाये हुए हैं। मुझे मज़दूर बि‍गुल अख़बार बहुत अच्छा लगा। मैंने इस अख़बार को अच्छी तरह पढ़ा और जाना। इसमें लि‍खे लेखों की गहराइयों को समझा। मैं चाहता हूँ कि ‍यह अख़बार हर एक मज़दूर साथी के पास पहुँचे, जि‍सकी हमें सख़्त ज़रूरत है। इसकी सहयोग राशि ‍पाँच रुपये है। ये अख़बार जनता के सहयोग से चलता है।

मज़दूर बिगुल, मई 2021


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments