कविता – डॉक्टर के नाम एक मज़दूर का ख़त / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट A Worker’s Speech to a Doctor / Bertolt Brecht
तुम्हारे पास आते हैं जब
बदन पर बचे, चिथड़े खींचकर
कान लगाकर सुनते हो तुम
हमारे नंगे जिस्मों की आवाज़
खोजते हो कारण शरीर के भीतर।
पर अगर
एक नज़र शरीर के चिथड़ों पर डालो
तो वे शायद तुम्हें ज्यादा बता सकेंगे
क्यों घिस-पिट जाते हैं
हमारे शरीर और कपड़े
बस एक ही कारण है दोनों का
वह एक छोटा-सा शब्द है
जिसे सब जानते हैं
पर कहता कोई नहीं।